भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय संबंध: एक विस्तृत विश्लेषण

परिचय:-

                      भारत और मॉरीशस के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सामरिक रूप से गहरे और बहुआयामी हैं। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2024-25 में, इन संबंधों ने एक नया आयाम प्राप्त किया है, जब भारत और मॉरीशस ने अपनी साझेदारी को उन्नत रणनीतिक साझेदारी (Enhanced Strategic Partnership) का दर्जा दिया।

चर्चा में क्यों ? :-

                     भारत और मॉरीशस के बीच संबंध हाल के समय में वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। इसका प्रमुख कारण मार्च 2025 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस यात्रा है, जिसके दौरान दोनों देशों ने अपनी साझेदारी को उन्नत रणनीतिक साझेदारी का दर्जा देने का निर्णय लिया। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों को खोला और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक स्थिति को और मजबूत किया।

  • उन्नत रणनीतिक साझेदारी:-
    •  यह साझेदारी भारत और मॉरीशस के बीच रक्षा, समुद्री सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में गहरे सहयोग का प्रतीक है।
    •  इसने दोनों देशों को वैश्विक मंच पर एक मजबूत भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया।
  • महासागर (MAHASAGAR) विज़न:-
    • भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए एक नए विज़न की घोषणा की, जिसे महासागर (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth in All Regions) नाम दिया गया।
    • यह विज़न हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा, व्यापार, और सतत विकास पर केंद्रित है।
  • समुद्री सुरक्षा और समझौते:-
    • दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा, स्थानीय मुद्राओं में व्यापार, और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
    • सेंट ब्रैंडन द्वीप का नौवहन चार्ट मॉरीशस को सौंपा गया, जो समुद्री सहयोग का एक ठोस उदाहरण है।
  • भारत ने मॉरीशस में 500 मिलियन मॉरीशस रुपये की सामुदायिक विकास परियोजनाओं की घोषणा की, जिसमें स्वास्थ्य केंद्र और सिविल सर्विस कॉलेज (अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट) का उद्घाटन शामिल है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मॉरीशस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन” से सम्मानित किया गया।
  • उदाहरण:मार्च 2025 में, भारतीय प्रधानमंत्री ने मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस दौरान, दोनों देशों ने मॉरीशस में एक नए संसद भवन के निर्माण में भारत की सहायता की घोषणा की, जो भारत की ओर से मॉरीशस को “लोकतंत्र की जननी” के उपहार के रूप में दिया गया। यह कदम दोनों देशों के बीच गहरे लोकतांत्रिक मूल्यों और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।

यात्रा के दौरान किये गये प्रमुख समझौते:-

मार्च 2025 में भारत और मॉरीशस के बीच आठ महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना था। इन समझौतों ने दोनों देशों के साझा हितों, सांस्कृतिक संबंधों और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया।

