भारत-पराग्वे संबंध: – पराग्वे के राष्ट्रपति की भारत यात्रा

परिचय:- 

पराग्वे के राष्ट्रपति सैंटियागो पेना पालासियोस की 2 जून 2025 को शुरू हुई तीन दिवसीय भारत की  राजकीय यात्रा भारत और पराग्वे के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी। यह किसी पराग्वेई राष्ट्रपति की भारत की दूसरी ऐतिहासिक यात्रा थी, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग को नए क्षेत्रों में विस्तार देना था।

यात्रा की मुख्य बातें:-
आतंकवाद: पैराग्वे ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़े होने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया।साझा चुनौतियाँ: दोनों देशों ने साइबर अपराध, संगठित अपराध, और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। इन क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने पर सहमति बनी।सहयोग के नए क्षेत्र: दोनों नेताओं ने डिजिटल प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण खनिज, स्वच्छ ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, रक्षा, रेलवे, अंतरिक्ष, और समग्र आर्थिक साझेदारी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर व्यापक चर्चा की। इन क्षेत्रों में परस्पर लाभकारी परियोजनाओं को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।संयुक्त आयोग तंत्र (जेसीएम): दोनों देशों ने सचिव/उप-मंत्रालय स्तर पर एक संयुक्त आयोग तंत्र (जेसीएम) स्थापित करने का निर्णय लिया, जो द्विपक्षीय सहयोग की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की समीक्षा और प्रगति के लिए एक प्रभावी मंच के रूप में कार्य करेगा। यह तंत्र नियमित संवाद और सहयोग को सुनिश्चित करेगा।लैटिन अमेरिका में उपस्थिति का विस्तार: भारत ने दक्षिण अमेरिकी व्यापार समूह मर्कोसुर (Mercosur) के साथ अपने तरजीही व्यापार समझौते (PTA) को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की। यह भारत की लैटिन अमेरिका में आर्थिक उपस्थिति को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है।एग्रीस्टैक: पैराग्वे ने भारत के डिजिटल कृषि मंच, एग्रीस्टैक, में गहरी रुचि दिखाई, जिसका उद्देश्य कृषि प्रक्रियाओं को डिजिटल तकनीक के माध्यम से अधिक कुशल और पारदर्शी बनाना है। इस मंच के उपयोग से पैराग्वे अपनी कृषि उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहता है।

