सामाजिक सुधार आंदोलन: राजा राम मोहन रॉय और ब्रह्म समाज

(सती प्रथा का उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह, महिलाओं के अधिकार, ब्रह्म समाज की स्थापना: सिद्धांत और प्रभाव, शैक्षिक और पत्रकारिता सक्रियता, ब्रिटिश उदारवादियों और मिशनरियों के साथ संवाद, भारतीय पुनर्जागरण में भूमिका)

यह विषय UPSC पाठ्यक्रम में अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रीलिम्स में यह सुधारकों, कानून (जैसे सती प्रथा का उन्मूलन) और संस्थानों से जुड़ी मुख्य जानकारियों को कवर करता है। GS पेपर I (मेन्स) में यह आधुनिक भारतीय इतिहास, सामाजिक सुधार और महिला अधिकारों के विषयों से जुड़ा है। GS पेपर II में यह सामाजिक न्याय और अधिकार आधारित नीतियों के ऐतिहासिक विकास से संबंधित है। निबंध परीक्षा के लिए यह परंपरा और आधुनिकता के टकराव तथा व्यक्तिगत सुधारकों को परिवर्तन के एजेंट के रूप में समझने के लिए उपयोगी है। इतिहास और समाजशास्त्र के ऑप्शनल विषयों में यह धार्मिक सुधार, पश्चिमी प्रभाव और औपनिवेशिक भारत में सामाजिक परिवर्तन की चर्चाओं का समर्थन करता है।

परिचय

19वीं सदी में भारत में एक गहरा सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन शुरू हुआ जिसे भारतीय पुनर्जागरण कहा जाता है। इस परिवर्तन के केंद्र में राजा राम मोहन रॉय थे, जो एक दूरदर्शी विचारक और सुधारक थे। उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की और सती प्रथा के उन्मूलन, विधवा पुनर्विवाह, और महिलाओं के अधिकारों जैसे सामाजिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया। यह भारतीय परंपरा और पश्चिमी उदार विचारों के बीच बदलते संबंध को दर्शाता है।

1. राजा राम मोहन रॉय: भारतीय पुनर्जागरण के पिता

1772 में बंगाल में जन्मे रॉय पर तर्कवाद, वेदांत, इस्लामी एकेश्वरवाद और पश्चिमी प्रकाशवादी विचारों का गहरा प्रभाव था। उनके सुधारवादी जज़्बे का आधार भारतीय शास्त्रों का गहरा ज्ञान और पश्चिमी शिक्षा और दर्शन से उनकी परिचितता थी।
 

मुख्य योगदान:

  • सती प्रथा के उन्मूलन के लिए संघर्ष (1829 में लॉर्ड विलियम बेंटिंक के शासन में Regulation XVII)
  • विधवा पुनर्विवाह, महिला शिक्षा और संपत्ति अधिकारों का समर्थन
  • जाति प्रथा, मूर्तिपूजा और अंधविश्वास का कड़ा विरोध

2. ब्रह्म समाज: स्थापना और सिद्धांत

1828 में रॉय द्वारा स्थापित ब्रह्म समाज भारत में सामाजिक-धार्मिक सुधार का अग्रदूत बना।
मूल सिद्धांत:

  • एकेश्वरवाद: एक निराकार परमेश्वर में आस्था
  • तर्कवाद: मूर्तिपूजा और अनुष्ठानवाद का त्याग
  • सामाजिक समानता: जाति भेद और महिलाओं की उन्नति के खिलाफ
  • सार्वभौमिकता: धार्मिक कर्मकांड की बजाय नैतिक आचरण पर जोर

प्रभाव:

  • प्रार्थना समाज और आर्य समाज जैसे सुधार आंदोलनों को प्रेरणा दी
  • केशव चंद्र सेन और देबेंद्रनाथ टैगोर जैसे विचारकों को प्रभावित किया
  • आधुनिक हिंदू चेतना और नैतिक विश्वदृष्टि को आकार दिया

3. सामाजिक सुधार: महिलाओं के अधिकारों पर केंद्रित

राजा राम मोहन रॉय ने समझा कि महिलाओं का उत्थान राष्ट्रीय प्रगति के लिए आवश्यक है।
प्रमुख उपलब्धियां:

  • सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन, जिसे उन्होंने अमानवीय और शास्त्र विरोधी बताया
  • बालिकाओं की शिक्षा का समर्थन, महिला शिक्षा के लिए स्कूल स्थापित किए
  • विधवा पुनर्विवाह का समर्थन, बहुपतित्व और बाल विवाह का विरोध

यह सुधार शास्त्रों की पुनः व्याख्या और आधुनिक उदार मूल्यों का मिश्रण थे, जो भारत में भविष्य के नारीवादी विचारों की नींव बने।

4. शैक्षिक और पत्रकारिता गतिविधियां

रॉय का मानना था कि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली उपकरण है।
प्रयास:

  • हिन्दू कॉलेज और वेदांत कॉलेज जैसे संस्थान स्थापित किए
  • पश्चिमी विज्ञान, गणित और दर्शन के साथ भारतीय शास्त्रों की शिक्षा पर जोर दिया
  • निम्नलिखित पत्रिकाओं का शुभारंभ किया:
    1. संबाद कौमुदी (बंगाली में) – सामाजिक सुधार की जागरूकता के लिए
    2. मिरात-उल-अखबार (फ़ारसी में) – मुस्लिम बुद्धिजीवियों को जोड़ने के लिए

यह प्रेस संस्कृति न केवल ज्ञान का लोकतंत्रीकरण थी, बल्कि भारत के सामाजिक-राजनीतिक जागरण के लिए आवश्यक जागरूकता भी उत्पन्न करती थी।

5. ब्रिटिश उदारवादी और मिशनरियों के साथ संवाद

रॉय के सुधार कार्यक्रम पर ब्रिटिश उदारवादियों और ईसाई मिशनरियों के साथ संवाद का गहरा प्रभाव था।

  • मिशनरियों जैसे विलियम कैरी के साथ सहयोग किया
  • संवैधानिक सुधारों और प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया
  • ब्रिटिश संसद के साथ भारतीय अधिकारों के लिए बातचीत की

यह संपर्क एकतरफा नहीं था; वे पश्चिम की तर्कसंगतता की सराहना करते थे, लेकिन औपनिवेशिक नीतियों की आलोचना भी करते थे जो भारत की प्रगति में बाधक थीं। वे मानवतावाद के सार्वभौमिक मूल्यों को भारतीय सांस्कृतिक गर्व के साथ संतुलित करते थे।

6. राजा राम मोहन रॉय और भारतीय पुनर्जागरण

रॉय के कार्यों को अक्सर भारतीय पुनर्जागरण की शुरुआत माना जाता है, जो 19वीं सदी के भारत में सांस्कृतिक और बौद्धिक जागृति का नाम है।
मुख्य विशेषताएं:

  • परंपरा की तुलना में तर्क पर जोर
  • पूर्वी आध्यात्मिकता और पश्चिमी तर्कवाद का संलयन
  • सुधारवादी राष्ट्रवाद का प्रचार जिसने प्रारंभिक राष्ट्रवादियों को प्रभावित किया

उन्होंने भारत में आधुनिक नागरिक समाज की नींव रखी और ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे नेताओं को प्रेरित किया।

निष्कर्ष

राजा राम मोहन रॉय और ब्रह्म समाज ने तर्कसंगत खोज, धार्मिक सुधार और सामाजिक सक्रियता का नया युग आरंभ किया। उनका प्रभाव न केवल 19वीं सदी के सामाजिक ताने-बाने में था, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बौद्धिक आधार में भी महत्वपूर्ण था।

UPSC के उम्मीदवारों के लिए रॉय का जीवन और कार्य प्रीलिम्स और मेन्स दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुधार, पुनर्जागरण और औपनिवेशिक आधुनिकता के विषयों को आधुनिक भारत के विकास से जोड़ता है।