  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार (Local Currency Settlement System)::-
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और मॉरीशस के केंद्रीय बैंक (Bank of Mauritius) के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत दोनों देशों के बीच व्यापार को भारतीय रुपये (INR) और मॉरीशस रुपये (MUR) में निपटाने की व्यवस्था की गई। इससे विदेशी मुद्रा पर निर्भरता कम होगी और व्यापार लागत में कमी आएगी।
  • वित्तीय अपराधों की रोकथाम:
    • भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ED) और मॉरीशस के वित्तीय अपराध आयोग (Financial Crimes Commission) के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता किया गया। इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आर्थिक अपराधों पर संयुक्त कार्रवाई करना है।
  • समुद्री सुरक्षा और सूचना आदान-प्रदान:
    • भारतीय नौसेना और मॉरीशस पुलिस बल के बीच व्हाइट शिपिंग सूचना के आदान-प्रदान पर एक तकनीकी समझौता हुआ। इसके अलावा, भारत ने मॉरीशस को सेंट ब्रैंडन द्वीप का नौसैनिक चार्ट सौंपा, जो समुद्री निगरानी और सुरक्षा में सहायता करेगा।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सहयोग:
    • दोनों देशों के MSME मंत्रालयों के बीच सहयोग समझौता हुआ, जिसका उद्देश्य छोटे और मझोले उद्यमों को प्रोत्साहन देना और उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
  • जल प्रबंधन:
    • मॉरीशस सरकार और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बीच पाइप प्रतिस्थापन कार्यक्रम के लिए ऋण सुविधा समझौता हुआ। यह परियोजना मॉरीशस में जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाएगी।
  • सार्वजनिक सेवा प्रशिक्षण:
    • मॉरीशस के लोक सेवा मंत्रालय और भारत के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) के बीच प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण और सुशासन को मजबूत करने के लिए समझौता हुआ। अगले पांच वर्षों में 500 मॉरीशस सिविल सर्वेंट्स को भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • राजनयिक प्रशिक्षण:
    • भारतीय विदेश सेवा संस्थान और मॉरीशस के विदेश मामलों, क्षेत्रीय एकीकरण और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय के बीच राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पर सहमति बनी।
  • संसद भवन और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाएं:
    • भारत ने मॉरीशस में नए संसद भवन और पुलिस अकादमी के निर्माण में सहयोग करने की घोषणा की। यह भारत की ओर से मॉरीशस को एक उपहार के रूप में देखा जा रहा है, जो लोकतंत्र और सुरक्षा को मजबूत करने का प्रतीक है।

    मॉरीशस के बारे में

  परिचय:
स्थान: हिंद महासागर में स्थित एक द्वीपीय राष्ट्र।
भौगोलिक स्थिति: अफ्रीका के पूर्व में, मैडागास्कर से लगभग 900 किलोमीटर दूर।
राजधानी: पोर्ट लुई (Port Louis)।
क्षेत्रफल: लगभग 2,040 वर्ग किलोमीटर।
जनसंख्या: लगभग 13 लाख (2025 अनुमान)।  
राजनीतिक व्यवस्था:
सरकार का स्वरूप: संसदीय लोकतंत्र।
राष्ट्रपति: प्रतीकात्मक प्रमुख।
प्रधानमंत्री: कार्यपालिका प्रमुख और सरकार का प्रमुख।
संविधान: 1968 में स्वतंत्रता के समय अपनाया गया।  
भू-राजनीतिक महत्व: हिंद महासागर में सामरिक स्थिति के कारण महत्वपूर्ण।भारत, चीन, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों के लिए सामरिक साझेदारी का केंद्र।भारत मॉरीशस को SAGAR (Security and Growth for All in the Region) नीति के अंतर्गत प्राथमिकता देता है।  
भारत-मॉरीशस संबंध:
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: बड़ी संख्या में भारतवंशी (लगभग 70%)।
सामरिक सहयोग: रक्षा, समुद्री सुरक्षा, तटरक्षक सहयोग।
आर्थिक सहयोग: FTA, Line of Credit, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स।
2025 में: “उन्नत रणनीतिक साझेदारी” की घोषणा।
संयुक्त परियोजनाएँ: मेट्रो परियोजना, ENT अस्पताल, साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल यूनिवर्सिटी।  
चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन और समुद्री जलस्तर में वृद्धि।आयात पर अत्यधिक निर्भरता।युवाओं में बेरोजगारी और स्किल गैप।          इस प्रकार मॉरीशस एक छोटा किन्तु सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण राष्ट्र है। भारत के साथ इसके गहरे ऐतिहासिक-सांस्कृतिक संबंध द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं। भारत के ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘SAGAR’ दृष्टिकोण में मॉरीशस एक महत्वपूर्ण कड़ी बन चुका है।

