परिचय:-
“भारत और नेपाल के बीच धार्मिक एवं सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने और
मजबूत है तथा दोनों देशों को इन संबंधों को और अधिक ऊंचाई तक ले
जाने के लिए काम करना चाहिए।”
:-भारतीय प्रधानमंत्री
भारत और नेपाल के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, सामरिक और पर्यावरणीय आयामों पर आधारित हैं, जो दक्षिण एशिया में भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। दोनों देशों के बीच 1,850 किलोमीटर की खुली सीमा, साझा सांस्कृतिक विरासत, और 1950 की शांति और मित्रता संधि ने इन संबंधों को औपचारिक और गहरा किया है। हालांकि, हाल के वर्षों में सीमा विवाद, क्षेत्रीय भू-राजनीति में बदलाव, और नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव ने इन संबंधों को जटिल बनाया है।
भारत-नेपाल संबंध( विकास के चरण) – India-Nepal Relations
चरण-1:-ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार (प्राचीन काल से 1950 तक)
- विकास:
- भारत और नेपाल के बीच संबंध प्राचीन काल से चले आ रहे हैं, जो हिंदू और बौद्ध धर्म, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यापार पर आधारित थे। लुंबिनी (नेपाल) में भगवान बुद्ध का जन्म और कुशीनगर (भारत) में उनका निर्वाण इन देशों को धार्मिक रूप से जोड़ता है। 18वीं सदी में सुगौली संधि (1816) ने ब्रिटिश भारत और नेपाल के बीच सीमा निर्धारित की, जिसने नेपाल की स्वतंत्रता को बनाए रखा।
- उदाहरण: पशुपतिनाथ मंदिर और लुंबिनी जैसे तीर्थ स्थल भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो सांस्कृतिक एकता को दर्शाते हैं।
- भारत और नेपाल के बीच संबंध प्राचीन काल से चले आ रहे हैं, जो हिंदू और बौद्ध धर्म, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यापार पर आधारित थे। लुंबिनी (नेपाल) में भगवान बुद्ध का जन्म और कुशीनगर (भारत) में उनका निर्वाण इन देशों को धार्मिक रूप से जोड़ता है। 18वीं सदी में सुगौली संधि (1816) ने ब्रिटिश भारत और नेपाल के बीच सीमा निर्धारित की, जिसने नेपाल की स्वतंत्रता को बनाए रखा।
चरण-2:- औपचारिक संबंधों की शुरुआत (1950)
- विकास:
- 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि ने दोनों देशों के बीच औपचारिक संबंधों की नींव रखी। इस संधि ने खुली सीमा, नेपाली नागरिकों को भारत में समान अवसर और व्यापार व पारगमन सुविधाएं प्रदान कीं। यह संधि नेपाल को भारत के माध्यम से वैश्विक व्यापार के लिए मार्ग प्रदान करती थी। हालांकि, कुछ नेपाली इसे ‘असमान’ मानते हैं, क्योंकि यह उनकी संप्रभुता को सीमित करता है।
- उदाहरण: इस संधि के तहत लगभग 60-80 लाख नेपाली भारत में रहते और काम करते हैं, जो आर्थिक और सामाजिक एकीकरण को दर्शाता है।
- 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि ने दोनों देशों के बीच औपचारिक संबंधों की नींव रखी। इस संधि ने खुली सीमा, नेपाली नागरिकों को भारत में समान अवसर और व्यापार व पारगमन सुविधाएं प्रदान कीं। यह संधि नेपाल को भारत के माध्यम से वैश्विक व्यापार के लिए मार्ग प्रदान करती थी। हालांकि, कुछ नेपाली इसे ‘असमान’ मानते हैं, क्योंकि यह उनकी संप्रभुता को सीमित करता है।
चरण-3:-विकास सहायता और बुनियादी ढांचा सहयोग (1950-2000)
- विकास:
- भारत ने नेपाल को बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और जल संसाधनों में सहायता प्रदान की। इस अवधि में सड़क, रेल और जलविद्युत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत ने नेपाली सेना के आधुनिकीकरण और मानव संसाधन विकास में भी योगदान दिया।
- उदाहरण: पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना और कोसी बैराज जैसी परियोजनाएं भारत की सहायता से शुरू हुईं, जो जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग का प्रतीक हैं।
- भारत ने नेपाल को बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और जल संसाधनों में सहायता प्रदान की। इस अवधि में सड़क, रेल और जलविद्युत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत ने नेपाली सेना के आधुनिकीकरण और मानव संसाधन विकास में भी योगदान दिया।
चरण-4:-राजनीतिक और कूटनीतिक उतार-चढ़ाव (2000-2015)
- विकास:
- इस अवधि में भारत-नेपाल संबंधों में कुछ तनाव देखा गया। 2015 में नेपाल के नए संविधान के प्रारूपण में भारत के कथित हस्तक्षेप और ‘अनौपचारिक नाकाबंदी’ ने नेपाल में भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ाया। फिर भी, उच्च-स्तरीय यात्राओं और संयुक्त आयोग की बैठकों ने संबंधों को स्थिर करने में मदद की।
- उदाहरण: 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों में नई गति प्रदान की। उनकी नेपाल संसद में दिए गए भाषण ने नेपाली जनता का विश्वास जीता।
- इस अवधि में भारत-नेपाल संबंधों में कुछ तनाव देखा गया। 2015 में नेपाल के नए संविधान के प्रारूपण में भारत के कथित हस्तक्षेप और ‘अनौपचारिक नाकाबंदी’ ने नेपाल में भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ाया। फिर भी, उच्च-स्तरीय यात्राओं और संयुक्त आयोग की बैठकों ने संबंधों को स्थिर करने में मदद की।
चरण-5:-वर्तमान चरण: ऊर्जा, कनेक्टिविटी और रणनीतिक सहयोग (2015-वर्तमान)
- विकास:
- हाल के वर्षों में भारत और नेपाल ने ऊर्जा, परिवहन और डिजिटल कनेक्टिविटी में सहयोग बढ़ाया है।
- 2023 में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की भारत यात्रा के दौरान दीर्घकालिक विद्युत व्यापार समझौता हुआ, जिसका लक्ष्य 10,000 मेगावाट बिजली आयात करना है।
- रक्सौल-अमलेखगंज तेल पाइपलाइन और काठमांडू-रक्सौल रेल परियोजना जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं।
- भारत ने नेपाल के डिजिटल बुनियादी ढांचे और ई-गवर्नेंस में भी सहायता दी है।
- उदाहरण:लुंबिनी में बौद्ध विहार: 2022 में, भारतीय प्रधानमंत्री ने लुंबिनी में नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ भारत द्वारा सहायता प्राप्त बौद्ध विहार की आधारशिला रखी, जो सांस्कृतिक सहयोग को दर्शाता है।
