भारत क्रोएशिया संबंध:-@प्रधानमंत्री मोदी की क्रोएशिया यात्रा

चर्चा में क्यों ?:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 18 जून 2025 को क्रोएशिया की ऐतिहासिक यात्रा भारत-क्रोएशिया संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा थी, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और भारत की यूरोपीय रणनीति को दर्शाती है। यह यात्रा तीन देशों (साइप्रस, कनाडा, और क्रोएशिया) की यात्रा का हिस्सा थी, जिसने वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक सक्रियता को रेखांकित किया। इस प्रकार यह यात्रा न केवल भारत-क्रोएशिया संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम थी, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय संदर्भों में भी महत्वपूर्ण थी। निम्नलिखित बिंदु इसकी चर्चा के प्रमुख कारणों को स्पष्ट करते हैं:

  • ऐतिहासिक महत्व:-
    • यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली आधिकारिक यात्रा थी, जो दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की कमी को पूरा करने का प्रयास था।
    • क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के निमंत्रण पर हुई इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को और गहरा किया। यह यात्रा भारत की यूरोपीय कूटनीति में एक नया अध्याय जोड़ती है, विशेष रूप से मध्य और दक्षिण-पूर्वी यूरोप में।
  • आतंकवाद के खिलाफ साझा रुख:-
    • प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम (जम्मू और कश्मीर) में हाल के आतंकवादी हमलों के बाद क्रोएशिया के समर्थन और एकजुटता के लिए आभार व्यक्त किया। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
    • यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि क्रोएशिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दों पर गैर-हस्तक्षेपवादी नीतियों का समर्थन किया है।
  • यूरोपीय संघ और नाटो के साथ संबंध:-
    • क्रोएशिया यूरोपीय संघ (EU) और नाटो का पूर्ण सदस्य है, जो इसे भारत के लिए एक रणनीतिक साझेदार बनाता है।
    • इस यात्रा ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चा को गति दी, जिसमें क्रोएशिया ने शीघ्र निष्कर्ष के लिए समर्थन दोहराया। इसके अलावा, क्रोएशिया की नाटो सदस्यता भारत को यूरो-अटलांटिक सुरक्षा ढांचे के साथ अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है।
  • वैश्विक संदर्भ में कूटनीतिक संतुलन:-
    • यह यात्रा रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच हुई। भारत, जो रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलन बनाए रखने की नीति अपनाता है, ने क्रोएशिया जैसे मध्य यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को मजबूत करके अपनी कूटनीतिक स्थिति को और सुदृढ़ किया।
    •  क्रोएशिया की तटस्थ और लोकतांत्रिक छवि भारत के लिए एक विश्वसनीय साझेदार बनाती है।
  • आर्थिक और सांस्कृतिक अवसर:-
    • यात्रा ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के नए अवसरों को खोला। क्रोएशिया की समुद्री विशेषज्ञता, भारत की सागरमाला परियोजना के लिए प्रासंगिक है, जबकि भारत की अंतरिक्ष और डिजिटल प्रौद्योगिकी क्रोएशिया के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी है।
    • सांस्कृतिक रूप से, ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में हिंदी चेयर का विस्तार और योग की बढ़ती लोकप्रियता ने दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी संबंधों को मजबूत किया।

यात्रा के मुख्य परिणाम:-

प्रधानमंत्री मोदी की क्रोएशिया यात्रा ने कई ठोस परिणाम दिए, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को नए स्तर पर ले गए। इन परिणामों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  •  रक्षा सहयोग योजना:-
  • 2023 में हस्ताक्षरित रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन (MoU) के आधार पर, भारत और क्रोएशिया ने एक दीर्घकालिक रक्षा सहयोग योजना विकसित करने पर सहमति जताई। इसके प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं:
  • संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण:- दोनों देशों की सेनाएँ संयुक्त अभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगी, जो सैन्य क्षमता निर्माण में सहायक होंगे।कार्मिक आदान-प्रदान:- सैन्य और रक्षा विशेषज्ञों का आदान-प्रदान रणनीतिक समझ को बढ़ाएगा।उद्योग-स्तरीय साझेदारियाँ: रक्षा उत्पादन और अनुसंधान में सहयोग, विशेष रूप से ड्रोन, साइबर सुरक्षा उपकरण, और समुद्री प्रौद्योगिकी में।

