(महान बंगाल अकाल (1770), मद्रास (1876–78), बॉम्बे (1899), औपनिवेशिक कुप्रबंधन और ‘लेसेज़-फेयर’ दृष्टिकोण, अकाल आयोग और दोषपूर्ण राहत नीतियाँ, गरीबीग्रस्त ग्रामीण भारत का निर्माण, ब्रिटिश अकाल नीति की राष्ट्रवादी आलोचना)
UPSC प्रीलिम्स और मेंस की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए, इस विषय की गहराई से समझ आधुनिक भारतीय इतिहास की पकड़ को सशक्त बनाती है, साथ ही यह GS पेपर I और निबंध पेपर के लिए आवश्यक विश्लेषणात्मक क्षमताओं को भी बढ़ाती है। |
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल (लगभग दो शताब्दियों) में भारत में व्यापक गरीबी और बार-बार आने वाले अकाल उभरे, जो पूर्व-औपनिवेशिक कृषि प्रणालियों की सापेक्ष समृद्धि के विपरीत थे।
1. महान बंगाल अकाल (1770): पहली बड़ी त्रासदी
1770 का बंगाल अकाल ब्रिटिश शासन के तहत पहला और सबसे घातक अकाल था। ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में हुआ यह अकाल लगभग 1 करोड़ लोगों की जान ले गया — जो बंगाल की लगभग एक-तिहाई जनसंख्या थी। मुख्य कारण थे:
- शोषणकारी भू-राजस्व नीति, विशेष रूप से 1793 की ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement), जिसमें कृषि कल्याण की बजाय राजस्व वसूली को प्राथमिकता दी गई।
- प्रशासनिक प्रतिक्रिया की कमी और राहत उपायों का अभाव।
- ‘लेसेज़-फेयर’ आर्थिक विचारधारा, जो मानवीय संकटों में भी सरकारी हस्तक्षेप को हतोत्साहित करती थी।
2. मद्रास अकाल (1876–78): एक मानव-निर्मित आपदा
19वीं शताब्दी के अंत में मद्रास प्रेसिडेंसी में फैला यह अकाल ब्रिटिश नीतियों के घातक परिणामों को उजागर करता है:
- लगभग 55 लाख लोगों की मौत भूख और संबंधित बीमारियों से।
- संकट के समय खाद्यान्नों का निर्यात, मुक्त बाजार विचारधारा से प्रेरित।
- राहत वितरण की बजाय रेलवे और नहर निर्माण को प्राथमिकता।
3. बॉम्बे अकाल (1899): राहत तंत्र की विफलता
कई अकाल आयोगों के अस्तित्व के बावजूद, 1899 के बॉम्बे अकाल में प्रशासनिक असफलताएं सामने आईं:
- अपर्याप्त और कुप्रशासित राहत शिविर।
- व्यापक भूख के बावजूद खाद्यान्नों का निरंतर निर्यात।
- राहत कार्य में दिए गए न्यूनतम मजदूरी, जो मजदूरों के लिए अपर्याप्त थी।
4. औपनिवेशिक कुप्रबंधन और ‘लेसेज़-फेयर’ दृष्टिकोण
इन सभी अकालों में एक सामान्य तत्व था—ब्रिटिश शासन की ‘लेसेज़-फेयर’ नीति, जो उपयोगितावादी विचारों से प्रेरित थी। मुख्य मुद्दे:
- बाज़ार बलों में हस्तक्षेप करने से परहेज़, चाहे जनसंहार क्यों न हो।
- खाद्यान्न आयात करने से इनकार, ताकि बाज़ार ‘विकृत’ न हो।
- ‘माल्थुसियन सिद्धांत’— अकालों को जनसंख्या नियंत्रण का प्राकृतिक उपाय मानना।
5. अकाल आयोग: सतही समाधान
1870 के बाद कई अकाल आयोग बनाए गए, जैसे 1880 का अकाल आयोग, लेकिन वे व्यापक सुधार लाने में असफल रहे:
- सिफारिशें लागू नहीं की गईं या कमजोर ढंग से लागू हुईं।
- राहत कोड्स में लागत-कुशलता को प्राथमिकता दी गई, न कि राहत की पर्याप्तता को।
- राहत योजनाओं में समुदाय की भागीदारी का अभाव।
6. गरीब ग्रामीण भारत का निर्माण
औपनिवेशिक काल में भारतीय कृषि की संरचनात्मक रूपांतरण ने ग्रामीण संकट को जन्म दिया:
- ग्रामीण हस्तशिल्पों का विनाश और कृषि पर निर्भरता में वृद्धि।
- नकदी फसलों की ओर बदलाव, जिससे खाद्य सुरक्षा में कमी आई।