- विद्युत व्यापार समझौता:
- 2023 में हस्ताक्षरित दीर्घकालिक समझौता भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और नेपाल की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण है।
- सीमा विवाद:
- नेपाल द्वारा 2020 में लिपुलेख और कालापानी को अपने नक्शे में शामिल करने से उत्पन्न तनाव को कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से हल करने के प्रयास जारी हैं।
- सैन्य सहयोग:
- ‘सूर्य किरण’ संयुक्त सैन्य अभ्यास और नेपाली गोरखा सैनिकों की भारतीय सेना में सेवा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करती है।
भारत-नेपाल संबंधों के विभिन्न आयाम
भारत और नेपाल के बीच संबंधों के कई आयाम हैं, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, रक्षा, और भौगोलिक कारकों पर आधारित हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध:-
- साझा सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत:
- भारत और नेपाल हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के साझा मूल्यों से जुड़े हैं। नेपाल में लुंबिनी (बुद्ध का जन्मस्थान) और पशुपतिनाथ मंदिर जैसे तीर्थस्थल भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- उदाहरण: 2022 में, भारतीय प्रधानमंत्री ने लुंबिनी में बौद्ध विहार के निर्माण के लिए आधारशिला रखी, जो भारत की सहायता से बनाया जा रहा है।
- भारत और नेपाल हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के साझा मूल्यों से जुड़े हैं। नेपाल में लुंबिनी (बुद्ध का जन्मस्थान) और पशुपतिनाथ मंदिर जैसे तीर्थस्थल भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- रोटी-बेटी का रिश्ता:
- दोनों देशों के बीच खुली सीमा के कारण लोगों का आवागमन और वैवाहिक संबंध आम हैं।
- उदाहरण: भारत में लगभग 60 लाख नेपाली नागरिक रहते और काम करते हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक एकीकरण का प्रतीक है।
- दोनों देशों के बीच खुली सीमा के कारण लोगों का आवागमन और वैवाहिक संबंध आम हैं।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान:
- भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और मीडिया संगठनों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं,
- जैसे भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा आयोजित कार्यक्रम।
- भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और मीडिया संगठनों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं,
राजनीतिक संबंध:
- दोनों देश शांति एवं मित्रता की संधि (Treaty of Peace and Friendship) के तहत खुली सीमाएँ साझा करते हैं।
- दोनों देश क्षेत्रीय सहयोग के लिए दक्षिण एशियाई संघ (South Asian Association for Regional Cooperation) तथा बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) के भी सदस्य हैं।
नोट:-शांति एवं मित्रता की संधि (Treaty of Peace and Friendship)
- इस पर आधिकारिक तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले नेपाल में तत्कालीन भारतीय राजदूत चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह एवं नेपाल के प्रधानमंत्री मोहन शमशेरे राणा ने हस्ताक्षर किए थे।
- मुद्दा: संधि पर भारत की ओर से किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, जो नेपाल के प्रधानमंत्री की तुलना में समकक्ष पद पर नहीं था, नेपाल ने इसे प्रोटोकॉल के अपमान एवं अनादर के रूप में देखा था।
- नेपाल को संधि के अनुच्छेद-2, 6 एवं 7 पर हमेशा आपत्ति रही है:
- अनुच्छेद-2: इसमें कहा गया है कि दोनों सरकारों को ‘किसी भी पड़ोसी राष्ट्र के साथ किसी भी गंभीर टकराव या गलतफहमी के बारे में एक-दूसरे को सूचित करना चाहिए, जिससे दोनों सरकारों के बीच मौजूद मैत्रीपूर्ण संबंधों में कोई दरार पड़ने की संभावना न बने।’
- अनुच्छेद-6 एवं 7: इसमें कहा गया है कि भारत एवं नेपाल अपने क्षेत्र में एक-दूसरे के नागरिकों को आर्थिक गतिविधियों, रोजगार, निवासी तथा संपत्ति के स्वामित्व के समान विशेषाधिकार देंगे।
सामाजिक संबंध:-
दोनों देशों के बीच विवाह एवं पारिवारिक संबंधों के माध्यम से घनिष्ठ संबंध हैं, जिन्हें ‘रोटी-बेटी का रिश्ता’ के नाम से जाना जाता है।
- ‘रोटी बेटी का रिश्ता’
- एक ऐसे बंधन का प्रतीक है, जो राजनीतिक एवं आर्थिक आयामों से परे, साझा परंपराओं, मूल्यों तथा मानवीय संबंधों में निहित है।
- साझा सांस्कृतिक विरासत
- भारत एवं नेपाल समान त्योहारों, भाषाओं, रीति-रिवाजों तथा परंपराओं के साथ एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं।
- हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म मजबूत सांस्कृतिक तथा धार्मिक संबंध बनाते हैं, काठमांडू में पशुपतिनाथ एवं लुंबिनी में बुद्ध के जन्मस्थान जैसे पवित्र स्थल दोनों देशों के तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं।
- भारत दो विरासत परियोजनाओं, अर्थात् पशुपतिनाथ रिवरफ्रंट डेवलपमेंट (Pashupatinath Riverfront Development) एवं पाटन दरबार में भंडारखाल गार्डन पुनर्स्थापन (Bhandarkhal Garden Restoration) का भी समर्थन कर रहा है।
- अंतर्विवाह
- रिश्ते का ‘बेटी’ पहलू भारतीयों एवं नेपालियों के बीच अंतर्विवाह को संदर्भित करता है, जो मजबूत पारिवारिक संबंधों को बढ़ावा देता है।
- भारत में उत्तर प्रदेश एवं बिहार तथा नेपाल में तराई क्षेत्र जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यक्तियों के बीच विवाह होते हैं, जो सामाजिक बंधनों को और मजबूत करते हैं।
- व्यापार एवं आजीविका
- ‘रोटी’ पहलू आर्थिक रूप से परस्पर निर्भरता का प्रतीक है, जहाँ खुली सीमा के पार व्यापार तथा वाणिज्य आजीविका की सुविधा प्रदान करते हैं।
