1. मुग़ल साम्राज्य का पतन और क्षेत्रीय राज्यों का उदय

(औरंगज़ेब के कमजोर उत्तराधिकारी, दरबारी राजनीति और गुटबाज़ी, विदेशी आक्रमण: नादिर शाह (1739), अहमद शाह अब्दाली, उत्तराधिकारी राज्यों का उदय: अवध, बंगाल, हैदराबाद, स्वतंत्र शक्तियों का उदय: मराठा, सिख, जाट, प्रशासनिक और सैन्य कमजोरियाँ)

मुग़ल साम्राज्य के अंतिम वर्षों के दौरान केंद्रीय सत्ता के पतन ने क्षेत्रीय शक्तियों के उदय की भूमिका तैयार की। यह परिवर्तन मुख्यतः 18वीं शताब्दी में हुआ और भारत की राजनीतिक स्थिति को गहराई से बदल दिया। यह विषय UPSC की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

I. औरंगज़ेब के बाद: कमजोर उत्तराधिकारियों का बोझ

1707 में औरंगज़ेब की मृत्यु ने साम्राज्य के विघटन की शुरुआत को चिह्नित किया। उनके उत्तराधिकारियों में रणनीतिक दृष्टि और प्रशासनिक क्षमता दोनों का अभाव था। बहादुर शाह प्रथम और मुहम्मद शाह जैसे सम्राट विशाल साम्राज्य को संभालने में असफल रहे।

  • केंद्रीय सत्ता का क्षरण: उत्तराधिकारी शासक नियंत्रण स्थापित करने में विफल रहे, जिससे प्रांतों से संबंध कमजोर होते गए।
  • उच्च वर्ग पर निर्भरता: सत्ता महत्वाकांक्षी अमीरों के हाथ में चली गई, जो अक्सर स्वतंत्र रूप से कार्य करते थे।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: केंद्रीय सत्ता धीरे-धीरे केवल एक औपचारिक पद रह गया, जो विघटन की प्रक्रिया को रोक नहीं सका।

II. दरबारी षड्यंत्र और अमीरों की प्रतिस्पर्धा

एक समय मुग़ल शासन का केंद्र रहे शाही दरबार गुटबाज़ी की शक्ति की लड़ाई का अखाड़ा बन गया।

  • दरबारी गुटों का उदय: सैयद बंधुओं जैसे समूहों ने उत्तराधिकार और नीतियों को प्रभावित किया और अक्सर कठपुतली शासकों को गद्दी पर बैठाया।
  • लगातार शक्ति संघर्ष: षड्यंत्र और त्वरित नेतृत्व परिवर्तन ने साम्राज्य को अस्थिर बना दिया।
  • प्रशासनिक लक्ष्य का अभाव: शासन से संसाधनों का ध्यान हटकर आंतरिक झगड़ों पर केंद्रित हो गया।

यह गुटबाज़ी मुग़ल प्रशासन की जड़ को खोखला करती गई और पूरे साम्राज्य में सत्ता रिक्तियों को जन्म दिया।

III. विनाशकारी विदेशी आक्रमण

18वीं शताब्दी में दो बड़े आक्रमणों ने मुग़ल साम्राज्य की प्रतिष्ठा और संसाधनों को गंभीर नुकसान पहुँचाया।

  • नादिर शाह का आक्रमण (1739): फ़ारसी शासक दिल्ली में घुसा, भारी धन लूटा और हजारों लोगों का संहार किया, जिससे साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हो गई।
  • अहमद शाह अब्दाली के हमले: 1748 से 1767 के बीच अफगान आक्रमणकारी ने कई हमले किए, जिनमें तीसरी पानीपत की लड़ाई शामिल थी, जिससे उपमहाद्वीप की आर्थिक और सैन्य शक्ति कमजोर हो गई।

इन आक्रमणों ने केवल संपत्ति नहीं लूटी, बल्कि एक पहले से ही अस्थिर साम्राज्य को और भी कमजोर कर दिया।