भारत-पराग्वे संबंध

राजनायिक संबंध :-

  • भारत और पराग्वे के बीच राजनायिक संबंध 1961 में स्थापित हुए। दोनों देश ग्लोबल साउथ का हिस्सा हैं और आपसी हितों के लिए सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    •  उदाहरण: 2023 में, भारत के विदेश मंत्रालय ने पराग्वे के साथ राजनयिक संवाद को बढ़ाने के लिए वर्चुअल और व्यक्तिगत बैठकों का आयोजन किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग पर चर्चा हुई।
                                        ग्लोबल साउथ क्या है ?ग्ग्लोबल साउथ एक भू-राजनीतिक और आर्थिक अवधारणा है, जो मुख्य रूप से विकासशील देशों को संदर्भित करती है, जो अधिकतर दक्षिणी गोलार्ध में स्थित हैं। ये देश एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ओशिनिया के क्षेत्रों में फैले हैं। इसकी विशेषताये निम्नलिखित है:-भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता:ग्लोबल साउथ में भारत, ब्राजील, नाइजीरिया जैसे और अन्य देश शामिल हैं, जो सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक रूप से विविध हैं। इन देशों की सामाजिक संरचना और परंपराएं वैश्विक मंच पर उनकी विशिष्ट पहचान बनाती हैं।आर्थिक विशेषताएं:ये देश आमतौर पर विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं, जिनमें तेजी से औद्योगीकरण और शहरीकरण हो रहा है। हालांकि, कई देशों में गरीबी, असमानता और बुनियादी ढांचे की कमी चुनौतियां हैं। उभरती अर्थव्यवस्थाएं जैसे भारत और ब्राजील वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।वैश्विक शक्ति संतुलन:ग्लोबल साउथ देश G77, BRICS जैसे समूहों के माध्यम से वैश्विक नीतियों में अपनी आवाज बुलंद करते हैं। ये देश जलवायु परिवर्तन, व्यापार और प्रौद्योगिकी जैसे मुद्दों पर ग्लोबल नॉर्थ के साथ संवाद करते हैं।चुनौतियां:आर्थिक असमानता: ग्लोबल साउथ में कई देशों में धन का असमान वितरण और बेरोजगारी प्रमुख समस्याएं हैं।जलवायु परिवर्तन: ये देश जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं, जैसे बाढ़, सूखा और समुद्र स्तर में वृद्धि।प्रौद्योगिकी अंतर: उन्नत तकनीक तक सीमित पहुंच इन देशों के विकास को प्रभावित करती है।अवसर:युवा आबादी: ग्लोबल साउथ में युवा और गतिशील कार्यबल वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहा है।नवीकरणीय ऊर्जा: सौर और पवन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश से ऊर्जा सुरक्षा बढ़ रही है।क्षेत्रीय सहयोग: ASEAN, अफ्रीकी संघ जैसे संगठन क्षेत्रीय एकता और विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।वैश्विक महत्व:ग्लोबल साउथ देश संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर समानता और न्याय की मांग करते हैं। इनका बढ़ता प्रभाव वैश्विक शासन में बहुध्रुवीय दुनिया की ओर इशारा करता है।
  • दूतावास की स्थापना:
    • भारत ने 2022 में पराग्वे की राजधानी असुनसियन में अपना दूतावास खोला, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पहले, भारत का निकटतम दूतावास अर्जेंटीना में था, जो पराग्वे के लिए भी जिम्मेदार था।
      • उदाहरण: असुनसियन में दूतावास खुलने के बाद, 2024 में भारत ने पराग्वे में सांस्कृतिक और व्यापारिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू किया, जैसे कि भारतीय सांस्कृतिक उत्सव और व्यापार मेले, जिसने दोनों देशों के बीच लोगों-से-लोगों के संपर्क को बढ़ाया।
                                                  पराग्वे के बारे में 
पराग्वे, दक्षिण अमेरिका का एक भू-आबद्ध (landlocked) देश है, जिसकी सीमाएँ ब्राजील, अर्जेंटीना और बोलीविया से लगती हैं। राजधानी: असुनसियान (Asunción)।आधिकारिक भाषाएँ: स्पेनिश और गुआरानी (दोनों व्यापक रूप से बोली जाती हैं, गुआरानी स्वदेशी भाषा है)।जनसंख्या: लगभग 7.5 मिलियन (2023 अनुमान)।मुद्रा: गुआरानी (PYG)।भूगोल: देश दो प्रमुख क्षेत्रों में बँटा है—पश्चिम में ग्रान चाको (शुष्क मैदान) और पूर्व में पराना नदी बेसिन (उपजाऊ जंगल और मैदान)। पराग्वे नदी देश को दो हिस्सों में बाँटती है।संस्कृति: पराग्वे की संस्कृति स्पेनिश औपनिवेशिक और स्वदेशी गुआरानी प्रभावों का मिश्रण है। यहाँ संगीत (जैसे हार्प और गिटार आधारित “पोल्का पराग्वाया”) और नृत्य प्रसिद्ध हैं। तेररे (एक ठंडा हर्बल पेय) राष्ट्रीय पेय है।अर्थव्यवस्था: मुख्य रूप से कृषि पर आधारित, विशेष रूप से सोयाबीन, मवेशी और बिजली (इटाइपु बाँध, जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा जलविद्युत बाँध है, ब्राजील के साथ साझा)।इतिहास: 1811 में स्पेन से स्वतंत्रता प्राप्त की। 1864-70 का ट्रिपल एलायंस युद्ध (ब्राजील, अर्जेंटीना और उरुग्वे के खिलाफ) देश के लिए विनाशकारी था, जिसमें इसकी अधिकांश आबादी नष्ट हो गई।पर्यटन: इटाइपु बाँध, जेसुइट मिशन (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल), और ग्रांन चाको का प्राकृतिक सौंदर्य प्रमुख आकर्षण हैं।

द्विपक्षीय व्यापार:-

2022 में भारत और पराग्वे के बीच द्विपक्षीय व्यापार 477 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जिसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा।

  • भारत का निर्यात: भारत ने पराग्वे को 317 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के सामान निर्यात किए, जिनमें मोटर वाहन, कृषि रसायन, ऑटो पार्ट्स और फार्मास्युटिकल उत्पाद शामिल हैं।
  • भारत का आयात: भारत ने पराग्वे से 160 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के सामान आयात किए, जिनमें सोया तेल, लोहा, इस्पात, एल्युमीनियम और पशु उत्पाद प्रमुख हैं।
    • उदाहरण: 2024 में, भारत ने पराग्वे से सोया तेल के आयात में वृद्धि देखी, क्योंकि भारत खाद्य तेल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहा है। इसके अतिरिक्त, भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों ने पराग्वे में जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति बढ़ाई है, जिससे वहां सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा मिला।

