बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी, पूना सार्वजनिक सभा (जमींदारों का समाज (1837), ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन (1851), पूना सार्वजनिक सभा (1870), मद्रास महाजन सभा (1884), इंडियन एसोसिएशन (सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, 1876), उद्देश्य: प्रतिनिधित्व, नागरिक अधिकार, याचिकाएँ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नींव तैयार करने में भूमिका)
UPSC के लिए, प्रारंभिक राजनीतिक संगठन कई विषयों में प्रासंगिक हैं।आधुनिक भारतीय इतिहास (GS पेपर I) में इनके उद्भव और राष्ट्रीय जागरण में इनके महत्व को शामिल किया गया है। राजव्यवस्था इन प्रयासों को संवैधानिक अधिकारों और विधायी प्रतिनिधित्व की प्रारंभिक मांगों से जोड़ती है।नैतिकता (GS पेपर IV) में इनके न्याय और सार्वजनिक कल्याण के प्रति समर्पण को संदर्भित किया जाता है।ये विषय नैशनलिज़्म और सिविल सोसायटी जैसे निबंध विषयों को भी मजबूती प्रदान करते हैं। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) में इनके तथ्य पूछे जाते हैं, जबकि मुख्य परीक्षा (Mains) में इनके ऐतिहासिक प्रभावों का विश्लेषण किया जाता है। इसलिए यह विषय UPSC की तैयारी में गहराई से समाहित है। |
परिचय
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885) की स्थापना से पहले ही आधुनिक भारत की राजनीतिक चेतना का उदय हो चुका था।
इस पूर्व-कांग्रेस काल में ब्रिटिश भारत में कई राजनीतिक संगठनों का गठन हुआ, जो नागरिक अधिकारों, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक सुधारों की प्रारंभिक आकांक्षाओं को दर्शाते थे।
इन संगठनों ने राष्ट्रवाद के बीज बोने और भारतीय बुद्धिजीवियों को संगठित संघर्ष के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
1. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी (1843)
स्थापना: 1843, लंदन और कलकत्ता
प्रमुख व्यक्ति: विलियम एडम, जॉर्ज थॉम्पसन
मुख्यालय: कलकत्ता
उद्देश्य:
- भारत में ब्रिटिश शासन की प्रकृति की जानकारी का प्रसार
- वैधानिक और संवैधानिक माध्यमों से भारतीय कल्याण
- ब्रिटेन में भारत की शिकायतों के प्रति जनमत बनाना
महत्त्व: यह संगठन ब्रिटिश शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने वाले प्रारंभिक संगठनों में से एक था। यद्यपि यह ब्रिटिश उदारवादियों द्वारा संचालित था, फिर भी इसने भारतीयों की शिकायतों को मंच प्रदान किया और ब्रिटिश संसद से संवाद की परंपरा शुरू की।
2. जमींदारों का समाज (1837)
स्थापना: 1837, कलकत्ता
दूसरा नाम: जमींदारी एसोसिएशन
उद्देश्य:
- स्थायी बंदोबस्त के अंतर्गत जमींदारों के हितों की रक्षा
- भूमि स्वामित्व के कानूनी अधिकारों की सुरक्षा
महत्त्व: यह ब्रिटिश सरकार को संबोधित करने वाला भारतीयों का पहला सामूहिक प्रयास था। यद्यपि यह केवल जमींदारों तक सीमित था, लेकिन इसने भविष्य की राजनीतिक संगठनों की नींव रखी।
3. ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन (1851)
गठन: जमींदारों का समाज और बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी के विलय से
प्रमुख व्यक्ति: राधाकांत देव, देवेन्द्रनाथ टैगोर
उद्देश्य:
- शिक्षा का प्रचार
- विधायी सुधार और भारतीयों की प्रशासन में भागीदारी
- कानूनी और संवैधानिक सुधारों की मांग
महत्त्व: इसने ब्रिटिश संसद को कई याचिकाएँ भेजीं और संवैधानिक मांगों की परंपरा शुरू की। यह मुख्यतः बंगाली अभिजात वर्ग का प्रतिनिधित्व करता था और टकराव के बजाय सहयोग का मार्ग अपनाता था।
4. पूना सार्वजनिक सभा (1870)
स्थापना: 1870, पूना
प्रमुख व्यक्ति: महादेव गोविंद रानाडे
उद्देश्य:
- जनता की मांगों को ब्रिटिश सरकार तक पहुँचाना
- भारतीयों में राजनीतिक शिक्षा का प्रसार
- प्रशासनिक सुधारों और प्रतिनिधित्व की मांग
महत्त्व: यह संगठन सामाजिक सुधार और राजनीतिक चेतना के बीच की कड़ी था। इसने जनसभाएँ आयोजित कीं और याचिकाएँ प्रस्तुत कीं।
5. इंडियन एसोसिएशन (1876)
स्थापना: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और आनन्दमोहन बोस
मुख्यालय: कलकत्ता
उद्देश्य:
- शासन में भारतीयों की भागीदारी
- जाति और धर्म से परे भारतीय एकता
- राजनीतिक जागरूकता और नागरिक अधिकारों का प्रसार
महत्त्व: इसने 1883 में प्रथम अखिल भारतीय राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