IV. संरचनात्मक खामियाँ: प्रशासन और सैन्य व्यवस्था का पतन

प्रशासनिक और सैन्य तंत्र के विघटन ने साम्राज्य के पतन को तेज़ कर दिया।

  • राजस्व संकट: जागीरदारी प्रणाली, जो कभी राजस्व व्यवस्था की रीढ़ थी, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन से ग्रस्त हो गई।
  • पुरानी सैन्य प्रणाली: मुग़ल सेना तकनीकी और रणनीतिक दृष्टि से पिछड़ गई, विशेषकर नई क्षेत्रीय और यूरोपीय शक्तियों की तुलना में।
  • नौसैनिक उपेक्षा: नौसेना विकास की उपेक्षा ने साम्राज्य को समुद्री आक्रमणों और व्यापार व्यवधानों के लिए असुरक्षित बना दिया।

इस प्रणालीगत विफलता ने पूरे साम्राज्य में सत्ता बनाए रखने को असंभव बना दिया।

V. उत्तराधिकारी राज्यों का जन्म: औपचारिक निष्ठा, वास्तविक स्वायत्तता

केंद्रीय सत्ता के पतन के बाद, कई प्रांत लगभग स्वतंत्र राज्यों में परिवर्तित हो गए, यद्यपि उन्होंने मुग़ल तख्त के प्रति प्रतीकात्मक निष्ठा बनाए रखी।

  • अवध: सआदत खान के अधीन स्थापित यह राज्य वास्तविक स्वतंत्रता का अभ्यास करता था और आर्थिक व प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा देता था।
  • बंगाल: मुर्शिद कुली खान ने बंगाल को एक समृद्ध और स्थिर क्षेत्र में बदल दिया, जिसमें सुव्यवस्थित नौकरशाही थी।
  • हैदराबाद: निज़ाम-उल-मुल्क द्वारा स्थापित यह राज्य मुग़ल परंपराओं को बनाए रखते हुए दक्कन में स्वतंत्र रूप से कार्य करता था।

ये उत्तराधिकारी राज्य साम्राज्यीय शासन से स्थानीय लेकिन प्रभावी शासन की ओर संक्रमण को दर्शाते हैं।

VI. स्वतंत्र शक्तियों का उदय: मराठा, सिख और जाट

मुग़ल केंद्र की कमजोरी के साथ ही ऐसी नई शक्तियाँ उभरीं, जिन्होंने मुग़ल सत्ता को नाममात्र भी मान्यता नहीं दी।

  • मराठा: पेशवा बाजीराव प्रथम जैसे सशक्त नेताओं के तहत मराठों ने मध्य भारत और उससे आगे विस्तार किया, मुग़ल सत्ता के स्थान को भरने का प्रयास किया।
  • सिख: एक सामाजिक-धार्मिक आंदोलन के रूप में उत्पन्न होकर सिख संघ एक शक्तिशाली सैन्य शक्ति बन गया, जिसने पंजाब पर नियंत्रण स्थापित किया।
  • जाट: कृषि आधारित समाज से निकलकर जाटों ने भरतपुर जैसे क्षेत्रों में मजबूत सत्ता स्थापित की और अपनी राजनीतिक स्वायत्तता जताई।

इन समूहों ने क्षेत्रीय राजनीतिक संरचना को नया रूप दिया और भविष्य के राज्य निर्माण की नींव रखी।

निष्कर्ष

मुग़ल साम्राज्य का पतन कमजोर नेतृत्व, आंतरिक कलह, बाहरी आक्रमण और प्रणालीगत विफलता का जटिल परिणाम था। साम्राज्य के बिखरने के साथ ही क्षेत्रीय शक्तियाँ उभरीं, जो भारत के औपनिवेशिक और पश्चात-औपनिवेशिक इतिहास में महत्वपूर्ण बन गईं।

UPSC के अभ्यर्थियों के लिए यह केंद्रीय साम्राज्यीय संरचना से विकेन्द्रीकृत राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन भारतीय इतिहास की व्यापक प्रवृत्तियों — जैसे उपनिवेशवाद, प्रतिरोध आंदोलनों, और राज्य निर्माण — को समझने के लिए अत्यावश्यक है।

