धन के निकासी सिद्धांत (Drain of Wealth Theory) एवं भारत में औपनिवेशिक शासन का आर्थिक प्रभाव

(दादाभाई नौरोजी का धन निकासी सिद्धांत, आर्थिक शोषण के प्रकार: व्यापार, कर, होम चार्जेज, हस्तशिल्प और पारंपरिक उद्योगों का पतन, असमान व्यापार, औद्योगीकरण का पतन, भारतीय अर्थव्यवस्था, समाज और वर्ग संरचना पर प्रभाव)

ये आर्थिक परिवर्तन और दादाभाई नौरोजी का धन निकासी सिद्धांत UPSC की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये GS पेपर I (आधुनिक भारतीय इतिहास), GS पेपर II (सामाजिक-आर्थिक सुधार एवं औपनिवेशिक प्रभाव) और GS पेपर III (आर्थिक विकास) में बहुत प्रासंगिक हैं, खासकर भारत की अर्थव्यवस्था की ऐतिहासिक जड़ों को समझने के संदर्भ में।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत भारत के आर्थिक शोषण को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राष्ट्रीयतावाद की औपनिवेशिक आलोचना का एक मुख्य हिस्सा है।

दादाभाई नौरोजी का धन निकासी सिद्धांत (Drain of Wealth Theory)

भारत में ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के सबसे पहले और मुखर आलोचकों में से एक, दादाभाई नौरोजी ने धन निकासी सिद्धांत प्रस्तुत किया। इस सिद्धांत में बताया गया कि कैसे ब्रिटेन बिना किसी उचित आर्थिक या भौतिक लाभ के भारत से लगातार धन का निष्कासन कर रहा था।

धन निकासी सिद्धांत के मुख्य बिंदु:

  • नौरोजी की पुस्तक “पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया” में प्रस्तुत।
  • अनुमानित वार्षिक धन निकासी लगभग ₹50 करोड़।
  • भारत में उत्पन्न धन का उपयोग ब्रिटिश हितों के लिए किया जा रहा था।
  • यह प्रक्रिया भारतीय गरीबी का मूल कारण थी।

ब्रिटिश शासन में आर्थिक शोषण के प्रकार

औपनिवेशिक प्रशासन ने भारत का आर्थिक शोषण कई तरीकों से किया:

1. व्यापार शोषण:

  • भारत कच्चे माल का प्रदाता और ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं का बाजार बन गया।
  • स्वदेशी उद्योग सस्ते ब्रिटिश आयातों से मुकाबला नहीं कर सके।

2. कर प्रणाली:

  • ज़मिंदारी और रैयतवारी जैसे भारी भूमि राजस्व प्रणाली ने किसानों पर असहनीय बोझ डाला।
  • वसूला गया राजस्व ब्रिटिश सैन्य और प्रशासनिक खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया।

3. होम चार्जेज:

  • भारतीय राजस्व का बड़ा हिस्सा ब्रिटेन को ‘होम चार्जेज’ के तहत भेजा जाता था, जिसमें ब्रिटिश अधिकारियों के पेंशन, वेतन और अन्य खर्च शामिल थे।

4. सार्वजनिक ऋण:

  • भारत के लिए ब्रिटेन में लिए गए कर्ज का भुगतान भारत को करना पड़ता था, साथ ही ब्याज भी देना होता था।

हस्तशिल्प और पारंपरिक उद्योगों का पतन

ब्रिटिश औद्योगिक नीति ने भारत के औद्योगीकरण को प्रणालीगत रूप से खत्म कर दिया:

  • कपड़ा, धातु कार्य और मिट्टी के बर्तन जैसे पारंपरिक शिल्पों का भारी पतन हुआ।
  • कुशल कारीगर और बुनकर बेरोजगार हो गए, जिससे शहरी बेरोजगारी बढ़ी।
  • ब्रिटिश वस्तुओं की प्राथमिकता ने भारत की स्वावलंबी ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया।

आर्थिक प्रभाव:

  • मैन्युफैक्चरिंग आधारित अर्थव्यवस्था से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव।
  • कृषि पर अधिक निर्भरता के कारण अर्थव्यवस्था में स्थिरता नहीं आई और गरीबी बढ़ी।