- कई नेपाली भारत में कार्य करते हैं, दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में योगदान करते हैं, जबकि वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्बाध प्रवाह होता है, जिससे स्थानीय व्यवसायों और समुदायों को लाभ होता है।
आर्थिक और व्यापारिक संबंध:-
- व्यापारिक साझेदारी:
- व्यापार: भारत, नेपाल का प्रमुख व्यापार भागीदार बना हुआ है, जो नेपाल के साथ होने वाले कुल व्यापार का लगभग 60-65% हिस्सा कवर करता है।
- भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, पर्यटकों के लिए शीर्ष स्रोत वाला देश, पेट्रोलियम उत्पादों का एकमात्र आपूर्तिकर्ता एवं कुल विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है।
- भारत, नेपाल के लगभग सभी तीसरे देशों के साथ व्यापार के लिए पारगमन प्रदान करता है एवं भारत में कार्य करने वाले पेंशनभोगियों, पेशेवरों तथा मजदूरों से प्राप्त प्रेषण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रखता है।
- व्यापार: भारत, नेपाल का प्रमुख व्यापार भागीदार बना हुआ है, जो नेपाल के साथ होने वाले कुल व्यापार का लगभग 60-65% हिस्सा कवर करता है।
भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और विदेशी निवेश का स्रोत है। 2018-19 में द्विपक्षीय व्यापार 8.27 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जिसमें भारत का निर्यात 7.76 अरब डॉलर और नेपाल का निर्यात 508 मिलियन डॉलर था।
- निवेश और परियोजनाएं:
- निवेश: भारतीय कंपनियाँ नेपाल में सबसे बड़ी निवेशक हैं, जो कुल स्वीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगभग 40% हिस्सा रखती हैं।
- नेपाल में लगभग 150 भारतीय उद्यम संचालित हैं। वे विनिर्माण, सेवाओं (बैंकिंग, बीमा, ड्राई पोर्ट, शिक्षा एवं दूरसंचार), विद्युत क्षेत्र तथा पर्यटन उद्योगों में लगे हुए हैं।
- भारत ने नेपाल में जलविद्युत, बुनियादी ढांचा और परिवहन क्षेत्र में निवेश किया है। उदाहरण: अरुण-3 जलविद्युत परियोजना के लिए 2019 में भारत ने 1236 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी।
- निवेश: भारतीय कंपनियाँ नेपाल में सबसे बड़ी निवेशक हैं, जो कुल स्वीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगभग 40% हिस्सा रखती हैं।
ऊर्जा और जल संसाधन सहयोग:-
- जलविद्युत परियोजनाएं:
- जल संसाधन:
- नेपाल से भारत तक लगभग 250 छोटी एवं बड़ी नदियाँ प्रवाहित होती हैं और यह गंगा नदी बेसिन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- नेपाल की 83,000 मेगावाट की जलविद्युत क्षमता में से 40,000 मेगावाट व्यवहार्य है, और भारत इसका प्रमुख भागीदार है।
- उदाहरण: पंचेश्वर बहुद्देशीय परियोजना, जिसे 1996 की महाकाली संधि के तहत शुरू किया गया।
- जल संसाधन:
- विद्युत व्यापार:
- भारत नेपाल को 600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करता है, और 2023 में दोनों देशों ने 10,000 मेगावाट बिजली आयात के लिए दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।जलविद्युत उत्पादन एवं वितरण में निवेश में कुल मिलाकर वृद्धि हुई है।
- नदी तटबंध और प्रशिक्षण:
- भारत ने लालबकेया, बागमती और कमला नदियों के तटबंधों को सुदृढ़ करने के लिए नेपाल को 3,284.4 मिलियन नेपाली रुपये की सहायता दी।
- त्रिपक्षीय समझौता:
- जल संसाधनों एवं जलविद्युत में सहयोग से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए वर्ष 2008 में एक त्रिस्तरीय द्विपक्षीय तंत्र स्थापित किया गया था।
- उन्होंने नेपाल, भारत तथा बांग्लादेश के बीच त्रिपक्षीय समझौते के तहत नेपाल को बांग्लादेश को जलविद्युत का निर्यात शुरू करने में भी मदद की है।नेपाल के लिए जलविद्युत क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने एवं उनके निवेश पर रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक था।
- नदी तटबंध और प्रशिक्षण:
- भारत ने लालबकेया, बागमती और कमला नदियों के तटबंधों को सुदृढ़ करने के लिए नेपाल को 3,284.4 मिलियन नेपाली रुपये की सहायता दी।
- पेट्रोलियम:
- दोनों देश भारत के सिलीगुड़ी और नेपाल के झापा तथा अमलेखगंज और चितवन के बीच दो नई पेट्रोलियम पाइपलाइनों के निर्माण पर कार्य कर रहे हैं।
- इन परियोजनाओं की कल्पना वर्ष 2019 में प्रारंभ की गई मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन की सफलता के बाद की गई थी, जो दक्षिण एशिया में पहली सीमा पार पाइपलाइन थी।
- बचत: इससे नेपाल के लिए परिवहन लागत में प्रति वर्ष न्यूनतम 1 अरब रुपये की बचत हुई है। इसके अलावा, ट्रकों के बजाय पाइपलाइनों का उपयोग करने से चोरी, रिसाव एवं देरी से होने वाली बचत भी महत्त्वपूर्ण है।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग
- सैन्य सहयोग:
- भारत नेपाली सेना को आधुनिकीकरण के लिए उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- उदाहरण: ‘सूर्य किरण’ संयुक्त सैन्य अभ्यास, जो 2011 से प्रतिवर्ष आयोजित होता है।
- भारत नेपाली सेना को आधुनिकीकरण के लिए उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- गोरखा सैनिक:
- भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में लगभग 32,000 नेपाली सैनिक सेवा दे रहे हैं। 2016-17 में, भारत ने 1,25,000 सेवानिवृत्त गोरखा सैनिकों को 2796.5 करोड़ रुपये की पेंशन वितरित की।
- आपदा प्रबंधन:
- दोनों देश सामूहिक आपदा प्रतिक्रिया के लिए BIMSTEC के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।
- वर्ष 2015 के दौरान भारत की सहायता की नेपाल ने भी सराहना की है।यह नेपाल में आपदाओं एवं आपात स्थितियों के दौरान हमेशा पहला प्रतिक्रियाकर्ता रहा है।
- भारत ने तत्काल बचाव एवं राहत पैकेज के अलावा, नेपाल को हाल ही में आए भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए 75 मिलियन डॉलर का वित्तीय पैकेज भी प्रदान किया।
कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा
- रेल और सड़क कनेक्टिविटी:
- चूँकि नेपाल एक भू-आबद्ध देश है, यह समुद्र तक पहुँच के लिए भारत पर निर्भर है। दोनों देशों ने रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं एवं नेपाल को हिंद महासागर से जोड़ने हेतु नेपाल में अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करने पर भी कार्य कर रहे हैं।
- इस बात पर भी सहमति हुई है कि नेपाल में भैरहाबा (Bhairahaba) एवं दोधरा-चंदानी(Dodhara-Chandani) में दो अतिरिक्त एकीकृत चेक पोस्ट (Integrated Check Posts- ICPs), जो कार्गो तथा यात्री वाहनों की सुचारू आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में मदद करते हैं, भारत की अनुदान सहायता से बनाए जाएँगे।
- चूँकि नेपाल एक भू-आबद्ध देश है, यह समुद्र तक पहुँच के लिए भारत पर निर्भर है। दोनों देशों ने रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं एवं नेपाल को हिंद महासागर से जोड़ने हेतु नेपाल में अंतर्देशीय जलमार्ग विकसित करने पर भी कार्य कर रहे हैं।
- रेलवे:
- भारत एवं नेपाल के बीच सीमा पार माल ढुलाई रेल चालू हो गई है तथा कई अन्य सीमा पार सड़कें और पुल बनाए जा रहे हैं।
- रक्सौल-काठमांडू रेलवे की व्यवहार्यता अध्ययन कार्य पूरा हो चुका है एवं अयोध्या से जनकपुर तक सीधी रेल सेवा पर विचार किया जा रहा है।
- जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) तक 35 किलोमीटर का क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक शुरू किया गया, जिसे भविष्य में बिजलपुरा और बर्दीबास तक विस्तारित किया जाएगा।
- हवाई संपर्क:
- भारत ने नेपाल के अनुरोध पर जनकपुर, भैरहवा और नेपालगंज से अतिरिक्त हवाई मार्ग प्रदान करने पर सहमति जताई है।
- डिजिटल कनेक्टिविटी:
- नेपाल एवं भारत ने डिजिटल वित्तीय कनेक्टिविटी स्थापित करने एवं बढ़ाने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, नेपाल की यात्रा करने वाले भारतीय अपने मोबाइल फोन के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।
- यह सुविधा व्यापारियों, पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, छात्रों एवं चिकित्सा उपचार के लिए भारत की यात्रा करने वाले लोगों को परेशानी मुक्त भुगतान में मदद करेगी।
- जल्द ही शुरू होने वाला ‘मोबाइल ट्रांसफर तंत्र’ नेपाल एवं भारत के श्रमिकों को अपने संबंधित घरेलू देशों में औपचारिक चैनलों के माध्यम से कमाई (आय) स्थानांतरित करने में मदद करेगा।
- भारत नेपाल के डिजिटल बुनियादी ढांचे और ई-गवर्नेंस पहल को समर्थन दे रहा है।
- नेपाल एवं भारत ने डिजिटल वित्तीय कनेक्टिविटी स्थापित करने एवं बढ़ाने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, नेपाल की यात्रा करने वाले भारतीय अपने मोबाइल फोन के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।
बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग
- क्षेत्रीय संगठन:
- भारत और नेपाल BBIN, BIMSTEC, SAARC और गुटनिरपेक्ष आंदोलन जैसे मंचों पर सहयोग करते हैं।
- उदाहरण: BBIN के तहत मोटर वाहन समझौता क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है।
- भारत और नेपाल BBIN, BIMSTEC, SAARC और गुटनिरपेक्ष आंदोलन जैसे मंचों पर सहयोग करते हैं।
- संयुक्त आयोग:
- भारत-नेपाल संयुक्त आयोग, जिसकी सह-अध्यक्षता दोनों देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा की जाती है, द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा का मंच प्रदान करता है।
लोगों से लोगों का संपर्क शिक्षा और प्रशिक्षण:
- भारत ने नेपाल के लिए कई शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे IIT का सैटेलाइट कैंपस स्थापित करने की पेशकश।
- पर्यटन:
- नेपाल में पशुपतिनाथ और लुंबिनी जैसे धार्मिक स्थल भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करते हैं।
भारत-नेपाल संबंध का महत्त्व:-
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:-
- साझा धार्मिक परंपराएं:
- लुंबिनी और पशुपतिनाथ जैसे स्थल दोनों देशों के लोगों को एकजुट करते हैं। उदाहरण: भारतीय तीर्थयात्रियों की नेपाल यात्रा सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करती है।
- वैवाहिक और सामाजिक संबंध:
- रोटी-बेटी का रिश्ता दोनों देशों के बीच सामाजिक एकता का प्रतीक है। उदाहरण: भारत में रहने वाले लाखों नेपाली प्रवासी।
भौगोलिक और रणनीतिक महत्व:-
- बफर स्टेट:
- चीन के किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ नेपाल एक बफर स्टेट के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार, भारत को अपने पड़ोसी की विस्तारवादी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए नेपाल के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध की आवश्यकता है।
- उदाहरण: कालापानी और लिपुलेख क्षेत्रों में सीमा विवाद भारत की सामरिक चिंताओं को दर्शाते हैं।
- चीन के किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ नेपाल एक बफर स्टेट के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार, भारत को अपने पड़ोसी की विस्तारवादी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए नेपाल के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध की आवश्यकता है।
- खुली सीमा:
- 1,751 किलोमीटर की खुली सीमा दोनों देशों के बीच निर्बाध आवागमन और व्यापार को संभव बनाती है, जो क्षेत्रीय एकीकरण के लिए आवश्यक है।
आर्थिक एवं रणनीतिक महत्व:-
- नेपाल के लिए व्यापारिक केंद्र: भारत नेपाल का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य और आयात स्रोत है।
- उदाहरण: 2013-14 में नेपाल का 66% बाहरी व्यापार भारत के साथ था।
- जलविद्युत क्षमता: नेपाल की जलविद्युत क्षमता भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- उदाहरण: 10,000 मेगावाट बिजली आयात का दीर्घकालिक समझौता।
- नेपाल भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा तथा आर्थिक स्थिरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें प्रेषण का एक प्रमुख स्रोत भी शामिल है।