MCQ 

1. निम्नलिखित में से किस मुग़ल शासक को वंश का अंतिम प्रभावशाली सम्राट माना जाता है?
A) बहादुर शाह प्रथम
B) औरंगज़ेब
C) मुहम्मद शाह
D) शाह आलम द्वितीय
सही उत्तर: B) औरंगज़ेब
व्याख्या: औरंगज़ेब ने साम्राज्य को उसके चरम विस्तार तक पहुँचाया, परंतु उसकी मृत्यु के बाद साम्राज्य तेज़ी से विघटित होने लगा।

2. सैयद बंधु किस मुग़ल सम्राट के शासनकाल के दौरान प्रभावशाली रहे?
A) शाह आलम द्वितीय
B) फर्रुखसियर
C) अहमद शाह
D) बहादुर शाह ज़फ़र
सही उत्तर: B) फर्रुखसियर
व्याख्या: सैयद बंधु 1713 में फर्रुखसियर को सत्ता में लाने वाले प्रभावशाली दरबारी थे, जिन्हें ‘किंगमेकर’ कहा गया।

3. भारत पर 1739 में नादिर शाह के आक्रमण का प्रमुख प्रभाव क्या था?
A) मुग़ल सेना की मजबूती
B) बंगाल पर अधिकार
C) दिल्ली की लूट और मुग़ल प्रतिष्ठा की क्षति
D) ब्रिटिश प्रभुत्व की स्थापना
सही उत्तर: C) दिल्ली की लूट और मुग़ल प्रतिष्ठा की क्षति
व्याख्या: नादिर शाह द्वारा दिल्ली की लूट से साम्राज्य की प्रतिष्ठा और अर्थव्यवस्था दोनों को भारी क्षति पहुँची।

4. 1761 की तीसरी पानीपत की लड़ाई किन शक्तियों के बीच लड़ी गई थी?
A) मुग़ल और मराठा
B) मराठा और अहमद शाह अब्दाली
C) ब्रिटिश और मराठा
D) मुग़ल और ब्रिटिश
सही उत्तर: B) मराठा और अहमद शाह अब्दाली
व्याख्या: इस युद्ध में मराठों को भारी क्षति हुई और इससे उनका उत्तर भारत में प्रभाव सीमित हो गया।

5. अवध में स्वायत्त नवाबी शासन की स्थापना किसने की थी?
A) मुर्शिद कुली खान
B) निज़ाम-उल-मुल्क
C) सआदत खान
D) शुजाउद्दौला
सही उत्तर: C) सआदत खान
व्याख्या: सआदत खान को 1722 में अवध का नवाब नियुक्त किया गया और उन्होंने वहाँ स्वतंत्र शासन की नींव रखी।

6. उत्तरकालीन मुग़लों के अधीन जागीरदारी संकट का क्या आशय था?
A) किसानों को भूमि अनुदान देना
B) यूरोपीय भाड़े के सैनिकों को वेतन देने में असमर्थता
C) राजस्व वितरण की कमी और कुप्रबंधन
D) व्यापारिक राजस्व पर अत्यधिक निर्भरता
सही उत्तर: C) राजस्व वितरण की कमी और कुप्रबंधन
व्याख्या: जागीरों की संख्या में वृद्धि और राजस्व की अपर्याप्तता ने प्रणाली को अस्थिर किया।

7. निम्नलिखित में से कौन-सी क्षेत्रीय शक्तियाँ मुग़ल तख्त के प्रति प्रतीकात्मक निष्ठा बनाए रखते हुए स्वतंत्र रूप से शासन कर रही थीं?

  1. अवध
  2. बंगाल
  3. हैदराबाद
  4. मराठा
    सही विकल्प चुनिए:
    A) केवल 1 और 2
    B) केवल 1, 2 और 3
    C) केवल 2, 3 और 4
    D) 1, 2, 3 और 4
    सही उत्तर: B) केवल 1, 2 और 3
    व्याख्या: ये राज्य नाममात्र की वफादारी बनाए रखते हुए व्यावहारिक रूप से स्वतंत्र थे। मराठा पूर्ण स्वतंत्र शक्ति बन चुके थे।