6. मद्रास महाजन सभा (1884)
स्थापना: 1884, मद्रास
प्रमुख व्यक्ति: एम. वीरराघवचारी, पी. आनंदचार्लु, जी. सुब्रमण्यम अय्यर
उद्देश्य:
- संवैधानिक माध्यमों से राजनीतिक आंदोलन
- प्रशासनिक और विधायी सुधार
- जनसामान्य के लिए शिक्षा और राजनीतिक प्रशिक्षण
महत्त्व: इसने दक्षिण भारत में राजनीतिक संस्कृति के विकास में योगदान दिया और कांग्रेस की स्थापना में सहायता की।
साझा उद्देश्य और विरासत
सामान्य उद्देश्य:
- विधायी परिषदों में भारतीयों का प्रतिनिधित्व
- नागरिक अधिकारों की सुरक्षा
- याचिकाएँ और ज्ञापन: राजनीतिक अभिव्यक्ति के साधन
- शिक्षा और जागरूकता का प्रचार
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नींव में भूमिका:
- राजनीतिक रूप से जागरूक मध्यवर्ग का विकास
- भविष्य के राष्ट्रवादी नेताओं को मंच
- संगठित राजनीतिक गतिविधियों की तैयारी
- संवाद और सहयोग की संस्कृति ने कांग्रेस के गठन को संभव बनाया
निष्कर्ष
ये प्रारंभिक राजनीतिक संगठन क्षेत्रीय और मध्यमार्गी (moderate) दृष्टिकोण वाले थे, लेकिन इन्होंने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन की मजबूत नींव रखी।
इनका योगदान, भले ही कभी-कभी कम आंका गया हो, भारत की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं की प्रारंभिक अवस्था का प्रतिनिधित्व करता है।
UPSC अभ्यर्थियों के लिए, इन संगठनों की उत्पत्ति को समझना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और स्वतंत्रता संग्राम के वैचारिक व संरचनात्मक विकास को समझने में अत्यंत सहायक है। |
MCQ
1. निम्नलिखित में से ब्रिटिश भारत में स्थापित पहला राजनीतिक संगठन कौन था?
A. ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन
B. जमींदारों का समाज
C. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी
D. पूना सार्वजनिक सभा
उत्तर: B. जमींदारों का समाज
व्याख्या: 1837 में स्थापित, यह स्थायी बंदोबस्त के अंतर्गत जमींदारों के अधिकारों की रक्षा हेतु बना पहला राजनीतिक संगठन था।
2. पूना सार्वजनिक सभा मुख्यतः किस कारण प्रसिद्ध थी?
A. जमींदारों के हितों का प्रतिनिधित्व
B. कृषक विद्रोहों के लिए कार्य
C. राजनीतिक शिक्षा और सुधारों को बढ़ावा देना
D. सशस्त्र प्रतिरोध का आयोजन
उत्तर: C. राजनीतिक शिक्षा और सुधारों को बढ़ावा देना
व्याख्या: सभा ने जन-प्रतिनिधित्व और राजनीतिक जागरूकता के संवैधानिक साधनों को बढ़ावा दिया।
3. निम्नलिखित में से कौन ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की स्थापना से जुड़ा था?
A. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
B. महादेव गोविंद रानाडे
C. देवेन्द्रनाथ टैगोर
D. फिरोजशाह मेहता
उत्तर: C. देवेन्द्रनाथ टैगोर
व्याख्या: 1851 में राधाकांत देव और देवेन्द्रनाथ टैगोर के नेतृत्व में यह संगठन बना।
4. निम्न में से कौन सा संगठन भारत और विदेश दोनों में स्थापित हुआ था?
A. मद्रास महाजन सभा
B. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी
C. इंडियन एसोसिएशन
D. ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन
उत्तर: B. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी
व्याख्या: यह 1843 में लंदन और कलकत्ता दोनों में स्थापित हुआ।
5. इंडियन एसोसिएशन ने निम्नलिखित में से कौन-सी घटना का आयोजन किया था?
A. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन
B. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
C. प्रथम अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन (1883)
D. हंटर आयोग
उत्तर: C. प्रथम अखिल भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन (1883)
व्याख्या: इस सम्मेलन ने अखिल भारतीय राजनीतिक चेतना को जन्म दिया।
6. कथन (A): मद्रास महाजन सभा ने दक्षिण भारत में राजनीतिक जागरूकता में अहम भूमिका निभाई।
कारण (R): इसने ब्रिटिश विरोध में क्रांतिकारी तरीके अपनाए।
A. A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है
B. A और R दोनों सत्य हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है
C. A सत्य है, लेकिन R असत्य है
D. A असत्य है, लेकिन R सत्य है
उत्तर: C. A सत्य है, लेकिन R असत्य है
व्याख्या: सभा ने क्रांतिकारी नहीं, बल्कि संवैधानिक तरीकों का प्रयोग किया।
7. निम्न में से किन दो संगठनों के विलय से ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन का गठन हुआ?
