d. रेलवे संशोधन विधेयक, 2024 और ऑयलफील्ड्स संशोधन विधेयक: संसाधन शासन
विद्यार्थियों के लिए नोट्स
लेख की पृष्ठभूमि:-
10 मार्च 2025 को संसद में रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया, जिसके तहत औपनिवेशिक काल के इंडियन रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को निरस्त कर उसकी धाराओं को रेलवे अधिनियम, 1989 में समाहित किया गया। इसका घोषित उद्देश्य कानूनी ढांचे को सरल बनाना और प्रशासन को सुव्यवस्थित करना है।
- इसी समानांतर, तेलक्षेत्र शासन में प्रस्तावित सुधार ऑयलफील्ड्स (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 में संशोधन लाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि राजस्व-साझेदारी मॉडल को बेहतर बनाया जा सके, निजी निवेश आकर्षित किया जा सके और नियामक वातावरण को मजबूत किया जा सके।
- ये दोनों सुधार मिलकर सरकार की उस रणनीति को दर्शाते हैं जिसमें भारत के संसाधन शासन ढांचे — परिवहन अवसंरचना और ऊर्जा उत्खनन — को आधुनिक बनाने का लक्ष्य है।
यह विषय UPSC पेपर से संबंधित है:-
- GS पेपर-II: शासन – सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप
- GS पेपर-III: अवसंरचना – रेलवे और ऊर्जा
- GS पेपर-III: भारतीय अर्थव्यवस्था – संसाधन प्रबंधन और सार्वजनिक निवेश
- GS पेपर-II: संघवाद और संसाधन वितरण
लेख के आयाम:-
- परिवहन शासन में केन्द्रीकरण बनाम विकेंद्रीकरण
- भारतीय रेल में नियामकीय बाधाएँ
- रेलवे जोनों की संस्थागत और राजकोषीय स्वायत्तता
- माल, टर्मिनल और तेलक्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भूमिका
- बिजली और दूरसंचार नियमन से तुलनात्मक सबक
चर्चा में क्यों ?:-
रेलवे संशोधन विधेयक, 2024 ने 1905 के अधिनियम को समाप्त कर 1989 अधिनियम में सम्मिलित किया है। यह कदम प्रक्रियात्मक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे रेलवे के केन्द्रित शासन मॉडल को ही बरकरार रखा गया है, जो एक सरकारी एकाधिकार है।
- कई समितियों की विकेंद्रीकरण और निगमकरण की सिफारिशों के बावजूद नया कानून किसी संरचनात्मक सुधार को लागू नहीं करता।
- तेल और गैस क्षेत्र में, ऑयलफील्ड्स (संशोधन) विधेयक 2025 के अंत में पेश किया जाना संभावित है। इसमें राजस्व-साझेदारी मॉडल अपनाने, लाइसेंसिंग में देरी घटाने और वैश्विक मानकों के अनुरूप खोज नीति को ढालने की योजना है। ये सुधार भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता लक्ष्यों और Ease of Doing Business में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
समाचार की विशेषताएँ:-
रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024:-
- 1. इंडियन रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को निरस्त कर रेलवे अधिनियम, 1989 में समाहित किया गया।
- 2. रेलवे बोर्ड की शक्तियों को संहिताबद्ध किया गया, जिनमें शामिल हैं:
- सदस्यों की संख्या और नियुक्ति
- योग्यता और सेवा की शर्तें
- 3. जोनल स्तर पर सीमित वित्तीय स्वायत्तता रखते हुए, केन्द्रित ढाँचे को बरकरार रखा गया।
प्रस्तावित ऑयलफील्ड्स संशोधन:-
- 1. ऑयलफील्ड्स (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 की पुरानी धाराओं को बदलने की संभावना।
- 2. मुख्य बिंदु:-
- राजस्व-साझेदारी अनुबंध (लाभ-साझेदारी के स्थान पर)
- लालफीताशाही में कमी
- सिंगल-विंडो व्यवस्था के तहत नियामक स्पष्टता
- निजी और विदेशी निवेश में वृद्धि
