a. भारत में नगर निगम: संरचनात्मक सुधार और राजकोषीय स्थिरता
लेख का प्रसंग:-
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नगरपालिका वित्त पर 2024 की रिपोर्ट में यह उजागर हुआ है कि भारत के नगर निगमों के राजकोषीय व्यवहार में उल्लेखनीय बदलाव आया है। वर्ष 2023–24 में उनकी कुल आय का 50% से अधिक हिस्सा अपने कर एवं गैर-कर स्रोतों से प्राप्त होने का अनुमान है। यह प्रवृत्ति शहरी निकायों में राजकोषीय आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। फिर भी राज्यों के बीच असमानता, पुरानी कर व्यवस्था और अनुदानों पर निर्भरता नगर निगमों की स्थिरता व शहरी शासन के लिए चुनौती बनी हुई है।
UPSC पेपर से संबंध:-
- GS पेपर II – स्थानीय शासन, शक्तियों और वित्त का विकेंद्रीकरण
- GS पेपर II – संवैधानिक प्रावधान: 74वाँ संशोधन
- GS पेपर III – शहरीकरण, अवसंरचना और नगरपालिका वित्त सुधार
- GS पेपर III – आपदा प्रबंधन और शहरी लचीलापन
लेख के आयाम:-
- 74वाँ संशोधन: कानूनी एवं संवैधानिक पृष्ठभूमि
- 2019–24 में नगरपालिका राजस्व के स्रोतों की प्रवृत्ति
- RBI की नगरपालिका वित्त रिपोर्ट (2025) के निष्कर्ष
- राज्यवार प्रदर्शन – आंतरिक राजस्व सृजन
- संपत्ति कर एवं गैर-कर संग्रहण की चुनौतियाँ
- जीएसटी का प्रभाव एवं अनुदानों पर निर्भरता
- संरचनात्मक और वित्तीय सुधार की आवश्यकता
खबर में क्यों ?:-
RBI की 2024 की रिपोर्ट “नगर निगमों में आंतरिक राजस्व सृजन: अवसर और चुनौतियाँ” ने वर्ष 2019–20 से 2023–24 तक 232 नगर निगमों का अध्ययन किया। रिपोर्ट के अनुसार, संपत्ति कर, उपयोग शुल्क और फीस जैसे आंतरिक स्रोतों से FY24 (बजट अनुमान) में कुल आय का लगभग 50% प्राप्त हुआ। यह पिछले वर्षों की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार है, जब अधिकतर शहरी निकाय अनुदानों और अंतरण पर निर्भर थे।
- कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्यों ने आंतरिक राजस्व जुटाने में बेहतर प्रदर्शन किया। इसके पीछे बेहतर कर संग्रहण तंत्र, डिजिटल व्यवस्था और नगरपालिका स्तर पर नीति-स्वायत्तता जैसे कारण रहे।
समाचार की विशेषताएँ:-
1. संवैधानिक और कानूनी ढाँचा:-
- 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भाग IX-A (अनुच्छेद 243P–243ZG) जोड़ा गया, जिसने शहरी स्थानीय शासन को औपचारिक मान्यता दी।
- अनुच्छेद 243X राज्यों को यह अधिकार देता है कि वे नगरपालिकाओं को कर, टोल, शुल्क लगाने और राज्य राजस्व के हिस्से आवंटित करने की अनुमति दें।
- अनुच्छेद 243-I के अंतर्गत राज्य वित्त आयोग (SFC) का गठन प्रत्येक पाँच वर्ष में किया जाना चाहिए, किंतु कई राज्य इसे टालते या नजरअंदाज करते हैं।
2. राजकोषीय प्रवृत्ति: 2019–2024:-
- 1. नगर निगमों का स्वयं का राजस्व (OSR) FY20 में कुल आय का 43% था, जो FY24 में बढ़कर लगभग 50% हुआ।
- 2. केंद्र व राज्य से मिले अनुदान लगभग 25% और शेष 25% किराए, मुआवज़े, निवेश व ऋण से आए।
3. सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य (2023–24):-
- कर्नाटक (74%)
- तेलंगाना (68%)
- तमिलनाडु (65%)
राष्ट्रीय औसत अब भी वैश्विक साथियों (जैसे ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका) से कम है, जहाँ स्थानीय सरकारें राष्ट्रीय GDP का 6–7% नियंत्रित करती हैं।
- संपत्ति कर: नगरपालिका राजस्व की धुरी
- RBI रिपोर्ट के अनुसार संपत्ति कर प्रशासन में बड़ी कमियाँ हैं:
- उत्तर और पूर्वी राज्यों में मूल्यांकन तंत्र कमजोर
- कर दरों की समय-समय पर पुनरीक्षा में देरी
- 40% से अधिक नगरपालिकाओं में अब भी मैनुअल रिकॉर्ड प्रणाली
- पुणे, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों ने GIS-आधारित मैपिंग और डिजिटल पोर्टल अपनाए, जिससे अनुपालन और संग्रह दोनों में सुधार हुआ।
4. GST का प्रभाव और अनुदानों पर निर्भरता:-
- GST से पहले ऑक्ट्रॉय और प्रवेश कर जैसे स्रोत प्रमुख स्थानीय आय के साधन थे, जिन्हें अब समाहित कर लिया गया है।
- 15वें वित्त आयोग (2021–26) ने स्थानीय निकायों के लिए ₹4.36 लाख करोड़ अनुदान की सिफारिश की थी, परंतु नगरपालिकाओं को इसका 30% से भी कम प्राप्त हुआ, अधिकांश हिस्सा ग्रामीण निकायों को मिला।
- अनुदान वितरण में बाधाएँ बनी रहती हैं – जैसे लेखा-परीक्षित खाते, ऑनलाइन पोर्टल और प्रदर्शन मानकों की अनुपालना न होना।
विश्लेषण:-
1. स्वयं के राजस्व (OSR) में वृद्धि क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- अनुदानों पर निर्भरता में कमी:-
- OSR बढ़ने से नगरपालिकाएँ राज्य/केंद्र के अनिश्चित अनुदानों पर निर्भर नहीं रहतीं, जिससे वे दीर्घकालिक योजनाएँ बना सकती हैं।
- नागरिक जवाबदेही:-
- जब स्थानीय कर सीधे नागरिकों से आते हैं, तो पारदर्शिता व सेवा प्रदायगी की माँग बढ़ती है।
- पूंजी निवेश और बॉन्ड जारी करने की क्षमता:–
- मजबूत OSR से नगरपालिकाएँ नगरपालिका बॉन्ड व ऋण के जरिए बुनियादी ढाँचे में निवेश कर सकती हैं।
- स्थानीय लचीलापन और जोखिम प्रबंधन:–
- अधिक राजस्व से वे आपदा प्रबंधन, हरित अवसंरचना और जलवायु अनुकूलन की योजना स्वयं बना सकती हैं।
2. संपत्ति कर दक्षता बढ़ाने के सुधार:-
- ARV से CVS की ओर बदलाव: Annual Rental Value प्रणाली पुरानी और कम प्रभावी है। Capital Value System बाजार आधारित और अधिक यथार्थवादी है।
- GIS-आधारित मैपिंग: बेंगलुरु में GIS से संपत्ति कर आधार 25% बढ़ा।
- मुद्रास्फीति-सूचकांक से स्वतः समायोजन: कर दरें स्वचालित रूप से महँगाई से जुड़ी हों तो राजस्व स्थिर रहता है।
- यूटिलिटी डेटाबेस से क्रॉस-वेरिफिकेशन: बिजली-पानी कनेक्शन से जुड़ाव कर कर-चोरी रोकी जा सकती है।
3. गैर-कर राजस्व की चुनौतियाँ:-
- सेवा शुल्क कम: पानी, कचरा प्रबंधन, परिवहन आदि की वास्तविक लागत वसूल नहीं होती।
- राजनीतिक हिचकिचाहट: चुनावी नुकसान के डर से शुल्क नहीं बढ़ाए जाते।
- संग्रहण तंत्र अक्षम: अभी भी मैनुअल बिलिंग और नकद संग्रह प्रमुख है।
- लागत वसूली का अभाव: कई क्षेत्रों में O&M लागत तक नहीं निकलती, जिससे सेवा गुणवत्ता गिरती है।
निष्कर्ष:-
RBI की 2024 की रिपोर्ट सावधानीपूर्ण आशावाद प्रस्तुत करती है—भारतीय नगर निगम धीरे-धीरे वित्तीय स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहे हैं। किंतु सतत् शहरी शासन के लिए गहरे सुधार आवश्यक हैं:
- 1. राज्य वित्त आयोगों (SFCs) का नियमित गठन व कार्यान्वयन
- 2. संपत्ति कर व्यवस्था का पुनरीक्षण और सरलीकरण
- 3. कर मूल्यांकन व संग्रह में डिजिटल शासन और पारदर्शिता
- 4. नगरपालिका बॉन्ड से पूंजी जुटाने में सुगमता
- 5. प्रदर्शन-आधारित शहरी अनुदान आवंटन
- 6. महापौरों और शहरी कार्यकारियों को वित्तीय स्वायत्तता व प्रशिक्षण
यदि भारत का शहरीकरण समावेशी, लचीला और टिकाऊ होना है तो उसके लिए वित्तीय रूप से सशक्त और जवाबदेह नगर निगम अनिवार्य होंगे।