क्रोएशिया एक परिचय  

 परिचय:-
क्रोएशिया (Croatia), जिसे आधिकारिक रूप से क्रोएशिया गणराज्य (Republic of Croatia) कहा जाता है, दक्षिण-पूर्व यूरोप में स्थित एक छोटा लेकिन सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण देश है। यह देश बाल्कन प्रायद्वीप में स्थित है और इसकी समुद्री सीमाएं एड्रियाटिक सागर से जुड़ी हुई हैं।  
भौगोलिक स्थिति:  
महाद्वीप: यूरोप
राजधानी: ज़ाग्रेब (Zagreb)
सीमावर्ती देश:
उत्तर-पश्चिम: स्लोवेनिया
उत्तर-पूर्व: हंगरी
पूर्व: सर्बिया
दक्षिण-पूर्व: बोस्निया एवं हर्ज़ेगोविना
दक्षिण-पश्चिम: मोंटेनेग्रो और एड्रियाटिक सागर
मुख्य तटीय शहर: डबरोवनिक (Dubrovnik), स्प्लिट (Split)  
राजनीतिक व्यवस्था:
शासन प्रणाली: संसदीय गणराज्य
राष्ट्रपति: राष्ट्र का प्रमुख (प्रतीकात्मक भूमिका)
प्रधानमंत्री: कार्यपालिका का प्रमुख
संसद: एकसदनीय (साबोर)  
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
प्राचीन काल में रोमन साम्राज्य का हिस्सा था।20वीं सदी में यह युगोस्लाविया का हिस्सा बना।1991 में युगोस्लाविया से स्वतंत्रता की घोषणा की।
1991-1995: स्वतंत्रता संग्राम और गृहयुद्ध की अवधि।
2009: NATO सदस्यता प्राप्त की।
2013: यूरोपीय संघ (EU) का पूर्ण सदस्य बना।
2023: यूरो को आधिकारिक मुद्रा के रूप में अपनाया।  
अर्थव्यवस्था:
GDP (2024): लगभग $75 बिलियन
प्रमुख क्षेत्र:पर्यटन (GDP का 20% से अधिक)कृषिजहाज निर्माणरसायन और खाद्य प्रसंस्करणयूरोपीय संघ और शेंगेन ज़ोन का सदस्य होने के कारण निवेश के लिए आकर्षक स्थान।    
भारत-क्रोएशिया संबंध:
राजनयिक संबंध स्थापना: 1992
राजनयिक मिशन: ज़ाग्रेब में भारतीय दूतावास; नई दिल्ली में क्रोएशियाई दूतावास
सहयोग क्षेत्र:व्यापार और निवेशविज्ञान और प्रौद्योगिकीशिक्षा और संस्कृतिरक्षा सहयोग
PM मोदी की यात्रा (2025): यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली ऐतिहासिक यात्रा थी।
प्रमुख उद्देश्य: यूरोप में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करना,आतंकवाद विरोध पर सहयोग, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और समुद्री सुरक्षा पर चर्चा।  
रणनीतिक महत्व:
भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से:यूरोप और पश्चिम एशिया के बीच एक सेतुबाल्कन क्षेत्र में स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण
भारत के लिए:यूरोपीय बाज़ार में प्रवेश का एक द्वारयूरोप में वैकल्पिक रणनीतिक साझेदार, इस प्रकार क्रोएशिया एक छोटा लेकिन रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण यूरोपीय राष्ट्र है जो भारत के लिए नई आर्थिक साझेदारी, कूटनीतिक संतुलन, और समुद्री सहयोग के नए द्वार खोल सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यात्रा ने इन संबंधों को एक नई गति प्रदान की है।  
  • साइबर सुरक्षा:-बढ़ते साइबर खतरों के बीच, दोनों देश साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए सहयोग करेंगे।वर्तमान