भारत-मॉरीशस संबंधों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार:-

भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की नींव ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर टिकी है। मॉरीशस की लगभग 70% आबादी भारतीय मूल की है, जो 18वीं और 19वीं शताब्दी में गिरमिटिया (बंधुआ मजदूर) के रूप में भारत से मॉरीशस गई थी।

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:-
    • औपनिवेशिक काल: मॉरीशस पहले फ्रांसीसी और फिर ब्रिटिश उपनिवेश था। 1700 के दशक में फ्रांसीसी शासन के दौरान पुदुच्चेरी से भारतीय कारीगर और राजमिस्त्री मॉरीशस लाए गए।
    • ब्रिटिश शासन (1834-1900) के दौरान लगभग 5 लाख भारतीय अनुबंधित श्रमिक मॉरीशस पहुंचे, जिनमें से दो-तिहाई ने वहां स्थायी रूप से बसने का निर्णय लिया।
  • राजनयिक संबंध:-
    • भारत ने 1948 में मॉरीशस के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए, जो मॉरीशस की स्वतंत्रता (1968) से पहले की बात है। यह भारत की दूरदर्शी विदेश नीति का परिचायक है।
  • सांस्कृतिक संबंध:-
    • भारतीय संस्कृति का प्रभाव: मॉरीशस में भारतीय संस्कृति का गहरा प्रभाव है। भारत ने वहां महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट, वर्ल्ड हिंदी सेक्रेटेरिएट, और इंदिरा गांधी सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (IGCIC) जैसे संस्थानों की स्थापना में सहायता की है।
    •  IGCIC में हर साल 2,500 से अधिक छात्र संगीत, कथक, तबला, और योग की शिक्षा प्राप्त करते हैं।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण:-
    • भारत के ITEC कार्यक्रम के तहत हर साल लगभग 400 मॉरीशियन भारत में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, और ICCR छात्रवृत्ति के माध्यम से 60 छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए अवसर प्रदान किए जाते हैं।
    • 2007-08 से अब तक ITEC के तहत 4,868 मॉरीशियनों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • उदाहरण:  2025 में, भारत ने मॉरीशस में अटल बिहारी वाजपेयी सिविल सर्विस कॉलेज का उद्घाटन किया, जो मॉरीशस के नौकरशाहों के लिए प्रशिक्षण का एक उत्कृष्ट केंद्र है। यह भारत के क्षमता निर्माण में योगदान का एक प्रमुख उदाहरण है।