MCQ

  1. राजा राम मोहन रॉय ने किस सामाजिक कुरीति के खिलाफ सबसे ज़्यादा संघर्ष किया, जो 1829 में समाप्त हुई?
    A) बाल विवाह
    B) सती
    C) जाति व्यवस्था
    D) बहुविवाह
    उत्तर: B
    व्याख्या: रॉय ने सती प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप 1829 में सती विनाशक अधिनियम बना।
  2. ब्रह्म समाज की स्थापना किस वर्ष हुई?
    A) 1818
    B) 1828
    C) 1838
    D) 1848
    उत्तर: B
    व्याख्या: ब्रह्म समाज की स्थापना 1828 में राजा राम मोहन रॉय ने की।
  3. निम्नलिखित में से कौन ब्रह्म समाज का सिद्धांत नहीं था?
    A) एकेश्वरवाद
    B) मूर्तिपूजा का त्याग
    C) जाति पदानुक्रम का समर्थन
    D) तर्कवाद पर जोर
    उत्तर: C
    व्याख्या: ब्रह्म समाज जाति भेदभाव के विरोध में था और सामाजिक समानता को बढ़ावा देता था।
  4. राजा राम मोहन रॉय की पत्रिका ‘संबाद कौमुदी’ किस भाषा में प्रकाशित होती थी?
    A) अंग्रेज़ी
    B) फ़ारसी
    C) बंगाली
    D) हिंदी
    उत्तर: C
    व्याख्या: संबाद कौमुदी बंगाली साप्ताहिक पत्रिका थी जो सामाजिक सुधार के लिए जागरूकता फैलाती थी।
  5. Assertion (A): राजा राम मोहन रॉय विधवा पुनर्विवाह के समर्थक थे।
    Reason (R): वे मानते थे कि यह भारतीय परंपरा के खिलाफ है और इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
    A) दोनों A और R सही हैं, और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
    B) दोनों A और R सही हैं, लेकिन R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
    C) A सही है, R गलत है।
    D) A गलत है, R सही है।
    उत्तर: C
    व्याख्या: रॉय विधवा पुनर्विवाह के समर्थक थे; इसलिए R गलत है क्योंकि उन्होंने इसे प्रतिबंधित नहीं किया।
  6. निम्नलिखित में से कौन ब्रह्म समाज से प्रभावित प्रमुख नेता था?
    A) स्वामी विवेकानंद
    B) केशव चंद्र सेन
    C) बाल गंगाधर तिलक
    D) राजा रवि वर्मा
    उत्तर: B
    व्याख्या: केशव चंद्र सेन ब्रह्म समाज के प्रमुख नेता और सुधारक थे।
  7. 1829 में सती उन्मूलन अधिनियम किस ब्रिटिश अधिकारी ने पारित किया?
    A) लॉर्ड कॉर्नवालिस
    B) लॉर्ड विलियम बेंटिंक
    C) लॉर्ड कर्जन
    D) लॉर्ड डलहौजी
    उत्तर: B
    व्याख्या: लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने रॉय के दबाव में सती निषेध कानून पारित किया।
  8. राजा राम मोहन रॉय द्वारा शुरू किए गए शैक्षिक संस्थान कौन से थे?
    A) हिन्दू कॉलेज और वेदांत कॉलेज
    B) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
    C) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
    D) सेरामपुर कॉलेज
    उत्तर: A
    व्याख्या: रॉय ने आधुनिक शिक्षा के लिए हिन्दू कॉलेज और वेदांत कॉलेज की स्थापना में मदद की।
  9. Assertion (A): ब्रह्म समाज अनुष्ठान और मूर्तिपूजा का विरोध करता था।
    Reason (R): ब्रह्म समाज एक निराकार परमेश्वर और नैतिक मूल्यों में विश्वास करता था।
    A) दोनों A और R सही हैं, और R, A को समझाता है।
    B) दोनों A और R सही हैं, लेकिन R, A को नहीं समझाता।
    C) A सही है, R गलत है।
    D) A गलत है, R सही है।
    उत्तर: A
    व्याख्या: मूर्तिपूजा का त्याग और एकेश्वरवाद ब्रह्म समाज के मुख्य सिद्धांत थे।
  10. राजा राम मोहन रॉय ने किस ईसाई मिशनरी के साथ सामाजिक सुधारों पर काम किया?
    A) विलियम कैरी
    B) अलेक्जेंडर डफ
    C) रॉबर्ट क्लाइव
    D) चार्ल्स ग्रांट
    उत्तर: A
    व्याख्या: रॉय ने मिशनरी विलियम कैरी के साथ विशेष रूप से शैक्षिक और सामाजिक सुधारों पर काम किया।
  11. निम्नलिखित में से कौन सा सुधार राजा राम मोहन रॉय ने प्रचारित नहीं किया?
    A) महिला शिक्षा
    B) विधवा पुनर्विवाह
    C) बाल श्रम का उन्मूलन
    D) सती प्रथा का उन्मूलन
    उत्तर: C
    व्याख्या: रॉय ने महिला अधिकारों और सती प्रथा उन्मूलन पर ध्यान दिया, बाल श्रम मुख्य चिंता नहीं थी।
  12. मुसलमान समुदाय को जोड़ने के लिए राजा राम मोहन रॉय ने कौन सी पत्रिका शुरू की?
    A) संबाद कौमुदी
    B) मिरात-उल-अखबार
    C) द हिंदू
    D) इंडियन मिरर
    उत्तर: B
    व्याख्या: मिरात-उल-अखबार फ़ारसी भाषा में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के लिए थी।
  13. Assertion (A): राजा राम मोहन रॉय ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के पूर्ण समर्थक थे।
    Reason (R): वे मानते थे कि भारत में सामाजिक सुधार के लिए ब्रिटिश शासन आवश्यक है।
    A) दोनों A और R सही हैं, और R, A को समझाता है।
    B) दोनों A और R सही हैं, लेकिन R, A को नहीं समझाता।
    C) A सही है, R गलत है।
    D) दोनों A और R गलत हैं।
    उत्तर: D
    व्याख्या: रॉय ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करते थे जो भारत के हित में नहीं थीं, लेकिन जो सुधार समाज के लिए थे उन्हें स्वीकार करते थे।
  14. ब्रह्म समाज ने किन बाद के सुधार आंदोलनों को प्रभावित किया?
    A) आर्य समाज और प्रार्थना समाज
    B) थियोसॉफिकल सोसाइटी
    C) देवबंद आंदोलन
    D) स्वदेशी आंदोलन
    उत्तर: A
    व्याख्या: ब्रह्म समाज ने आर्य समाज और प्रार्थना समाज जैसे सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों को प्रेरित किया।
  15. राजा राम मोहन रॉय द्वारा शुरू किए गए भारतीय पुनर्जागरण का प्रमुख पहलू क्या था?
    A) मूर्तिपूजा का पुनरुद्धार
    B) तर्क और बुद्धिमत्ता पर जोर
    C) जाति नियमों का सख्त पालन
    D) सामंती रीति-रिवाजों को बढ़ावा
    उत्तर: B
    व्याख्या: रॉय ने तर्क, बुद्धिमत्ता और भारतीय तथा पश्चिमी विचारों के संलयन पर जोर दिया।

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