- ऊँचे कर और सूदखोर राजस्व प्रणालियाँ।
7. ब्रिटिश अकाल नीति की राष्ट्रवादी आलोचना
दादाभाई नौरोजी, आर.सी. दत्त, एम.जी. रानाडे जैसे नेताओं और चिंतकों ने ब्रिटिश अकाल नीति की कड़ी आलोचना की:
- नौरोजी का ‘ड्रेन थ्योरी’ — भारत से ब्रिटेन में संपत्ति के निकास को गरीबी का कारण बताया।
- दत्त की रचनाओं में आर्थिक नीतियों को बार-बार आने वाले अकालों का दोषी ठहराया गया।
- राष्ट्रवादियों ने अकाल राहत में स्वदेशी नियंत्रण और योजना की माँग की।
निष्कर्ष
ब्रिटिश शासन में अकाल केवल प्राकृतिक आपदाएँ नहीं थे, बल्कि वे औपनिवेशिक आर्थिक और प्रशासनिक नीतियों में गहराई से निहित थे। इन त्रासदियों की पुनरावृत्ति से यह स्पष्ट होता है कि भारतवासियों के जीवन की तुलना में साम्राज्यवादी हितों को प्राथमिकता दी गई।
UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह विषय उपनिवेशी शासन, आर्थिक नीति विफलताओं, और आधुनिक भारत की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों की जड़ों को समझने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। |
MCQ
1. 1770 का महान बंगाल अकाल किसके शासन में हुआ था?
A) ब्रिटिश क्राउन
B) बंगाल का नवाब
C) ईस्ट इंडिया कंपनी
D) गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स
उत्तर: C) ईस्ट इंडिया कंपनी
व्याख्या: अकाल उस समय हुआ जब बंगाल ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में था, जिसने राजस्व वसूली को प्राथमिकता दी।
2. निम्नलिखित में से कौन 1770 के बंगाल अकाल का मुख्य कारण था?
A) अत्यधिक मानसून वर्षा
B) मराठों से युद्ध
C) स्थायी बंदोबस्त 1793
D) शोषणकारी राजस्व नीति और राहत की कमी
उत्तर: D) शोषणकारी राजस्व नीति और राहत की कमी
व्याख्या: प्रशासनिक उदासीनता और भारी कर निर्धारण से स्थिति और बिगड़ गई।
3. कथन (A): 1876–78 का मद्रास अकाल व्यापक भूख का कारण बना।
कारण (R): ब्रिटिश सरकार ने अकाल के दौरान भी अनाज निर्यात को प्राथमिकता दी।
A) दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या है
B) दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है
C) A सही है, R गलत है
D) A गलत है, R सही है
उत्तर: A) दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या है
व्याख्या: ब्रिटिश नीतियाँ खाद्यान्नों के निर्यात को रोकने में विफल रहीं।
4. ब्रिटिश द्वारा स्थापित पहला अकाल आयोग कौन सा था?
A) 1898 का अकाल आयोग
B) 1880 का अकाल आयोग
C) 1871 का अकाल आयोग
D) 1943 का अकाल जाँच आयोग
उत्तर: B) 1880 का अकाल आयोग
व्याख्या: 1876-78 के मद्रास अकाल के बाद यह आयोग बनाया गया।
5. ब्रिटिश अकाल नीति किस आर्थिक विचारधारा से प्रेरित थी?
A) संरक्षणवाद (Protectionism)
B) लेसेज़-फेयर
C) व्यापारवाद (Mercantilism)
D) समाजवाद
उत्तर: B) लेसेज़-फेयर
व्याख्या: ब्रिटिश सरकार का मानना था कि बाजार में न्यूनतम हस्तक्षेप होना चाहिए।
6. कथन I: बॉम्बे अकाल (1899) में राहत कार्य सफल रहे।
कथन II: राहत कार्य के मजदूरी प्रावधान अपर्याप्त और कुप्रशासित थे।
A) दोनों कथन सही हैं
B) केवल कथन I सही है
C) केवल कथन II सही है
D) दोनों कथन गलत हैं
उत्तर: C) केवल कथन II सही है
व्याख्या: राहत शिविर और मजदूरी नीतियाँ लोगों को बचाने में असफल रहीं।
7. ‘ड्रेन थ्योरी’ किसने प्रस्तुत की थी?