तकनीकी और विकास सहयोग:-

  • भारत पराग्वे को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के तहत 20 छात्रवृत्तियां प्रदान करता है। इस कार्यक्रम के माध्यम से पराग्वे के पेशेवरों को भारत में प्रशिक्षण और शिक्षा के अवसर मिलते हैं, खासकर सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में।
    • उदाहरण: 2024 में, पराग्वे के 15 से अधिक अधिकारियों ने भारत में ITEC कार्यक्रम के तहत डिजिटल गवर्नेंस और साइबर सुरक्षा पर प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो पराग्वे की डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में सहायक रहा।

भारत-मर्कोसुर अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA):

  • भारत और मर्कोसुर (जिसमें पराग्वे, अर्जेंटीना, ब्राजील और उरुग्वे शामिल हैं) के बीच अधिमान्य व्यापार समझौता लागू है, जिसके तहत कुछ भारतीय उत्पादों को मर्कोसुर देशों में 10-20% की शुल्क छूट मिलती है।
    • इसके बदले, भारत पराग्वे को 30,000 मीट्रिक टन कच्चे सोयाबीन तेल के आयात पर 10% अतिरिक्त वरीयता मार्जिन प्रदान करता है।
      •  उदाहरण: 2024 में, भारत ने मर्कोसुर देशों के साथ PTA के दायरे को बढ़ाने के लिए बातचीत शुरू की, जिसमें पराग्वे के साथ कृषि उत्पादों और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के व्यापार को शामिल करने पर जोर दिया गया। इसके अतिरिक्त, पराग्वे ने भारत से सौर ऊर्जा उपकरणों के आयात में रुचि दिखाई है, जो भारत की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अनुरूप है।

निष्कर्ष:- 

पैराग्वे के राष्ट्रपति सैंटियागो पेना पालासिओस की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त किया। आतंकवाद, साइबर अपराध, और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी साझा चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ डिजिटल प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, कृषि, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया। संयुक्त आयोग तंत्र (जेसीएम) और मर्कोसुर पीटीए के विस्तार जैसे कदम दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे। भारत का एग्रीस्टैक मॉडल पैराग्वे की कृषि दक्षता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जो भारत की तकनीकी नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करता है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि लैटिन अमेरिका में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने में भी योगदान देती है।