उदाहरण: भारत की “मेक इन इंडिया” पहल के तहत, क्रोएशिया की जहाज निर्माण विशेषज्ञता (जैसे ब्रोडोस्प्लिट शिपयार्ड) भारतीय नौसेना के लिए फ्रिगेट्स और तटीय निगरानी जहाजों के उत्पादन में सहायक हो सकती है।

  • समझौता ज्ञापन (MoUs):-
  • यात्रा के दौरान चार प्रमुख समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जो विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को औपचारिक बनाते हैं:
    • कृषि सहयोग:-
      • 30 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कवर करने वाला एक व्यापक समझौता, जिसमें जैविक खेती, बीज प्रौद्योगिकी, और कृषि-तकनीक शामिल हैं।
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान:-
      • 2026-2030 के लिए एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, जिसमें संगीत, नृत्य, रंगमंच, पुरातत्व, और मीडिया शामिल हैं।
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
      • संयुक्त अनुसंधान और वैज्ञानिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाला एक कार्यक्रम।
    • ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में हिंदी चेयर:-
      • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा समर्थित हिंदी चेयर को 2030 तक विस्तारित किया गया।

 उदाहरण: ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में हिंदी चेयर के विस्तार से भारतीय भाषा और संस्कृति के अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा, जो क्रोएशिया में भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूत करेगा।

  •  निवेश और आर्थिक सहयोग:-
  • दोनों देशों ने आर्थिक संबंधों को गहरा करने के लिए कई उपायों की घोषणा की:
    • प्रमुख क्षेत्रों में निवेश:
      • फार्मास्यूटिकल्स, डिजिटल प्रौद्योगिकी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर सहमति।
    • सागरमाला परियोजना:-
      • क्रोएशिया को भारत की सागरमाला परियोजना में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया, जो बंदरगाह विकास और समुद्री बुनियादी ढांचे पर केंद्रित है।
    • भारत-क्रोएशिया स्टार्टअप ब्रिज:-
      •  2021 में शुरू की गई इस पहल को और मजबूत किया गया, विशेष रूप से एआई, ग्रीन टेक, और रोबोटिक्स में।

 उदाहरण: भारत की फार्मास्यूटिकल कंपनी सन फार्मा क्रोएशिया के बाजार में प्रवेश की योजना बना रही है, जो यूरोपीय संघ के नियामक ढांचे के माध्यम से मध्य यूरोप में विस्तार का अवसर प्रदान करेगा।

  • शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान:-
  • संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएँ:-भारतीय और क्रोएशियाई विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग, विशेष रूप से पर्यावरण विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, और डिजिटल नवाचार में।
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम:-
      •  2026-2030 के लिए एक पांच वर्षीय योजना, जिसमें सांस्कृतिक उत्सव, प्रदर्शनियां, और संग्रहालय सहयोग शामिल हैं।

उदाहरण: क्रोएशिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की तैयारियाँ जोरों पर हैं, जो भारतीय संस्कृति की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाती हैं।

  • अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी सहयोग:-
  • भारत ने क्रोएशिया के साथ अपनी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता साझा करने की घोषणा की। यह सहयोग उपग्रह प्रणालियों, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों, और डेटा विश्लेषण पर केंद्रित होगा।
    •  उदाहरण: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) क्रोएशिया के वैज्ञानिकों के साथ छोटे उपग्रहों (नैनोसैटेलाइट्स) के विकास पर सहयोग कर सकता है, जो पर्यावरण निगरानी और समुद्री सुरक्षा में उपयोगी होंगे।
  • गतिशीलता और कूटनीतिक जुड़ाव:-
  • गतिशीलता समझौता:- यात्रा, शिक्षा, पर्यटन, और व्यापार को सुगम बनाने के लिए एक समझौता जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा।
    • नियमित राजनयिक परामर्श:-
      • दोनों देशों ने उच्च-स्तरीय कूटनीतिक परामर्श के लिए एक स्थायी ढांचा स्थापित किया।
      •  उदाहरण: क्रोएशिया के पर्यटकों के लिए भारत का ई-वीजा कार्यक्रम और भारतीय छात्रों के लिए क्रोएशियाई विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप योजनाएँ गतिशीलता को बढ़ावा देंगी।