MAHASAGAR विज़न

 परिचय:-  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2025 में हिंद महासागर समिट के दौरान MAHASAGAR(Maritime and Allied Security and Growth Architecture in the Region)विज़न भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक रणनीतिक समुद्री पहल है, जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) में भारत की भूमिका को मज़बूत करना और समुद्री सुरक्षा, सहयोग, कनेक्टिविटी, और स्थिरता को बढ़ावा देना है।  
प्रमुख साझेदार देश:-
IOR के देश: श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स, मेडागास्कर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया
अन्य सहयोगी: फ्रांस (La Réunion के माध्यम से), अमेरिका (QUAD), जापान  
प्रमुख उद्देश्य:- समुद्री क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को सुदृढ़ करना ।सहयोगात्मक सुरक्षा संरचना बनाना ।ब्लू इकोनॉमी और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना ।IOR में शांति, स्थिरता और विकास सुनिश्चित करना ।  
MAHASAGAR विज़न के मुख्य स्तंभ:-    
साझा समुद्री सुरक्षा (Maritime Security Cooperation):-आतंकवाद, पाइरेसी, और अवैध मछली पकड़ने पर नियंत्रण ।भारतीय नौसेना के सहयोग से मित्र देशों को प्रशिक्षण ।साझा गश्त और सूचना साझाकरण ।
ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy) को बढ़ावा:-समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग ।मरीन बायोटेक्नोलॉजी, समुद्री पर्यटन, और मत्स्यपालन में सहयोग ।तटीय समुदायों का विकास ।
समुद्री कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर:-बंदरगाह विकास (जैसे – चाबहार, सबांग, सितवे) ।समुद्री परिवहन मार्गों का डिजिटलीकरण ।‘कोस्टल हाइवे’ जैसी परियोजनाएं । 
क्षेत्रीय कूटनीति और रणनीतिक गठजोड़:-हिंद महासागर आयोग (IOC), IORA, BIMSTEC जैसे मंचों पर सक्रियता ।इंडो-पैसिफिक रणनीति में समन्वय ।ASEAN, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के साथ जुड़ाव । 
जलवायु और समुद्री पर्यावरण संरक्षण:-समुद्री प्रदूषण की रोकथाम ।समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण ।आपदा पूर्व चेतावनी और राहत सहयोग ।  
भारत की भूमिका:- “नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर” की भूमिका में भारत ।रणनीतिक बंदरगाहों पर निवेश ।क्षेत्रीय देशों की नौसेनाओं को उपकरण, प्रशिक्षण और सहायता ।  
हाल की घटनाएं (2024–25):- MAHASAGAR समिट 2025 का आयोजन – नई दिल्ली में ।IOR सूचना फ्यूजन सेंटर (IFC-IOR) का विस्तार ।INS Sumedha द्वारा अफ्रीकी तटों पर संयुक्त अभ्यास ।मॉरीशस के साथ अपतटीय निगरानी समझौता ।  इस प्रकार MAHASAGAR विज़न भारत की समुद्री रणनीति का एक व्यापक और बहुआयामी विस्तार है, जो न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और विकास सुनिश्चित करता है, बल्कि भारत को एक वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है।  

भारत के लिए मॉरीशस का महत्व:-

मॉरीशस भारत के लिए सामरिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका महत्व निम्नलिखित आयामों में देखा जा सकता है:-