व्याख्या:-
1. रेलवे संशोधन विधेयक का उद्देश्य:-
- इस विधेयक का मकसद 1905 के औपनिवेशिक अधिनियम को समाप्त कर उसकी धाराओं को रेलवे अधिनियम, 1989 में मिलाना है। इससे कानूनी ढाँचा सरल होगा और रेलवे प्रशासन के लिए एक एकीकृत वैधानिक आधार तैयार होगा।
- विधेयक रेलवे बोर्ड को सर्वोच्च प्राधिकरण के रूप में पुनः स्थापित करता है और उसकी शक्तियों को परिभाषित करता है, लेकिन कोई संरचनात्मक सुधार नहीं करता। जबकि बीते दो दशकों में विशेषज्ञ समितियों ने:
- रेलवे का निगमीकरण
- स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण की स्थापना
- जोनों को वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता जैसे सुधार सुझाए थे।
2. भारतीय रेल के केंद्रीकृत मॉडल की चुनौतियाँ:-
- अत्यधिक केन्द्रीकरण: रेलवे बोर्ड बजट, परियोजना स्वीकृति और मानव संसाधन का पूरा नियंत्रण रखता है।
- जोन की सीमित स्वायत्तता: वे केवल क्रियान्वयन एजेंसियों के रूप में कार्य करते हैं।
- क्रॉस-सब्सिडी समस्या: यात्री किराए कम रखने के लिए मालभाड़ा महँगा किया जाता है, जिससे सड़क परिवहन प्रतिस्पर्धी बन जाता है।
- संचालन अक्षमता:-
- मालगाड़ियों की औसत गति केवल 36–40 किमी/घंटा।
- प्रमुख कॉरिडोर पर भीड़भाड़।
- 70% से अधिक राजस्व वेतन और पेंशन में खर्च होता है।
3. सुझाए गए लेकिन लागू न हुए सुधार:-
- शासन: रेलवे का निगमकरण; रेलवे बोर्ड को केवल नीतिगत भूमिका देना।
- नियमन: रेल विकास प्राधिकरण (RDA) की स्थापना।
- वित्त: जोन-वार लाभ-हानि लेखांकन; यात्री किराए का यथार्थपरक निर्धारण।
- संचालन: स्टेशनों, टर्मिनलों, कैटरिंग जैसे गैर-प्रमुख कार्यों में PPP मॉडल।
4. माल ढुलाई मॉडल में सुधार की आवश्यकता:-
- राजस्व का 65% मालभाड़े से आता है।
- समस्याएँ:-
- मालभाड़ा महँगा, सेवा धीमी और अविश्वसनीय।
- कार्गो संरचना केवल थोक वस्तुओं (कोयला, लोहा, सीमेंट) पर निर्भर।
- योजना:-
- समर्पित माल कॉरिडोर
- एकीकृत लॉजिस्टिक टर्मिनल
- मल्टीमॉडल फ्रेट पार्क
5. तेलक्षेत्र सुधार का महत्व:-
- राजस्व-साझेदारी अनुबंध (RSC): पारदर्शी और विवाद-मुक्त मॉडल।
- एकीकृत लाइसेंसिंग: तेल, गैस, शेल, कोल-बेड मीथेन सबके लिए एक अनुबंध।
- अन्य सुधारों से सामंजस्य:-
- MMDR अधिनियम संशोधन (2015) – पारदर्शी नीलामी
- HELP नीति – Open Acreage और मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता
- महत्व:-
- 85% से अधिक तेल आयात पर निर्भरता घटाना।
- वैश्विक ऊर्जा कंपनियों का निवेश आकर्षित करना।
- ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष:-
रेलवे संशोधन विधेयक, 2024 कानूनी दृष्टि से आवश्यक था, लेकिन इसने शासन ढांचे का आधुनिकीकरण नहीं किया। वहीं ऑयलफील्ड्स संशोधन विधेयक अगर पारित होता है तो ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता और निवेश आकर्षण की दिशा में परिवर्तनकारी कदम होगा।
- भारत को केवल प्रक्रियात्मक सुधारों से आगे बढ़कर संस्थागत रूपांतरण की ओर बढ़ना होगा।
सुझाव:-
- रेलवे विकास प्राधिकरण को तुरंत क्रियाशील करना।
- जोनों को वित्तीय स्वायत्तता और जवाबदेही देना।
- यात्री और माल किराए का लागत-आधारित निर्धारण।
ऑयलफील्ड्स संशोधन विधेयक को शीघ्र पारित कर प्रतिस्पर्धात्मक नीलामी और नियामकीय स्थिरता सुनिश्चित करना।तभी भारत की महत्वपूर्ण अवसंरचना और ऊर्जा क्षेत्र 21वीं सदी की शासन आवश्यकताओं के अनुरूप ढल पाएंगे।