8. पंजाब में किस समूह का उदय एक सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन से जुड़ा था?
A) मराठा
B) जाट
C) सिख
D) रोहिल्ला
सही उत्तर: C) सिख
व्याख्या: सिख पंथ गुरु नानक के सुधारवादी विचारों पर आधारित था, जो 18वीं सदी में एक सैन्य शक्ति के रूप में उभरा।

9. निज़ाम हैदराबाद ने स्वायत्त शासन स्थापित करने से पहले किस मुग़ल सम्राट के अधीन कार्य किया था?
A) औरंगज़ेब
B) बहादुर शाह प्रथम
C) मुहम्मद शाह
D) शाहजहाँ
सही उत्तर: C) मुहम्मद शाह
व्याख्या: निज़ाम-उल-मुल्क ने मुहम्मद शाह के समय में हैदराबाद की नींव रखी और बाद में स्वतंत्र शासक बन गया।

10. अहमद शाह अब्दाली के आक्रमणों में से कौन-सा प्रभाव नहीं था?
A) मुग़ल खजाने की क्षति
B) केंद्रीय सत्ता की मजबूती
C) उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था में बाधा
D) क्षेत्रीय सैन्य प्रतिकार का उदय
सही उत्तर: B) केंद्रीय सत्ता की मजबूती
व्याख्या: अब्दाली के आक्रमणों ने मुग़ल साम्राज्य को और कमजोर कर दिया तथा नई क्षेत्रीय शक्तियाँ उभरने लगीं।

11. मुग़ल पतन में दरबारी गुटबाज़ी की भूमिका क्या थी?
A) सैन्य सुधार को बढ़ावा देना
B) उत्तराधिकार की स्थिरता सुनिश्चित करना
C) आंतरिक अस्थिरता और कमजोर शासन को जन्म देना
D) व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देना
सही उत्तर: C) आंतरिक अस्थिरता और कमजोर शासन को जन्म देना
व्याख्या: दरबार में सत्ता के लिए लड़ाई, विश्वासघात और भ्रष्टाचार ने प्रशासन को कमजोर कर दिया।

12. औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद किस शक्ति ने मध्य भारत में मुग़ल सत्ता को चुनौती दी?
A) जाट
B) राजपूत
C) मराठा
D) रोहिल्ला
सही उत्तर: C) मराठा
व्याख्या: मराठों ने दिल्ली सहित मध्य और उत्तर भारत में गहरी पैठ बना ली थी।

13. 18वीं शताब्दी में जाटों ने मुख्यतः किस क्षेत्र में राजनीतिक वर्चस्व स्थापित किया?
A) मालवा
B) दोआब
C) बंगाल
D) भरतपुर
सही उत्तर: D) भरतपुर
व्याख्या: भरतपुर में जाटों ने एक सशक्त रियासत का निर्माण किया और मुग़ल सत्ता को चुनौती दी।

14. मुर्शिद कुली खान के अधीन बंगाल की स्थिति को किस प्रकार वर्णित किया जा सकता है?
A) मुग़ल वित्तीय नियंत्रण का जारी रहना
B) ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा प्रत्यक्ष शासन
C) आर्थिक रूप से स्वायत्त और प्रभावी प्रशासन
D) लगातार किसान विद्रोह और अस्थिरता
सही उत्तर: C) आर्थिक रूप से स्वायत्त और प्रभावी प्रशासन
व्याख्या: मुर्शिद कुली खान ने बंगाल को आर्थिक रूप से सशक्त और प्रशासनिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया।

15. 18वीं शताब्दी में मुग़ल सैन्य व्यवस्था की सबसे प्रमुख कमजोरी क्या थी?
A) हाथियों पर अत्यधिक निर्भरता
B) यूरोपीय गठबंधनों की अनुपस्थिति
C) तकनीकी पिछड़ापन और पुरानी रणनीतियाँ
D) नौसेनिक युद्ध की ओर झुकाव
सही उत्तर: C) तकनीकी पिछड़ापन और पुरानी रणनीतियाँ
व्याख्या: आधुनिक हथियारों और सैन्य रणनीतियों की कमी ने मुग़ल सेना को कमजोर बना दिया, विशेषतः यूरोपीय और क्षेत्रीय सेनाओं के मुकाबले।

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