A) एम.जी. रानाडे
B) गोपाल कृष्ण गोखले
C) दादाभाई नौरोजी
D) बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: C) दादाभाई नौरोजी
व्याख्या: उन्होंने भारत से ब्रिटेन में संपत्ति के निकास को गरीबी का मुख्य कारण बताया।
8. निम्नलिखित में से किसने ब्रिटिश शासन के तहत ग्रामीण गरीबी में योगदान नहीं दिया?
A) नकदी फसलों की खेती
B) उच्च कर व्यवस्था
C) कुटीर उद्योगों का प्रोत्साहन
D) औद्योगीकरण का अभाव
उत्तर: C) कुटीर उद्योगों का प्रोत्साहन
व्याख्या: ब्रिटिश शासन के दौरान कुटीर उद्योगों का ह्रास हुआ।
9. किस अकाल ने कई अकाल आयोगों की विफलता को उजागर किया?
A) उड़ीसा अकाल (1866)
B) मद्रास अकाल (1876–78)
C) बॉम्बे अकाल (1899)
D) बंगाल अकाल (1943)
उत्तर: C) बॉम्बे अकाल (1899)
व्याख्या: आयोगों के बावजूद राहत तंत्र अप्रभावी रहा।
10. कथन (A): ब्रिटिश प्रशासनिक दृष्टिकोण में अकालों को प्राकृतिक जनसंख्या नियंत्रण माना गया।
कारण (R): माल्थुसियन सिद्धांत ने ब्रिटिश नीति को प्रभावित किया।
A) दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या है
B) दोनों सही हैं, परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है
C) A सही है, R गलत है
D) A गलत है, R सही है
उत्तर: A) दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या है
व्याख्या: ब्रिटिश अधिकारियों ने माल्थस के विचारों को मान्यता दी थी।
11. ब्रिटिश अकाल नीति के परिणाम क्या थे?
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि
- ग्रामीण हस्तशिल्प का पतन
- खाद्य सुरक्षा में सुधार
- नकदी फसलों की ओर झुकाव
सही उत्तर चुनें:
A) केवल 1 और 3
B) केवल 2 और 4
C) केवल 1, 2 और 4
D) केवल 2, 3 और 4
उत्तर: B) केवल 2 और 4
व्याख्या: ब्रिटिश नीतियों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कमजोर किया।
12. निम्नलिखित में से किस विचारक ने ब्रिटिश शासन और अकाल पर विस्तृत रूप से लिखा?
A) बिपिन चंद्र पाल
B) आर.सी. दत्त
C) राजा राम मोहन राय
D) गोपाल हरी देशमुख
उत्तर: B) आर.सी. दत्त
व्याख्या: उन्होंने अकालों और औपनिवेशिक नीतियों के बीच संबंध को उजागर किया।
13. ब्रिटिश द्वारा अकाल के समय अनाज आयात नहीं करने के पीछे मुख्य सिद्धांत क्या था?
A) मुद्रास्फीति से बचाव
B) राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना
C) बाजार में विकृति रोकना
D) परिवहन लागत
उत्तर: C) बाजार में विकृति रोकना
व्याख्या: ‘लेसेज़-फेयर’ नीति के तहत हस्तक्षेप से परहेज़ किया गया।
14. 1880 के बाद शुरू हुए राहत कोड का मुख्य फोकस क्या था?
A) खाद्यान्न वितरण
B) सामुदायिक भागीदारी
C) लागत-कुशलता
D) कृषि निवेश
उत्तर: C) लागत-कुशलता
व्याख्या: राहत कार्यों को कम खर्च में करना मुख्य लक्ष्य था।
15. कथन I: ब्रिटिश शासन में अकाल पूरी तरह प्राकृतिक आपदाएँ थे।
कथन II: अनाज निर्यात और राहत की कमी जैसी नीतियों ने स्थिति को और खराब किया।
A) दोनों सही हैं
B) I सही है, II गलत है
C) I गलत है, II सही है
D) दोनों गलत हैं
उत्तर: C) I गलत है, II सही है
व्याख्या: अधिकांश अकाल मानव निर्मित थे, जिनमें नीतिगत विफलता मुख्य कारण थी।