- यह भारत में धन भेजने वाला सातवाँ सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर प्रदेश एवं बिहार से लेकर ओडिशा तक इसके सबसे गरीब हिस्सों में आजीविका प्रदान करने में मदद करता है।
- भारत की आंतरिक सुरक्षा:
- भारत एवं नेपाल एक खुली सीमा साझा करते हैं, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देती है। सीमा पार लोगों की मुक्त आवाजाही की एक लंबी परंपरा रही है।
- खुली सीमाओं का उपयोग अवैध गतिविधियों जैसे- नकली भारतीय मुद्रा का प्रचलन, मानव तस्करी, NARCO तस्करी, ISI पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादियों की घुसपैठ आदि के लिए भी किया जाता है।
- क्षेत्रीय गतिशीलता:
- व्यापक दक्षिण एशियाई स्थिरता एवं विकास के लिए स्थिर नेपाल-भारत संबंधों का रणनीतिक महत्त्व है।
क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग:-
- क्षेत्रीय स्थिरता:
- भारत और नेपाल का सहयोग SAARC और BIMSTEC जैसे मंचों पर क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देता है। उदाहरण: BBIN मोटर वाहन समझौता।
- चीन के प्रभाव का संतुलन:
- नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत का सहयोग महत्वपूर्ण है। उदाहरण: नेपाल में अमेरिका के साथ समझौते पर भारत की सतर्कता।
कनेक्टिविटी और विकास:-
- बुनियादी ढांचा विकास:
- भारत की सहायता से नेपाल में रेल, सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी परियोजनाएं क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण: जयनगर-कुर्था रेल लिंक।
- शिक्षा और कौशल:
- भारत द्वारा प्रदान किए गए प्रशिक्षण और शैक्षिक अवसर नेपाल के मानव संसाधन विकास में योगदान देते हैं।
भारत-नेपाल संबंधों में गिरावट के कारण और चुनौतियां
1950 की संधि पर असहमति
- असमान संधि का दृष्टिकोण:
- नेपाल 1950 की शांति और मैत्री संधि को असमान मानता है, क्योंकि यह उसकी संप्रभुता को सीमित करता है।
- उदाहरण: नेपाल ने संधि संशोधन की मांग की, लेकिन ठोस सुझाव नहीं दिए।
- नेपाल 1950 की शांति और मैत्री संधि को असमान मानता है, क्योंकि यह उसकी संप्रभुता को सीमित करता है।
संविधान और मधेशी मुद्दा:-
- नेपाल का संविधान 2015:-
- वर्ष 2015 में, नेपाल ने एक नया संविधान लागू किया, जिसमें सत्तारूढ़ पहाड़ी जनजातियों को महत्त्वपूर्ण राजनीतिक विशेषाधिकार प्रदान किए गए, जबकि मधेशियों जैसे मैदानी इलाकों में रहने वाले समुदायों के खिलाफ भेदभाव किया गया।
- संविधान ने मधेशियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने हेतु कठोर शर्तें भी प्रस्तुत कीं।
- वर्ष 2015 में, नेपाल ने एक नया संविधान लागू किया, जिसमें सत्तारूढ़ पहाड़ी जनजातियों को महत्त्वपूर्ण राजनीतिक विशेषाधिकार प्रदान किए गए, जबकि मधेशियों जैसे मैदानी इलाकों में रहने वाले समुदायों के खिलाफ भेदभाव किया गया।
- यह भारत एवं नेपाल के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बन गया, जिसके कारण भारत द्वारा गैस तथा ईंधन आपूर्ति पर नाकेबंदी सहित आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए।
- नेपाल में ‘बदनाम’ मधेशी नेताओं का पक्ष लेने एवं आम नेपाली को प्रभावित करने वाली नाकेबंदी पर भारत की निष्क्रियता को लेकर आलोचना की गई है।
- राजनीतिक परिवर्तन:
- पूर्व में भारत द्वारा 15 महीने की नाकेबंदी के कारण नेपाल में राजनीतिक परिवर्तन हुआ एवं इसके बाद लोकतंत्र का आगमन हुआ।
- आंतरिक राजनीति का प्रभाव:
- नेपाल की बार-बार बदलती सरकारें भारत के साथ संबंधों को प्रभावित करती हैं। उदाहरण: 2022 में प्रचंड का UML के साथ गठबंधन बदलना।
नोट :- मधेशी लोग (Madhesis People)
- मधेशी नेपाल के दक्षिण में तराई क्षेत्र में रहने वाले लोग हैं।
- ये भारत की सीमा के करीब रहते हैं।
- ऐतिहासिक पहलू एवं भारत के साथ संबंध:
- मधेश ऐतिहासिक रूप से बड़े मिथिला क्षेत्र का हिस्सा रहा है।
- तराई के अधिकांश संपन्न लोग भारत में शिक्षित हैं तथा सीमा के दूसरी ओर के लोकतंत्र ने राजनीतिक जागरूकता के स्तर को ऊँचा रखा है।
- वर्ष 1990 के बाद से नेपाल में नियुक्त 11 भारतीय राजदूतों में से अधिकांश बिहार से रहे हैं और उनमें से लगभग आधे नेपाल के तराई क्षेत्र की एक बड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं।
- संदेह: क्षेत्र की राजनीति में उनकी रुचि और प्रत्यक्ष चिंता ने नेपाल में संदेह उत्पन्न किया है।
क्षेत्रीय विवाद :-
- नया मानचित्र:
- इससे पहले, नई दिल्ली और काठमांडू के बीच तनाव तब बढ़ गया था, जब नेपाल ने मई 2020 के मध्य में एक राजनीतिक मानचित्र का अनावरण किया था, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया था।
- कालापानी और लिपुलेख मुद्दा:
- 2020 में नेपाल ने अपने नए नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को शामिल किया, जिससे तनाव बढ़ा।
- सुस्ता क्षेत्र:
- सुस्ता में 145 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर दोनों देशों के दावे अनसुलझे हैं।
- जिन्हें पहले भारत के नवंबर 2019 के मानचित्र में चित्रित किया गया था।
- प्रधानमंत्री प्रचंड के मंत्रिमंडल द्वारा नए करेंसी नोट पर भारत के क्षेत्रों को अपने क्षेत्र का हिस्सा दिखाने वाले मानचित्र को छापने के फैसले पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज कराई और नेपाल में कई लोगों द्वारा इसे भड़काऊ कदम के रूप में देखा जा रहा है।
बढ़ता चीनी प्रभाव
- निवेश:
- वर्ष 2019 में चीन का नए FDI में लगभग 40% और कुल FDI में 90% योगदान रहा, जबकि भारत का FDI 30% रहा।
- उन्नत साझेदारी:
- शी जिनपिंग की यात्रा के दौरान, नेपाल एवं चीन ने अपने संबंधों को सहयोग की व्यापक साझेदारी से लेकर सहयोग की रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया।
- कनेक्टिविटी:-
- वर्ष 2017 में, नेपाल औपचारिक रूप से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) में शामिल हो गया।