भारत-क्रोएशिया संबंधों के विविध पहलू:-

भारत और क्रोएशिया के बीच संबंध आर्थिक, सांस्कृतिक, और कूटनीतिक आयामों में मजबूत हैं। इनका विश्लेषण निम्नलिखित है:

  • आर्थिक संबंध:-
  • द्विपक्षीय व्यापार:- 2017 में 199.45 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में 337.68 मिलियन डॉलर तक पहुंचा। भारत के प्रमुख निर्यात में फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, और मशीनरी शामिल हैं, जबकि क्रोएशिया रसायन, लकड़ी, और परिशुद्धता उपकरण निर्यात करता है।
    • निवेश समझौते:-
      • 2001 का द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौता और 2017 का आर्थिक सहयोग समझौता व्यापार को समर्थन देते हैं।
    • स्टार्टअप ब्रिज:-
      •  2021 में शुरू की गई यह पहल एआई, रोबोटिक्स, और ग्रीन टेक में सहयोग को बढ़ावा देती है।
  •  उदाहरण: क्रोएशिया का रिजेका बंदरगाह भारत की सागरमाला परियोजना के लिए एक मॉडल हो सकता है, जो बंदरगाह-आधारित औद्योगिक विकास पर केंद्रित है।
  • सांस्कृतिक संबंध:-
  • इंडोलॉजी की परंपरा:-क्रोएशिया में 18वीं शताब्दी से संस्कृत अध्ययन होता रहा है। इवान फिलिप वेज़डिन ने 1790 में यूरोप में पहली संस्कृत व्याकरण पुस्तक प्रकाशित की थी।
  • ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय:- इसका इंडोलॉजी विभाग 50 वर्षों से सक्रिय है और भारतीय अध्ययन का केंद्र है।
  • ऐतिहासिक योगदान:-गोवा में साओ ब्रास चर्च की वास्तुकला में क्रोएशियाई प्रभाव दिखता है।योग और आयुर्वेद: क्रोएशिया में योग की बढ़ती लोकप्रियता सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करती है।
    •  उदाहरण: ज़ाग्रेब में आयोजित भारतीय सांस्कृतिक उत्सव (2024) में क्रोएशियाई युवाओं ने कथक और भरतनाट्यम प्रस्तुत किया, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाता है।
  • कूटनीतिक संबंध:-
  • स्वतंत्रता की मान्यता:-भारत ने 1992 में क्रोएशिया की स्वतंत्रता को मान्यता दी और राजनयिक संबंध स्थापित किए।
  • दूतावास:-
    • ज़ाग्रेब (1995) और नई दिल्ली (1996) में दूतावास खोले गए, और 1998 में संबंध राजदूत स्तर तक बढ़े।
  • वैश्विक समर्थन:- क्रोएशिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और आतंकवाद के खिलाफ उसके रुख का समर्थन किया है।
    • उदाहरण: क्रोएशिया ने 2024 में संयुक्त राष्ट्र में भारत के आतंकवाद विरोधी प्रस्ताव का समर्थन किया, जो दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत के लिए क्रोएशिया का महत्व:-

क्रोएशिया भारत के लिए एक रणनीतिक साझेदार है, विशेष रूप से यूरोपीय संघ, नाटो, और वैश्विक भू-राजनीति के संदर्भ में। इसका महत्व निम्नलिखित में है:-