  • सामरिक स्थिति:-
    • मॉरीशस पश्चिमी हिंद महासागर में एक रणनीतिक द्वीप राष्ट्र है, जो भारत की समुद्री और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
      • चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला:-
        • हिंद महासागर में चीन की बढ़ती उपस्थिति, विशेष रूप से जिबूती में उसके सैन्य अड्डे के कारण, मॉरीशस की सामरिक भूमिका और बढ़ गई है। भारत मॉरीशस के साथ सहयोग करके इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है।
      • समुद्री सुरक्षा:-
        •  मॉरीशस का 2.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर का अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) भारत के लिए समुद्री डकैती, आतंकवाद, तस्करी, और अवैध मछली पकड़ने जैसे मुद्दों से निपटने में सहायक है।
  • उदाहरण: भारत ने मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर तटीय रडार स्टेशन स्थापित किए और अपनी नौसेना सूचना संलयन केंद्र तक पहुंच प्रदान की है। 2024 में, भारत ने अगालेगा में एक नई हवाई पट्टी और जेटी का उद्घाटन किया, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में वृद्धि हुई।
  • भू-राजनीतिक महत्व:-
    • मॉरीशस को “हिंद महासागर का सितारा और कुंजी” कहा जाता है। यह चीन, यूरोप, खाड़ी देशों, और अन्य वैश्विक शक्तियों की रुचि का केंद्र है।
      • वैश्विक रणनीति:-
        • मॉरीशस भारत के SAGAR (Security and Growth for All in the Region) विज़न का एक प्रमुख स्तंभ है। यह विज़न हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
      • कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC):-
        • मॉरीशस CSC का हिस्सा है, जिसमें भारत, श्रीलंका, मालदीव, और बांग्लादेश शामिल हैं। यह मंच समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • उदाहरण: 2025 में, भारत ने सेंट ब्रैंडन द्वीप का नौवहन चार्ट मॉरीशस को सौंपा, जो समुद्री डेटा साझा करने और सुरक्षा सहयोग का प्रतीक है।
  • समुद्री सुरक्षा भागीदार:-
    • भारत और मॉरीशस हिंद महासागर को सुरक्षित रखने के लिए स्वाभाविक साझेदार हैं।
      • अगालेगा द्वीप:-
        • भारत ने अगालेगा द्वीप पर बुनियादी ढांचे में निवेश किया है, जिसमें 800 मीटर की हवाई पट्टी को पूर्ण लंबाई वाले हवाई क्षेत्र में अपग्रेड किया गया। यह भारत को बड़े वाहकों को तैनात करने और क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने में सक्षम बनाता है।
      • सहयोग के क्षेत्र:-
        • समुद्री डेटा साझा करना, मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए संयुक्त कार्य, और तस्करी के खिलाफ सहयोग भारत-मॉरीशस साझेदारी के प्रमुख पहलू हैं।
  • उदाहरण: 2024 में चक्रवात चिडो के दौरान भारत ने मॉरीशस को तत्काल सहायता प्रदान की, जिससे वह एक विश्वसनीय प्रथम सहायता प्रदाता के रूप में उभरा।
  • अफ्रीका के लिए व्यापार और आर्थिक प्रवेश द्वार:-
    • मॉरीशस भारत के लिए अफ्रीका में व्यापार और निवेश का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है।
      • AfCFTA:-
        • अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र के तहत, मॉरीशस भारतीय व्यवसायों के लिए अफ्रीका में एक मंच के रूप में कार्य करता है।
      • DTAA:-
        •  भारत-मॉरीशस दोहरा कराधान बचाव समझौता मॉरीशस को भारत में निवेश के लिए एक पसंदीदा मार्ग बनाता है। 2000 से 2025 तक, मॉरीशस से भारत में 175 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया।
      • द्विपक्षीय व्यापार:-
        • 2023-24 में, भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 851.13 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का निर्यात 778.03 मिलियन डॉलर था।
  • उदाहरण: 2021 में भारत और मॉरीशस के बीच CECPA (Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement) पर हस्ताक्षर हुए, जो व्यापार और आर्थिक सहयोग को और मजबूत करता है।
  • सांस्कृतिक और लोगों के बीच संबंध:-
    • मॉरीशस की भारतीय मूल की आबादी दोनों देशों के बीच एक मजबूत सांस्कृतिक सेतु का कार्य करती है।
      • गिरमिटिया विरासत:-
        • गिरमिटिया मजदूरों की कहानी भारत और मॉरीशस के बीच एक गहरा ऐतिहासिक बंधन बनाती है। मॉरीशस में अप्रवासी घाट (Aapravasi Ghat) को UNESCO विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है।
      • सांस्कृतिक आदान-प्रदान:-
        • भारत मॉरीशस में सांस्कृतिक आयोजनों, हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रचार, और योग को बढ़ावा देने में सक्रिय है।
  • उदाहरण: 2025 में, भारतीय प्रधानमंत्री को मॉरीशस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया, जो दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।

ग्लोबल साउथ क्या है ?