- चीन, तिब्बत को नेपाल की राजधानी काठमांडू से जोड़ने वाले 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ट्रांस-हिमालयी रेलवे को भी विकसित कर रहा है।
- चीन एवं नेपाल ने ट्रांस हिमालयन मल्टीडायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क के तहत तिब्बत तथा काठमांडू को जोड़ने वाली एक ऑल वेदर रोड के निर्माण के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
- वर्ष 2017 में, नेपाल औपचारिक रूप से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) में शामिल हो गया।
बिग ब्रदर’ वाला दृष्टिकोण:
- नेपाल में व्यापक धारणा है कि भारत, नेपाल की संप्रभुता का सम्मान नहीं करता है एवं वह अक्सर नेपाल के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करता है। माना जाता है कि भारत इस क्षेत्र में बड़े भाई की भूमिका निभा रहा है।
आर्थिक और व्यापारिक मुद्दे
- निवेश पर अविश्वास:
- नेपाल के निजी क्षेत्र और व्यापार संघ भारतीय निवेश के खिलाफ कार्टेल बनाते हैं।
- उदाहरण: BIPPA पर नेपाल का कम ध्यान।
- नेपाल के निजी क्षेत्र और व्यापार संघ भारतीय निवेश के खिलाफ कार्टेल बनाते हैं।
- पारगमन निर्भरता:
- नेपाल की भारत पर पारगमन निर्भरता उसे असहज करती है।
- उदाहरण: 2015 में मधेसी आंदोलन के दौरान भारत-नेपाल सीमा पर नाकेबंदी।
- नेपाल की भारत पर पारगमन निर्भरता उसे असहज करती है।
द्विपक्षीय संबंधों की सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हालिया पहल:-
भारत और नेपाल ने हाल के वर्षों में संबंधों को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं। निम्नलिखित बिंदु इन पहलों को उदाहरणों सहित दर्शाते हैं:
उच्च स्तरीय यात्राएं
- नेपाल के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा:
- 2023 में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ की चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
- उदाहरण: दीर्घकालिक विद्युत व्यापार समझौता।
- 2023 में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ की चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
- भारतीय प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा:
- 2022 में, भारतीय प्रधानमंत्री ने लुंबिनी का दौरा किया और बौद्ध विहार के निर्माण की आधारशिला रखी।
ऊर्जा और जल संसाधन सहयोग
- दीर्घकालिक विद्युत व्यापार:
- 2023 में, भारत और नेपाल ने 10,000 मेगावाट बिजली आयात के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- पंचेश्वर परियोजना:
- महाकाली संधि के तहत पंचेश्वर बहुद्देशीय परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने पर सहमति।
कनेक्टिविटी परियोजनाएं
- रेल और सड़क विकास:
- जयनगर-कुर्था रेल लिंक का संचालन शुरू हुआ, और इसे बर्दीबास तक विस्तारित करने की योजना है।
- हवाई मार्ग:
- जनकपुर, भैरहवा और नेपालगंज से नए हवाई मार्गों पर चर्चा।
सांस्कृतिक और शैक्षिक पहल
- लुंबिनी में बौद्ध विहार:
- भारत की सहायता से बौद्ध विहार का निर्माण दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करता है।
- IIT सैटेलाइट कैंपस:
- नेपाल के रूपन्देही में IIT का सैटेलाइट कैंपस स्थापित करने की पेशकश।
आपदा प्रबंधन और रक्षा सहयोग
- आपदा प्रबंधन समझौता:
- 2023 में, दोनों देशों ने आपदा प्रबंधन सहयोग के लिए मसौदा SOP का आदान-प्रदान किया।
- सूर्य किरण अभ्यास:
- नियमित सैन्य अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ाता है।
संयुक्त आयोग की बैठकें
- भारत-नेपाल संयुक्त आयोग:
- 2024 में सातवीं बैठक में व्यापार, कनेक्टिविटी और सुरक्षा पर चर्चा हुई।
- नियमित संवाद तंत्र:
- जल संसाधन और व्यापार जैसे मुद्दों पर त्रि-स्तरीय संवाद प्रणाली प्रभावी रही है।
आगे की राह:-
- हैंड-ऑफ नीति में बदलाव:
- नेपाल की राजनीति एवं शासन के साथ भारत का निरंतर जुड़ाव गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांत के खिलाफ है, जो पंचशील सिद्धांत का हिस्सा है।
- भारत को यह भी समझना चाहिए कि व्यावहारिक नीति से नेपाल राजनीतिक रूप से स्थिर एवं आर्थिक रूप से ऊर्जावान बनेगा, जिससे भारत की अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा तथा उसके हिंदी पट्टी की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
- द्विपक्षीय वार्ता:
- दोनों देशों को क्षेत्रीय विवादों एवं आर्थिक सहयोग सहित लंबित द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत और समाधान को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- संप्रभुता का सम्मान:
- गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांतों को कायम रखना एवं एक-दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना विश्वास के पुनर्निर्माण तथा सहकारी संबंध को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
- भारत-नेपाल प्रतिष्ठित व्यक्तियों का समूह:
- दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने मिलकर वर्ष 2017 में आठ सदस्यीय भारत-नेपाल प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह को नामांकित किया था।
- समूह ने अगले वर्ष (2018) अपनी सर्वसम्मति रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया, जिसके कार्यान्वयन से द्विपक्षीय संबंधों को पारदर्शी, आश्वस्त एवं समान साझेदारी की ओर ले जाने की उम्मीद जताई गई थी।
- EPG रिपोर्ट, जिसे वर्ष 2018 में अंतिम रूप दिया गया था, ने प्रमुखता से इस संधि में संशोधन की सिफारिश की थी, लेकिन रिपोर्ट को अभी तक आधिकारिक तौर पर अपनाया नहीं गया है।
- इस प्रकार दोनों देशों को संयुक्त आयोग और अन्य मंचों के माध्यम से नियमित संवाद बनाए रखना चाहिए।
- उदाहरण: 2024 की संयुक्त आयोग बैठक।
- दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने मिलकर वर्ष 2017 में आठ सदस्यीय भारत-नेपाल प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह को नामांकित किया था।