                                                          मार्कोसुर 

दक्षिणी साझा बाज़ार (स्पेनिश में इसका नाम मर्कोसुर है) एक दक्षिण अमेरिकी क्षेत्रीय आर्थिक संगठन है।इसकी स्थापना 1991 में असुनसियोन संधि पर हस्ताक्षर करके की गई थी।
मुख्यालय: मोंटेवीडियो, उरुग्वे।
उद्देश्य : सदस्य देशों के बीच  वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और लोगों की मुक्त आवाजाही को सुविधाजनक बनाना । या एक सीमा शुल्क संघ और एक साझा बाजार की स्थापना करना, जिससे सदस्य देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और लोगों की मुक्त आवाजाही हो सके।सदस्यमूलतः इसके सदस्य  अर्जेंटीना, ब्राजील, पैराग्वे और उरुग्वे थे ।बाद में बोलीविया और वेनेजुएला भी इसमें शामिल हो गए। ( वेनेजुएला को 1 दिसंबर 2016 से निलंबित कर दिया गया है )।मर्कोसुर में चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, गुयाना, पेरू और सूरीनाम भी सहयोगी सदस्य हैं।इसकी आधिकारिक कामकाजी भाषाएँ स्पेनिश और पुर्तगाली हैं ।शासन : ब्लॉक की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था , कॉमन मार्केट काउंसिल , विदेशी और आर्थिक नीति के समन्वय के लिए एक उच्च स्तरीय मंच प्रदान करती है। इस समूह में प्रत्येक सदस्य देश के विदेश और आर्थिक मंत्री या उनके समकक्ष शामिल होते हैं तथा निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। समूह की अध्यक्षता हर छह महीने में इसके पूर्ण सदस्यों के बीच बदलती रहती है।यह यूरोपीय संघ ( ईयू ), उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता ( नाफ्टा ) और आसियान के बाद चौथा सबसे बड़ा एकीकृत बाजार है ।भारत और मर्कोसुर ने 2004 में  एक अधिमान्य व्यापार समझौते (PTA) पर हस्ताक्षर किये।
                              भारत और मार्कोसुर:- एक विश्लेषण
भारत एक उभरती हुई वैश्विक आर्थिक शक्ति है, जो जी20 और ब्रिक्स जैसे मंचों के माध्यम से दक्षिण अमेरिकी देशों, विशेष रूप से मार्कोसुर के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। भारत और मार्कोसुर के बीच संबंध मुख्य रूप से व्यापार, ऊर्जा, कृषि, और रणनीतिक सहयोग पर केंद्रित हैं। दोनों पक्षों ने 2004 में एक प्राथमिक व्यापार समझौता (Preferential Trade Agreement – PTA) पर हस्ताक्षर किए, जो 2009 में लागू हुआ।
मार्कोसुर का भारत के साथ  के संबंध
भारत और मार्कोसुर के बीच संबंध आर्थिक, राजनयिक, और सांस्कृतिक स्तर पर विकसित हो रहे हैं। ये संबंध निम्नलिखित क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं:आर्थिक और व्यापारिक संबंध:भारत और मार्कोसुर के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023 में लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें भारत का निर्यात (लगभग 6 बिलियन डॉलर) और आयात (लगभग 4 बिलियन डॉलर) शामिल है। भारत मार्कोसुर देशों को रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, और कपड़ा निर्यात करता है, जबकि मार्कोसुर से सोयाबीन तेल, कच्चा तेल, चीनी, और खनिज जैसे उत्पाद आयात करता है।उदाहरण: भारत ब्राजील से सोयाबीन तेल और चीनी का एक बड़ा आयातक है, जो मार्कोसुर का हिस्सा है। 2022 में, ब्राजील भारत का सबसे बड़ा सोयाबीन तेल आपूर्तिकर्ता था, जिसने भारत की खाद्य तेल आवश्यकताओं का लगभग 20% हिस्सा पूरा किया।राजनयिक और रणनीतिक संबंध:भारत और मर्कोसुर देश ब्रिक्स, जी20, और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर सहयोग करते हैं। ब्राजील और भारत, दोनों ब्रिक्स सदस्य होने के नाते, वैश्विक शासन और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने में एकजुट हैं।भारत ने मार्कोसुर के साथ रक्षा सहयोग को भी बढ़ावा दिया है, विशेष रूप से ब्राजील के साथ रक्षा उपकरणों और प्रशिक्षण के क्षेत्र में।उदाहरण: 2023 में, भारत और ब्राजील ने रक्षा और साइबर सुरक्षा पर एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की, जो मार्कोसुर के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों को दर्शाता है।सांस्कृतिक और जन-जन संपर्क:मर्कोसुर देशों, विशेष रूप से ब्राजील में, भारतीय संस्कृति, योग, और बॉलीवुड की लोकप्रियता बढ़ रही है। भारत ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए ब्राजील और अर्जेंटीना में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किए हैं।उदाहरण: ब्राजील में “नमस्ते ब्राजील” जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जो भारतीय नृत्य, संगीत और भोजन को प्रदर्शित करते हैं।
मार्कोसुर का भारत के लिए महत्व
मार्कोसुर भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:आर्थिक महत्व:बाजार विस्तार: मर्कोसुर 300 मिलियन से अधिक की आबादी और लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर की संयुक्त जीडीपी वाला एक बड़ा बाजार है। भारत के लिए यह अपने निर्यात (विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल) के लिए एक आकर्षक गंतव्य है।कृषि और खाद्य सुरक्षा: मार्कोसुर देश, विशेष रूप से ब्राजील और अर्जेंटीना, सोयाबीन, मक्का, और मांस जैसे कृषि उत्पादों के विश्व के अग्रणी निर्यातक हैं। ये भारत की खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।ऊर्जा सुरक्षा: मार्कोसुर देशों, विशेष रूप से ब्राजील और वेनेजुएला (हालांकि वेनेजुएला की स्थिति जटिल है), से कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस भारत की ऊर्जा मांग को पूरा करने में सहायक हैं।