A. इंडियन एसोसिएशन और पूना सभा
B. जमींदारों का समाज और इंडियन एसोसिएशन
C. जमींदारों का समाज और बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी
D. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी और मद्रास महाजन सभा
उत्तर: C. जमींदारों का समाज और बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी
व्याख्या: इन दोनों के 1851 में विलय से यह संगठन बना।
8. पूना सार्वजनिक सभा को किस कार्य के लिए याद किया जाता है?
A. असहयोग आंदोलन की शुरुआत
B. संविधान का प्रारूप
C. ब्रिटिश सरकार को याचिकाएँ भेजना
D. सशस्त्र विद्रोहों का आयोजन
उत्तर: C. ब्रिटिश सरकार को याचिकाएँ भेजना
व्याख्या: इसने संवैधानिक सुधारों की मांग हेतु याचिकाएँ भेजीं।
9. निम्नलिखित संगठनों को उनके संस्थापकों से मिलाइए:
संगठन – संस्थापक
A. इंडियन एसोसिएशन – 1. एम. वीरराघवचारी
B. मद्रास महाजन सभा – 2. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
C. पूना सार्वजनिक सभा – 3. महादेव गोविंद रानाडे
कोड्स:
A – 2, B – 1, C – 3
A – 3, B – 1, C – 2
A – 1, B – 2, C – 3
A – 2, B – 3, C – 1
उत्तर: A – 2, B – 1, C – 3
व्याख्या: सभी संस्थापक सही तरीके से संबंधित संगठनों से जुड़े हैं।
10. “इंडियन” शब्द का प्रयोग अपने नाम में करने वाला पहला संगठन कौन-सा था?
A. जमींदारों का समाज
B. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी
C. इंडियन एसोसिएशन
D. ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन
उत्तर: D. ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन
व्याख्या: 1851 में गठित, यह पहला संगठन था जिसमें “Indian” शब्द आया।
11. कथन (A): प्रारंभिक राजनीतिक संगठन जनसाधारण को संगठित करने में विफल रहे।
कारण (R): वे मुख्यतः अभिजात्य और शहरी क्षेत्र तक सीमित थे।
A. A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है
B. A और R दोनों सत्य हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है
C. A सत्य है, लेकिन R असत्य है
D. A असत्य है, लेकिन R सत्य है
उत्तर: A. A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है
व्याख्या: ये संगठन शिक्षित, संभ्रांत वर्ग तक सीमित थे और ग्रामीण जनता तक नहीं पहुँच सके।
12. इंडियन एसोसिएशन विशेष रूप से किस माँग के लिए सक्रिय थी?
A. ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता
B. विधायी परिषदों में भारतीयों की भागीदारी
C. ब्रिटिशों के खिलाफ सैन्य प्रतिरोध
D. जाति व्यवस्था का अंत
उत्तर: B. विधायी परिषदों में भारतीयों की भागीदारी
व्याख्या: इसका मुख्य उद्देश्य प्रशासन में भारतीय भागीदारी सुनिश्चित करना था।
13. “जमींदारी एसोसिएशन” किस संगठन का दूसरा नाम है?
A. मद्रास महाजन सभा
B. इंडियन एसोसिएशन
C. जमींदारों का समाज
D. बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी
उत्तर: C. जमींदारों का समाज
व्याख्या: यह मुख्यतः जमींदारों के हितों के लिए बना संगठन था।
14. निम्न में से कौन प्रारंभिक राजनीतिक संगठनों के योगदान का सटीक वर्णन करता है?
A. इन्होंने प्रत्यक्ष वार्ताओं द्वारा संवैधानिक सुधार प्राप्त किए।
B. इन्होंने आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद की नींव रखी।
C. इन्होंने व्यापक किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया।
D. ये शिक्षा और पाश्चात्य विचारों के विरोध में थे।
उत्तर: B. इन्होंने आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद की नींव रखी।
व्याख्या: ये संगठन राष्ट्रवादी विचारधारा की प्रारंभिक धारा थे।
15. कथन (A): भारत में प्रारंभिक राजनीतिक संगठनों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए नींव तैयार की।
कारण (R): इन्होंने राजनीतिक एकता, नागरिक अधिकारों की चर्चा और याचिकाओं की परंपरा को बढ़ावा दिया।
A. A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है
B. A और R दोनों सत्य हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है
C. A सत्य है, लेकिन R असत्य है
D. A असत्य है, लेकिन R सत्य है
उत्तर: A. A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या है
व्याख्या: इन संगठनों ने विचार, संगठन और रणनीति की वह आधारशिला रखी, जिस पर बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की संरचना बनी।