  • यूरोप के लिए भू-रणनीतिक प्रवेश द्वार:-
  • भौगोलिक स्थिति:- क्रोएशिया का पूर्वी एड्रियाटिक तट पर स्थान इसे यूरोपीय संघ के लिए एक प्रमुख समुद्री मार्ग बनाता है। रिजेका और स्प्लिट जैसे बंदरगाह मध्य और पूर्वी यूरोप के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • IMEC का हिस्सा:- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) में क्रोएशिया एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो स्वेज नहर के विकल्प के रूप में कार्य करता है।
  • सीईई बाजार:- क्रोएशिया मध्य और पूर्वी यूरोपीय बाजारों तक पहुंच प्रदान करता है, जो भारत के लिए वैकल्पिक व्यापार केंद्र हैं।
    •  उदाहरण: भारत की ONGC क्रोएशिया के LNG टर्मिनल के माध्यम से यूरोपीय गैस बाजारों में प्रवेश की योजना बना रही है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ऊर्जा विविधीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।
  • चीनी प्रभाव का रणनीतिक विकल्प:-
  • BRI में सीमित भागीदारी:- क्रोएशिया ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में न्यूनतम भाग लिया है, जो इसे भारत के लिए एक अनुकूल साझेदार बनाता है।
  • लोकतांत्रिक विकल्प:-भारत-क्रोएशिया सहयोग बाल्कन में चीन के प्रभाव को संतुलित करने का एक लोकतांत्रिक विकल्प प्रदान करता है।
    • उदाहरण: क्रोएशिया ने 2024 में भारत के साथ डिजिटल प्रौद्योगिकी में सहयोग को प्राथमिकता दी, जबकि चीनी टेलीकॉम्स (Huawei) के साथ 5G नेटवर्क पर सतर्क रुख अपनाया।
  • यूरोपीय संघ और नाटो के भीतर प्रभाव:-
  • यूरोपीय संघ:-
    • क्रोएशिया भारत को यूरोपीय संघ की नियामक प्रक्रियाओं तक अप्रत्यक्ष पहुंच प्रदान करता है, विशेष रूप से भारत-यूरोपीय संघ FTA वार्ता में।
  • नाटो:(NATO):- क्रोएशिया की नाटो सदस्यता भारत को यूरो-अटलांटिक सुरक्षा ढांचे के साथ सहयोग का अवसर देती है।
    • उदाहरण: क्रोएशिया ने 2025 में भारत-यूरोपीय संघ FTA वार्ता में भारत के पक्ष में यूरोपीय सर्वसम्मति निर्माण में योगदान दिया।
  •  विश्वसनीय बहुपक्षीय साझेदार:-
  • भारत का समर्थन:- क्रोएशिया ने जम्मू और कश्मीर पर भारत की नीतियों और वैश्विक मंचों पर उसके रुख का समर्थन किया है।
  • विश्वसनीयता:-
    •  क्रोएशिया की तटस्थ और लोकतांत्रिक छवि इसे भारत के लिए एक विश्वसनीय साझेदार बनाती है।
    • उदाहरण: क्रोएशिया ने 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के जलवायु परिवर्तन प्रस्ताव का समर्थन किया, जो दोनों देशों की साझा पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यूरोपीय संघ (European Union – EU)