रणनीतिक महत्व:मार्कोसुर के साथ संबंध भारत की दक्षिण-दक्षिण सहयोग नीति को मजबूत करते हैं, जो वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।यह भारत को दक्षिण अमेरिका में अपनी भू-राजनीतिक उपस्थिति बढ़ाने में मदद करता है, जो पारंपरिक रूप से पश्चिमी देशों और हाल ही में चीन के प्रभाव में रहा है।उदाहरण: भारत ने ब्राजील के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सहयोग शुरू किया है, जिसमें इसरो और ब्राजील की अंतरिक्ष एजेंसी के बीच उपग्रह प्रक्षेपण और डेटा साझा करने पर समझौते शामिल हैं।वैश्विक मंचों पर सहयोग:मार्कोसुर देश, विशेष रूप से ब्राजील, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर भारत के साथ सहयोग करते हैं।उदाहरण: 2023 के जी20 शिखर सम्मेलन में, भारत और ब्राजील ने अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करने के लिए संयुक्त रूप से समर्थन किया।
मार्कोसुर का भारत के लिए चुनौतियाँ
मार्कोसुर के साथ संबंधों को बढ़ाने में भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:भौगोलिक दूरी और रसद लागत:भारत और मार्कोसुर देशों के बीच भौगोलिक दूरी व्यापार लागत को बढ़ाती है, जिससे आयात-निर्यात में प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है।उदाहरण: भारत को ब्राजील से सोयाबीन तेल आयात करने में उच्च परिवहन लागत का सामना करना पड़ता है, जो स्थानीय उत्पादकों की तुलना में महंगा पड़ता है।चीन का प्रभाव:मार्कोसुर देशों में चीन का बढ़ता आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव भारत के लिए एक चुनौती है। चीन मार्कोसुर देशों में बुनियादी ढांचे और निवेश में भारत से आगे है।उदाहरण: 2022 में, चीन मार्कोसुर का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जिसका व्यापार 150 बिलियन डॉलर से अधिक था, जो भारत के व्यापार से कई गुना अधिक है।टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएँ:मार्कोसुर के कुछ देशों में उच्च आयात शुल्क और जटिल व्यापार नियम भारत के निर्यात को सीमित करते हैं।उदाहरण: भारत के फार्मास्यूटिकल्स को अर्जेंटीना में नियामक बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिससे बाजार पहुंच सीमित होती है।आंतरिक अस्थिरता:मार्कोसुर देशों में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता (उदाहरण के लिए, अर्जेंटीना में मुद्रास्फीति और वेनेजुएला में संकट) भारत के साथ दीर्घकालिक व्यापार समझौतों को प्रभावित करती है।उदाहरण: वेनेजुएला के साथ भारत का तेल व्यापार उसकी आंतरिक अस्थिरता के कारण अनिश्चित बना हुआ है।सांस्कृतिक और भाषायी अंतर:भारत और मार्कोसुर देशों के बीच सांस्कृतिक और भाषायी अंतर (स्पेनिश/पुर्तगाली बनाम हिंदी/अंग्रेजी) व्यापार और जन-जन संपर्क में बाधा उत्पन्न करते हैं।
आगे की राह
भारत और मार्कोसुर के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:मुक्त व्यापार समझौता (FTA):भारत और मार्कोसुर को मौजूदा PTA को एक व्यापक FTA में बदलने की दिशा में तेजी से काम करना चाहिए। इससे टैरिफ कम होंगे और व्यापार बढ़ेगा। भारत को अपने फार्मास्यूटिकल्स और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए मार्कोसुर के साथ विशेष व्यापार रियायतों पर बातचीत करनी चाहिए।निवेश और बुनियादी ढांचा:भारत को मार्कोसुर देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए, जैसे कि ब्राजील में बंदरगाह और रेलवे परियोजनाएं, ताकि चीन के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।उदाहरण: भारत की कंपनियां, जैसे टाटा और महिंद्रा, ब्राजील में ऑटोमोबाइल और कृषि उपकरणों के निर्माण में निवेश बढ़ा सकती हैं।ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग:भारत को ब्राजील के साथ जैव-ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा पर सहयोग बढ़ाना चाहिए, क्योंकि ब्राजील इथेनॉल उत्पादन में विश्व नेता है। भारत का अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) मार्कोसुर देशों को शामिल करने के लिए विस्तार कर सकता है।सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान:भारत को मार्कोसुर देशों में भारतीय अध्ययन केंद्र स्थापित करने और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए।मार्कोसुर के छात्रों के लिए भारत में “Study in India” कार्यक्रम को बढ़ावा देना।वैश्विक मंचों पर सहयोग:भारत और मार्कोसुर को जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, और वैश्विक व्यापार नियमों जैसे मुद्दों पर संयुक्त रुख अपनाना चाहिए।भारत और ब्राजील को WTO में कृषि सब्सिडी और व्यापार सुधारों पर मिलकर काम करना चाहिए।
                        इस प्रकार मार्कोसुर और भारत के बीच संबंध आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संभावनाओं से भरे हुए हैं। भारत के लिए मार्कोसुर न केवल एक बड़ा व्यापारिक बाजार है, बल्कि दक्षिण अमेरिका में अपनी भू-राजनीतिक उपस्थिति बढ़ाने का एक अवसर भी है। हालांकि, भौगोलिक दूरी, चीन का प्रभाव, और आंतरिक अस्थिरता जैसी चुनौतियों को दूर करने के लिए रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। एक व्यापक FTA, बढ़ते निवेश, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से भारत और मार्कोसुर अपने संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।

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