- संस्थागत तंत्र:
- दोनों देश अपने साझा हितों की पूर्ति के लिए BBIN, BIMSTEC, NAAM एवं SAARC जैसे कई महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए संस्थागत तंत्र भी बना सकते हैं।
- उदाहरण: BBIN मोटर वाहन समझौता।
- दोनों देश अपने साझा हितों की पूर्ति के लिए BBIN, BIMSTEC, NAAM एवं SAARC जैसे कई महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए संस्थागत तंत्र भी बना सकते हैं।
- नागरिक संबंध:
- भारत को इस बात की सराहना करने की आवश्यकता है कि दोनों देशों के बीच नागरिक संबंधों में बेहतर जुड़ाव है।
- भारत को एक स्थिर तथा पारस्परिक रूप से उत्पादक राज्य-दर-राज्य संबंध सुनिश्चित करने के लिए इस बहुमूल्य संपत्ति का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
- लोगों से लोगों का संपर्क
- पर्यटन को बढ़ावा:
- दोनों देशों को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए। उदाहरण: लुंबिनी में बौद्ध सर्किट का विकास।
- डिजिटल कनेक्टिविटी:
- भारत को नेपाल के डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता बढ़ानी चाहिए।
- पर्यटन को बढ़ावा:
- आपदा प्रबंधन और रक्षा
- संयुक्त आपदा प्रबंधन:
- दोनों देशों को आपदा प्रबंधन के लिए स्थायी तंत्र विकसित करना चाहिए।
- उदाहरण: 2023 में SOP आदान-प्रदान।
- दोनों देशों को आपदा प्रबंधन के लिए स्थायी तंत्र विकसित करना चाहिए।
- रक्षा सहयोग:
- सूर्य किरण जैसे अभ्यासों को और व्यापक करना चाहिए।
- संयुक्त आपदा प्रबंधन:
भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंध का विश्लेषण:-भारत-नेपाल सीमा विवाद
सीमा विवाद के कारण:-
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- भारत और नेपाल के बीच 1,850 किमी लंबी खुली सीमा पांच भारतीय राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड- के साथ साझा है।
- सीमा विवाद का मूल 1816 की सुगौली संधि में निहित है, जिसने नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच सीमा निर्धारित की थी।
- इस संधि के अनुसार, काली नदी को सीमा के रूप में मान्यता दी गई, लेकिन नदी का उद्गम और मार्ग विवाद का कारण बना।
- भारत को ब्रिटिश शासन से ये क्षेत्र विरासत में मिले, जिसके आधार पर वह अपना दावा करता है।
- कालापानी-लिपुलेख-लिम्पियाधुरा विवाद:
- सबसे प्रमुख विवाद कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को लेकर है, जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भारत-नेपाल-चीन त्रिकोण पर स्थित हैं।
- यह क्षेत्र लगभग 372 वर्ग किमी में फैला है। नेपाल का दावा है कि काली नदी का उद्गम लिम्पियाधुरा से है, जबकि भारत इसे लिपुलेख के पास मानता है।
- 2019 में, भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद नया नक्शा जारी करने पर नेपाल ने आपत्ति जताई और 2020 में अपने नए नक्शे में इन क्षेत्रों को शामिल किया, जिसे उसकी संसद ने सर्वसम्मति से पारित किया।
- सुस्ता विवाद:
- सुस्ता, जो बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है, दूसरा प्रमुख विवादित क्षेत्र है।
- गंडक नदी के मार्ग बदलने के कारण यह क्षेत्र विवाद का केंद्र बना।
- नेपाल का दावा है कि सुस्ता नदी के पश्चिम में है, जो उसका क्षेत्र है, जबकि भारत इसे अपने नियंत्रण में मानता है।
- उदाहरण: 2020 में, भारत द्वारा लिपुलेख दर्रे तक सड़क निर्माण ने नेपाल के विरोध को भड़काया, क्योंकि नेपाल इसे अपने क्षेत्र में मानता है। नेपाल ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला बताया, जिससे द्विपक्षीय तनाव बढ़ा।
इस प्रकार ये विवाद ऐतिहासिक संधियों की अस्पष्टता और भौगोलिक परिवर्तनों से उत्पन्न हुए हैं। कालापानी और सुस्ता जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट सीमांकन का अभाव दोनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण है।
सीमा विवाद: चुनौती के रूप में:-
- राजनीतिक तनाव:
- सीमा विवाद ने भारत-नेपाल संबंधों में तनाव को बढ़ाया है। नेपाल में कुछ समूह 1950 की संधि को असमान मानते हैं और इसे भारत के प्रभुत्व के प्रतीक के रूप में देखते हैं। 2015 में मधेशी आंदोलन के दौरान नेपाल ने भारत पर सीमा नाकाबंदी का आरोप लगाया, जिसने दोनों देशों के बीच अविश्वास को गहरा किया।
- चीन का प्रभाव:
- नेपाल में चीन के बढ़ते निवेश और बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) में उसकी भागीदारी ने भारत के लिए चुनौती खड़ी की है।
- नेपाल ने चीन के साथ व्यापार और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बढ़ावा दिया है, जिसे भारत नेपाल पर अपनी पकड़ कम होने के रूप में देखता है।
- उदाहरण के लिए, 2017 में नेपाल ने चीन के साथ BRI समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारत सतर्क हो गया।
- राष्ट्रीयता और आंतरिक राजनीति:
- नेपाल में सीमा विवाद को राष्ट्रीयता के मुद्दे के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे भारत विरोधी भावनाएँ भड़कती हैं।
- 2020 में नेपाल के नए नक्शे को संसद द्वारा पारित करना इसका उदाहरण है। नेपाल के नेताओं ने इसे अपनी संप्रभुता का प्रतीक बनाया, जिसने भारत के साथ बातचीत को जटिल किया।
- नेपाल में सीमा विवाद को राष्ट्रीयता के मुद्दे के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिससे भारत विरोधी भावनाएँ भड़कती हैं।
- सीमा प्रबंधन:
- खुली सीमा के कारण तस्करी, मानव तस्करी और अवैध गतिविधियाँ बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भारत-नेपाल सीमा पर 2,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की, जो नार्को-आतंकवाद का संकेत है।
- कूटनीतिक मंचों में बाधा:
- क्षेत्रीय सहयोग मंचों जैसे सार्क और बिम्सटेक में भारत-नेपाल सहयोग प्रभावित हुआ है। नेपाल की आंतरिक अस्थिरता और भारत विरोधी भावनाएँ इन मंचों में सहयोग को कमजोर करती हैं।