परिचय: यूरोपीय संघ (EU) एक अनूठा राजनीतिक और आर्थिक संगठन है जो यूरोप के देशों को एक साझा ढांचे में लाकर शांति, समृद्धि और सहयोग को बढ़ावा देता है। इसकी नींव द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रखी गई ताकि युद्धों की पुनरावृत्ति न हो।1993 में मास्ट्रिख्ट संधि के माध्यम से इसे औपचारिक रूप से स्थापित किया गया।
मुख्यालय: ब्रसेल्स, बेल्जियम
सदस्य देश: वर्तमान में 27 देश
अधिकारिक मुद्रा: यूरो (€) – 20 देशों में उपयोग
झंडा: नीले रंग की पृष्ठभूमि पर 12 सुनहरे तारे  
उद्देश्य: यूरोपीय संघ के गठन और कार्यप्रणाली के पीछे कई प्रमुख उद्देश्य हैं:
शांति एवं स्थायित्व सुनिश्चित करना:-महाद्वीप में स्थायी शांति और सहयोग बनाए रखना।
आर्थिक एकीकरण और समृद्धि:-साझा बाजार, एकल मुद्रा और मुक्त व्यापार द्वारा विकास।
राजनीतिक सहयोग:-साझा विदेश नीति, सुरक्षा नीति और निर्णय प्रक्रिया।
नागरिक अधिकारों का विस्तार:-सदस्य देशों में स्वतंत्र आवागमन, काम और शिक्षा की सुविधा।
सामाजिक समानता और न्याय:-मानवाधिकार, लैंगिक समानता, पर्यावरण संरक्षण आदि को बढ़ावा देना।  
चुनौतियाँ: यूरोपीय संघ को कई प्रकार की समकालीन आंतरिक व बाह्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
ब्रेक्सिट (Brexit):-UK का 2020 में EU से बाहर निकलना एक ऐतिहासिक घटना रही।
शरणार्थी संकट:-          मध्य पूर्व और अफ्रीका से आने वाले शरणार्थियों के कारण सामाजिक असंतुलन।
रूस-यूक्रेन युद्ध:-ऊर्जा संकट, सुरक्षा चिंताएँ और भू-राजनीतिक विभाजन।
आंतरिक असमानता:- पूरब-पश्चिम यूरोप के देशों में आर्थिक असंतुलन।राष्ट्रवाद का उभार सदस्य देशों में यूरो विरोधी और कट्टरपंथी विचारधाराएँ।
नवीनतम तकनीकी प्रतिस्पर्धा:- चीन व अमेरिका के मुकाबले डिजिटल व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पिछड़ने का डर।  
भारत के लिए महत्व: भारत और यूरोपीय संघ के बीच बहुआयामी रणनीतिक साझेदारी है, जो वर्षों से लगातार गहराती जा रही है। व्यापार और निवेश:– EU भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। भारत को 2024 में EU से 120 अरब यूरो का व्यापार हुआ।
रणनीतिक संवाद :- 2004 में रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत। नियमित शिखर बैठकें।
प्रौद्योगिकी और अनुसंधान:- Horizon Europe, डिजिटल साझेदारी और साइबर सुरक्षा पर सहयोग।
जलवायु और पर्यावरण:- ग्रीन पार्टनरशिप, नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग, सौर ऊर्जा में संयुक्त पहल।
शिक्षा और संस्कृति:- Erasmus+ के तहत भारतीय छात्रों को यूरोप में अध्ययन के अवसर।
वैश्विक मंचों पर सहयोग:- WTO, UNSC सुधार, आतंकवाद-विरोध, बहुपक्षवाद में समान दृष्टिकोण।  इस प्रकार यूरोपीय संघ आज एक ऐसा संगठन है जो राजनीतिक एकता, आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशन का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। भारत के लिए EU एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी है, जिसके साथ मिलकर वह वैश्विक शासन में लोकतांत्रिक मूल्यों, बहुपक्षीय व्यवस्था और सतत विकास लक्ष्यों को बढ़ावा दे सकता है।भविष्य में भारत और EU के बीच संबंधों को हरित ऊर्जा, डिजिटल नवाचार, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्रोएशिया यात्रा भारत-क्रोएशिया संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले गई है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने में सफल रही, बल्कि भारत की यूरोपीय रणनीति में भी एक महत्वपूर्ण कदम था। रक्षा सहयोग, समझौता ज्ञापनों, आर्थिक निवेश, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने दोनों देशों के बीच संबंधों को औपचारिक और रणनीतिक बनाया। क्रोएशिया की यूरोपीय संघ और नाटो में सदस्यता, साथ ही इसकी भू-रणनीतिक स्थिति, भारत को मध्य यूरोप में एक विश्वसनीय साझेदार प्रदान करती है।जैसे ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय में हिंदी चेयर का विस्तार, सागरमाला परियोजना में क्रोएशिया की संभावित भागीदारी, और ISRO का अंतरिक्ष सहयोग, इस यात्रा के ठोस परिणामों को दर्शाते हैं। यह यात्रा भारत की वैश्विक कूटनीति का एक उदाहरण है, जो साझा मूल्यों, आर्थिक पूरकता, और रणनीतिक हितों पर आधारित है। भविष्य में, भारत-क्रोएशिया संबंध और गहरे होंगे, जो वैश्विक शांति, स्थिरता, और समृद्धि में योगदान देगा।

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