छात्रों के लिए नोट्स
लेख की पृष्ठभूमि:-
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) साइबर सुरक्षा को रक्षात्मक और आक्रामक दोनों आयामों में बदल रही है। जहाँ एआई साइबर डिफेंस को मज़बूत कर रहा है, वहीं इसका दुरुपयोग बढ़ते हुए परिष्कृत साइबर हमलों के लिए भी किया जा रहा है। एआई और साइबर युद्ध का यह संगम राष्ट्रीय सुरक्षा, शासन और वैश्विक डिजिटल व्यवस्था के लिए जटिल चुनौतियाँ खड़ा कर रहा है।
UPSC GS पेपर से संबद्ध विषय:-
- जीएस पेपर-III – आंतरिक सुरक्षा:-
- साइबर सुरक्षा
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी – विकास और उनके अनुप्रयोग
- आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में प्रौद्योगिकी की भूमिका
लेख के आयाम:-
- साइबर सुरक्षा और खतरों में एआई की भूमिका
- एआई-संचालित साइबर हमलों की बढ़ोतरी
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरती रणनीतियाँ
- भारत की तैयारी और नीतिगत ढाँचा
- नैतिक और शासन संबंधी मुद्दे
- महत्वपूर्ण अवसंरचना में तकनीकी कमजोरियाँ
- आगे की राह और वैश्विक सहयोग
वर्तमान संदर्भ:-
2024 में, NATO और Interpol जैसी वैश्विक एजेंसियों ने एआई-आधारित साइबर खतरों पर चिंता जताई, जैसे डीपफेक फ़िशिंग, एआई-एन्क्रिप्टेड मालवेयर और स्वायत्त हैकिंग सिस्टम। भारत में भी वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्र की अवसंरचना पर एआई-आधारित टूल्स से साइबर हमले दर्ज किए गए। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और CERT-In ने राष्ट्रीय साइबर लचीलापन बढ़ाने हेतु सहयोगी ढाँचे शुरू किए हैं।
समाचार की विशेषताएँ:-
- एआई द्वारा तैयार किए गए फ़िशिंग ईमेल और गलत सूचना के लिए सिंथेटिक मीडिया में वृद्धि
- ऐसा एआई-संचालित मालवेयर जो रीयल-टाइम में सुरक्षा को दरकिनार कर सकता है
- बड़े भाषा मॉडल्स (LLMs) का उपयोग स्वचालित सिस्टम कमजोरियों के दोहन के लिए
- एआई-सहायता प्राप्त साइबर सुरक्षा प्रणालियों की वैश्विक मांग
- भारत की पहल: राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति (ड्राफ्ट), डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023, और टेक कंपनियों के साथ सहयोग
प्रश्नोत्तर:-
प्रश्न 1. 2024 में एआई का उपयोग साइबर हमलों के लिए कैसे किया जा रहा है?
- एआई का उपयोग अनुकूली मालवेयर तैयार करने, विश्वसनीय डीपफेक कंटेंट बनाने और सोशल इंजीनियरिंग को स्वचालित करने में हो रहा है।
- साइबर अपराधी जनरेटिव एआई का इस्तेमाल करके व्यक्तिगत फ़िशिंग संदेश तैयार कर रहे हैं, जो परिचित व्यक्तियों की भाषा और शैली की नकल करते हैं। एआई सिस्टम कमजोरियों की पहचान भी पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से कर लेता है।
प्रश्न 2. महत्वपूर्ण अवसंरचना पर एआई-आधारित साइबर खतरों के क्या प्रभाव हैं?
- एआई ऊर्जा ग्रिड, दूरसंचार और बैंकिंग प्रणाली पर लक्षित हमले सक्षम कर रहा है। उदाहरण के लिए, मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म ट्रैफ़िक पैटर्न का विश्लेषण कर सिस्टम के डाउनटाइम का फायदा उठा सकते हैं।
- एआई शून्य-दिन (Zero-day) कमजोरियों को पारंपरिक मानव-आधारित तरीकों से कहीं तेज़ गति से खोजकर हथियारबंद कर रहा है।
प्रश्न 3. वैश्विक संगठन एआई-आधारित साइबर खतरों का सामना कैसे कर रहे हैं?
- संयुक्त राष्ट्र, NATO और OECD जैसी संस्थाएँ जिम्मेदार एआई उपयोग हेतु मानक और संधियाँ बनाने पर काम कर रही हैं।
- यूरोपीय संघ का AI Act साइबर अपराधों में एआई उपयोग पर प्रतिबंध की धाराएँ रखता है। AI Cybersecurity Coalition जैसी तकनीकी साझेदारियाँ लचीली प्रणालियाँ बनाने और खतरे से संबंधित सूचनाएँ साझा करने पर केंद्रित हैं।
प्रश्न 4. भारत की नीति-प्रतिक्रिया क्या है?
- भारत ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति का प्रस्ताव रखा है, जिसमें साइबर डिफेंस में एआई को शामिल करने पर बल दिया गया है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 लागू किया गया है और CERT-In की क्षमताओं को मज़बूत किया जा रहा है।
- भारत क्वाड और हिंद-प्रशांत साझेदारों के साथ साइबर ड्रिल्स में भी भाग लेता है ताकि खतरों से निपटने की तैयारी हो सके।
प्रश्न 5. साइबर ऑपरेशनों में एआई से जुड़ी नैतिक और कानूनी चिंताएँ क्या हैं?
- निगरानी और निजता के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है। स्वायत्त एआई-आधारित सिस्टम हमलों की स्थिति में जवाबदेही के मुद्दे पैदा करते हैं।
- ओपन-सोर्स LLMs पर नियंत्रण न होने से इनके दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है। वैश्विक ढाँचे अभी विकसित हो रहे हैं, जिससे एक नियामक शून्य (regulatory vacuum) बना हुआ है।
प्रश्न 6. साइबर हमलों और सुरक्षा दोनों में प्रयुक्त प्रमुख एआई तकनीकें कौन-सी हैं?
- प्राकृतिक भाषा संसाधन (NLP) – फ़िशिंग और सोशल इंजीनियरिंग के लिए
- मशीन लर्निंग (ML) – विसंगति पहचान और अनुकूली मालवेयर के लिए
- जनरेटिव एआई – सिंथेटिक ऑडियो, वीडियो और नकली पहचान बनाने के लिए
- रीइन्फोर्समेंट लर्निंग (Reinforcement Learning) – स्वायत्त सिस्टम हमलों और रक्षा तंत्र के लिए
निष्कर्ष / आगे की राह:-
एआई और साइबर सुरक्षा का संगम वैश्विक खतरे के परिदृश्य को पुनर्परिभाषित कर रहा है। जहाँ एआई साइबर रक्षा को मज़बूत कर रहा है, वहीं इसका दुरुपयोग हमलों की पैमाइश और जटिलता को बढ़ा रहा है। भारत को अपनी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति के कार्यान्वयन में तेजी लानी चाहिए, सार्वजनिक-निजी साझेदारियों को सशक्त बनाना चाहिए और एआई-आधारित खतरे अनुसंधान प्रयोगशालाओं में निवेश करना चाहिए। वैश्विक स्तर पर, लोकतांत्रिक देशों को एआई नैतिकता और साइबर सुरक्षा संधियों का नेतृत्व करना चाहिए, ताकि डिजिटल भविष्य सुरक्षित और न्यायपूर्ण हो।