इस प्रकार सीमा विवाद ने भारत-नेपाल संबंधों को बहुआयामी चुनौतियों का सामना कराया है, जिसमें राजनीतिक अविश्वास, तीसरे पक्ष का प्रभाव, और सुरक्षा संबंधी मुद्दे शामिल हैं। इन चुनौतियों का समाधान कूटनीति और आपसी विश्वास के बिना कठिन है।
सीमा विवाद के निहितार्थ:-
- द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव:
- सीमा विवाद ने भारत-नेपाल के बीच विश्वास की कमी को बढ़ाया है। 2020 में नेपाल के नए नक्शे और भारत की सड़क निर्माण परियोजना ने दोनों देशों के बीच तनाव को उजागर किया। इससे उच्च-स्तरीय वार्ताएँ प्रभावित हुईं।
- क्षेत्रीय सुरक्षा:
- कालापानी क्षेत्र भारत-चीन-नेपाल त्रिकोण पर स्थित है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। भारत इसे अपनी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानता है, विशेष रूप से 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद। नेपाल का चीन के साथ बढ़ता सहयोग भारत के लिए चिंता का विषय है। उदाहरण के लिए, लिपुलेख दर्रे पर चीन के साथ नेपाल की व्यापार सहमति ने भारत को सतर्क किया।
- आर्थिक सहयोग पर प्रभाव:
- सीमा विवाद ने व्यापार और निवेश को प्रभावित किया है। 2015 की मधेशी नाकाबंदी ने नेपाल में भारत से आयातित वस्तुओं की कमी पैदा की, जिससे उसने चीन की ओर रुख किया। 2018-19 में भारत-नेपाल व्यापार 8.27 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, लेकिन विवादों ने इसे और बढ़ाने की संभावनाओं को सीमित किया।
- सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध:
- रोटी-बेटी के रिश्ते के बावजूद, भारत विरोधी भावनाएँ नेपाल में बढ़ी हैं। नेपाल में कुछ समूह भारत को हस्तक्षेपकारी मानते हैं, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रभावित हुआ। उदाहरण के लिए, 2016 में नेपाल की राष्ट्रपति की भारत यात्रा रद्द होने से संबंधों में तनाव आया।
- क्षेत्रीय मंचों पर प्रभाव:
- भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और क्षेत्रीय मंचों जैसे बिम्सटेक और सार्क में नेपाल की भागीदारी कमजोर हुई है। नेपाल की चीन की ओर झुकाव ने क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित किया।
इस प्रकार सीमा विवाद के निहितार्थ व्यापक हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय सुरक्षा, और आर्थिक सहयोग को प्रभावित करते हैं। यह भारत की क्षेत्रीय प्रभावशीलता और नेपाल की संप्रभुता के बीच संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता है।
सीमा विवाद समाधान के उपाय:-
- कूटनीतिक वार्ता:
- भारत और नेपाल को संयुक्त सीमा कार्य समूह (Boundary Working Group) के माध्यम से नियमित वार्ता आयोजित करनी चाहिए।
- 2014 में पीएम मोदी की नेपाल यात्रा के दौरान कालापानी और सुस्ता विवादों के समाधान के लिए ऐसा समूह गठित करने पर सहमति हुई थी, लेकिन इसकी प्रगति धीमी रही। इसे तेज करना चाहिए।
- भारत और नेपाल को संयुक्त सीमा कार्य समूह (Boundary Working Group) के माध्यम से नियमित वार्ता आयोजित करनी चाहिए।
- ऐतिहासिक दस्तावेजों का उपयोग:
- सुगौली संधि और ब्रिटिश सर्वेक्षण मानचित्रों (1819, 1821, 1827, 1856) का उपयोग कर काली नदी के उद्गम को स्पष्ट करना चाहिए।
- दोनों देशों को संयुक्त तकनीकी समिति बनाकर नक्शों और दस्तावेजों की समीक्षा करनी चाहिए।
- क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा:
- भारत को नेपाल के साथ आर्थिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, 2023 में दोनों देशों ने 10,000 मेगावाट बिजली आयात के लिए दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। ऐसी परियोजनाएँ विश्वास निर्माण में मदद कर सकती हैं।
- भारत को नेपाल के साथ आर्थिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
- सीमा प्रबंधन:
- खुली सीमा पर तस्करी और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए संयुक्त गश्त और तकनीकी निगरानी (ड्रोन, रडार) को बढ़ावा देना चाहिए।
- भारत ने नेपाल को लालबकेया और बागमती नदियों के तटबंधों के लिए 3,284.4 मिलियन नेपाली रुपये की सहायता दी, जो सहयोग का उदाहरण है।
- खुली सीमा पर तस्करी और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए संयुक्त गश्त और तकनीकी निगरानी (ड्रोन, रडार) को बढ़ावा देना चाहिए।
- लोगों से लोगों के संपर्क:
- सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करने के लिए पशुपतिनाथ मंदिर जैसे साझा धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
- भारत ने नेपाल में बौद्ध विहार निर्माण के लिए सहायता दी, जो सकारात्मक कदम है।
- सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करने के लिए पशुपतिनाथ मंदिर जैसे साझा धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
इस प्रकार सीमा विवाद का समाधान कूटनीति, ऐतिहासिक तथ्यों, और आर्थिक सहयोग के माध्यम से संभव है। भारत को ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत नेपाल की संप्रभुता का सम्मान करते हुए विश्वास निर्माण करना चाहिए।
निष्कर्ष:-
भारत-नेपाल संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत हैं, लेकिन सीमा विवाद जैसे कालापानी और सुस्ता ने इनमें तनाव पैदा किया है। ये विवाद राजनीतिक, आर्थिक, और क्षेत्रीय चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं, जिनके निहितार्थ दोनों देशों के लिए गंभीर हैं। कूटनीतिक वार्ता, संयुक्त तकनीकी समितियाँ, और आर्थिक सहयोग जैसे उपायों से इनका समाधान संभव है। भारत को अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति को मजबूत करते हुए नेपाल के साथ विश्वास और सहयोग बढ़ाना चाहिए।
स्रोत:- PIB (भारत सरकार विदेश मंत्रालय), THE HINDU, टाइम्स ऑफ इंडिया
यूपीएससी मुख्य परीक्षा:- सामान्य अध्ययन-II :- भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध
(विवेक यादव )