ग्लोबल साउथ एक भू-राजनीतिक और आर्थिक अवधारणा है, जो मुख्य रूप से विकासशील देशों को संदर्भित करती है, जो अधिकतर दक्षिणी गोलार्ध में स्थित हैं। ये देश एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ओशिनिया के क्षेत्रों में फैले हैं। इसकी विशेषताये निम्नलिखित है:-
भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता:ग्लोबल साउथ में भारत, ब्राजील, नाइजीरिया जैसे और अन्य देश शामिल हैं, जो सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक रूप से विविध हैं। इन देशों की सामाजिक संरचना और परंपराएं वैश्विक मंच पर उनकी विशिष्ट पहचान बनाती हैं।
आर्थिक विशेषताएं:ये देश आमतौर पर विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं, जिनमें तेजी से औद्योगीकरण और शहरीकरण हो रहा है। हालांकि हालांकि, कई देशों में गरीबी, असमानता और बुनियादी ढांचे की कमी चुनौतियां हैं। उभरती अर्थव्यवस्थाएं जैसे भारत और ब्राजील वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिकानिभा रहे हैं।
वैश्विक शक्ति संतुलन:ग्लोबल साउथ देश G77, BRICS जैसे समूहों के माध्यम से वैश्विक नीतियों में अपनी आवाज बुलंद करते हैं। ये देश जलवायु परिवर्तन, व्यापार और प्रौद्योगिकी जैसे मुद्दों पर ग्लोबल नॉर्थ के साथ संवाद करते हैं।
चुनौतियां:
आर्थिक असमानता: ग्लोबल साउथ में कई देशों में धन का असमान वितरण और बेरोजगारी प्रमुख समस्याएं हैं।
जलवायु परिवर्तन: ये देश जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, जैसे बाढ़, सूखा और समुद्र स्तर में वृद्धि।
प्रौद्योगिकी अंतर: उन्नत तकनीक तक सीमित पहुंच इन देशों के विकास को प्रभावित करती है।
अवसर:
युवा आबादी: ग्लोबल साउथ में युवा और गतिशील कार्यबल वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहा है।
नवीकरणीय ऊर्जा: सौर और पवन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश से ऊर्जा सुरक्षा बढ़ रही है।
क्षेत्रीय सहयोग: ASEAN, अफ्रीकी संघ जैसे संगठन क्षेत्रीय एकता और विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
वैश्विक महत्व: ग्लोबल साउथ देश संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर समानता और न्याय की मांग करते हैं। इनका बढ़ता प्रभाव वैश्विक शासन में बहुध्रुवीय दुनिया की ओर इशारा करता है।  

भारत-मॉरीशस संबंधों में चुनौतियां:-

हालांकि भारत और मॉरीशस के बीच संबंध मजबूत हैं, कुछ चुनौतियां भी मौजूद हैं, जो दोनों देशों को संबोधित करने की आवश्यकता है।

  • व्यापार और कराधान समझौता:-
    • DTAA में संशोधन:-
      • 2016 में DTAA में संशोधन के बाद, मॉरीशस से भारत में FDI में कमी आई है। मॉरीशस सिंगापुर के समान कर लाभ चाहता है ताकि वह भारत के लिए एक पसंदीदा निवेश मार्ग बन सके।
    • प्रतिस्पर्धा:-
      •  सिंगापुर और अन्य देश मॉरीशस के लिए निवेश केंद्र के रूप में प्रतिस्पर्धा प्रस्तुत करते हैं।
  • उदाहरण: 2024 में, मॉरीशस ने भारत से DTAA में संशोधन की मांग की ताकि अफ्रीकी बाजारों में भारतीय निवेश के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सके।
  • चीन का बढ़ता प्रभाव:-
    • चीन ने मॉरीशस में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जैसे हवाई अड्डा टर्मिनल, बांघ, और क्रूज शिप टर्मिनल। यह भारत की सामरिक स्थिति के लिए चुनौती है।
    • उदाहरण: 2023 में, चीन ने मॉरीशस के हवाई अड्डे के विस्तार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की, जो भारत के लिए एक चेतावनी थी।
  • मादक पदार्थों की तस्करी:-
    • मॉरीशस मादक पदार्थों की तस्करी का केंद्र बन रहा है, जो भारत के समुद्री हितों के लिए जोखिम पैदा करता है।
    • सहयोग की आवश्यकता:-
      • भारत और मॉरीशस को इस समस्या से निपटने के लिए संयुक्त कार्यबल और खुफिया साझाकरण को बढ़ाना होगा।
    • उदाहरण: 2024 में, भारत और मॉरीशस ने मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।
  • पर्यावरणीय खतरे:-
    • मॉरीशस को जलवायु परिवर्तन से संबंधित गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे समुद्र के जलस्तर में वृद्धि, चक्रवात, और तटीय क्षरण।
      • 2020 वाकाशियो तेल रिसाव:
        • इस घटना ने मॉरीशस की समुद्री अर्थव्यवस्था और पर्यटन को प्रभावित किया।
      • 2024 चक्रवात चिडो:-
        •  इसने मॉरीशस की जलवायु कमजोरियों को उजागर किया।
      • उदाहरण: भारत ने चक्रवात चिडो के बाद मॉरीशस को तत्काल सहायता प्रदान की, जिसमें राहत सामग्री और तकनीकी सहायता शामिल थी।v.
  • नृजातीय संलग्नता को संतुलित करना:-
    • मॉरीशस की जनसंख्या विविध है, जिसमें भारतीय, अफ्रीकी, और यूरोपीय समुदाय शामिल हैं। भारत को इस विविधता को संतुलित करते हुए सभी समुदायों के साथ संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है।
      • उदाहरण: भारत ने मॉरीशस में सामुदायिक विकास परियोजनाओं के माध्यम से सभी समुदायों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है, जैसे स्वास्थ्य केंद्र और स्कूलों का निर्माण।

भारत-मॉरीशस संबंधों की उपलब्धियां:-

पिछले कुछ वर्षों में, भारत और मॉरीशस ने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं:-

  • समुद्री सुरक्षा:-
    • भारत ने मॉरीशस के EEZ की सुरक्षा के लिए तटीय रडार स्टेशन और नौसेना सूचना केंद्र तक पहुंच प्रदान की है।अगालेगा द्वीप पर हवाई पट्टी और जेटी का उद्घाटन एक प्रमुख उपलब्धि है
  • आर्थिक सहयोगCECPA (2021):-
    • यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देता है।2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 851.13 मिलियन डॉलर तक पहुंचा।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग:-
    • अटल बिहारी वाजपेयी सिविल सर्विस कॉलेज का उद्घाटन।ITEC और ICCR कार्यक्रमों के माध्यम से हजारों मॉरीशियनों को प्रशिक्षण और शिक्षा।iv.
  • विकास सहायता:-
    • भारत ने मॉरीशस में 20 उच्च-प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं और एक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया।नए संसद भवन के निर्माण के लिए सहायता की घोषणा।
  • उदाहरण: 2025 में, भारत ने मॉरीशस के 500 सिविल सेवकों को अगले 5 वर्षों में भारत में प्रशिक्षण देने की घोषणा की, जो क्षमता निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है।

निष्कर्ष:-

          भारत और मॉरीशस के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और सामरिक बंधनों पर आधारित हैं। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2025 में उन्नत रणनीतिक साझेदारी और MAHASAGAR विज़न के अनावरण के साथ, यह साझेदारी नई ऊंचाइयों को छू रही है। मॉरीशस भारत के लिए हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण सामरिक और आर्थिक भागीदार है, जो क्षेत्रीय स्थिरता, समुद्री सुरक्षा, और अफ्रीका में व्यापार के लिए एक प्रवेश द्वार प्रदान करता है।

  • हालांकि, चुनौतियां जैसे चीन का बढ़ता प्रभाव, मादक पदार्थों की तस्करी, और जलवायु परिवर्तन से संबंधित जोखिम मौजूद हैं। भारत ने एक विश्वसनीय प्रथम सहायता प्रदाता और विकास भागीदार के रूप में अपनी छवि को मजबूत किया है, जिससे मॉरीशस के साथ उसकी साझेदारी और गहरी हुई है। दोनों देशों को भविष्य में समुद्री सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदानों को और बढ़ाने के लिए मिलकर कार्य करना होगा।
  • भारत-मॉरीशस संबंध न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ग्लोबल साउथ के लिए भारत के विज़न को साकार करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह साझेदारी एक उदाहरण है कि ऐतिहासिक बंधन और आधुनिक रणनीतिक हितों का संयोजन कैसे वैश्विक मंच पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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