असमान व्यापार और औद्योगीकरण का पतन

  • Finished goods (तैयार माल) ब्रिटेन से महंगे दामों पर आयात।
  • India से कच्चे माल का सस्ते दामों पर निर्यात।
  • इस असमान व्यापार ने ब्रिटेन को आर्थिक लाभ दिया और भारत से धन निकासी जारी रही।
  • औद्योगीकरण का पतन केवल आर्थिक नहीं, बल्कि संरचनात्मक था, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद बदल गई।
  • भारत निर्मित वस्तुओं का निर्यातक से आयातक बन गया।
  • पारंपरिक ज्ञान और कौशल का नुकसान हुआ।

भारतीय अर्थव्यवस्था, समाज और वर्ग संरचना पर प्रभाव

आर्थिक प्रभाव:

  • लगातार गरीबी और अकाल।
  • पूंजी निर्माण और औद्योगिक आधार की कमी।
  • कृषि उत्पादकता का ठहराव।

सामाजिक प्रभाव:

  • ग्रामीण समुदायों का टूटना।
  • कारीगरों और शिल्पकारों का विस्थापन।
  • नव निर्मित ज़मींदार और साहूकार वर्ग का उदय।

वर्ग संरचना:

  • पश्चिमी विचारों से प्रभावित शिक्षित मध्य वर्ग का उदय।
  • औपनिवेशिक शक्तियों के साथ मिलकर काम करने वाले ज़मींदारों और मध्यस्थों का निर्माण।

निष्कर्ष

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत भारत का आर्थिक शोषण, जैसा कि दादाभाई नौरोजी के धन निकासी सिद्धांत में प्रस्तुत है, यह दर्शाता है कि कैसे औपनिवेशवाद ने भारत को व्यवस्थित रूप से पिछड़ा किया। इसके माध्यम से भारत की धन-संपदा निकाली गई, पारंपरिक उद्योगों को कमजोर किया गया और आर्थिक संरचना को ब्रिटिश साम्राज्य के हितों के अनुसार पुनर्गठित किया गया।

यह विषय UPSC के लिए न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की वर्तमान आर्थिक चुनौतियों और औपनिवेशिक विरासत को समझने के लिए भी आधार प्रदान करता है।

MCQ

“भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन” के रूप में कौन जाने जाते हैं जिन्होंने धन निकासी सिद्धांत प्रस्तुत किया?
A. गोपाल कृष्ण गोखले
B. बाल गंगाधर तिलक
C. दादाभाई नौरोजी
D. सुरेंद्रनाथ बनर्जी
उत्तर: C. दादाभाई नौरोजी
व्याख्या: दादाभाई नौरोजी को “भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन” कहा जाता है और उन्होंने अपनी पुस्तक पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया में धन निकासी सिद्धांत को सबसे पहले व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया।

धन निकासी सिद्धांत का विस्तृत विवरण किस पुस्तक में मिलता है?
A. इंडिया अनरेस्ट
B. इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया
C. पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया
D. डिस्कवरी ऑफ इंडिया
उत्तर: C. पावर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया
व्याख्या: नौरोजी की पुस्तक में बताया गया कि कैसे ब्रिटिश शासन ने भारतीय धन की निकासी की।

ब्रिटिश शासन के दौरान ‘होम चार्जेज’ का क्या अर्थ था?
A. भारतीय निर्यात पर कस्टम ड्यूटी
B. विदेश में भारतीय कामगारों द्वारा भेजे गए रेमिटेंस
C. प्रशासनिक खर्च, पेंशन और ब्याज के लिए ब्रिटेन भेजे गए भुगतान
D. भारतीय गाँवों में वसूले गए कर
उत्तर: C. प्रशासनिक खर्च, पेंशन और ब्याज के लिए ब्रिटेन भेजे गए भुगतान
व्याख्या: होम चार्जेज भारत से ब्रिटेन भेजे जाने वाले नियमित खर्च थे, जिसमें ब्रिटिश अधिकारियों के वेतन, पेंशन आदि शामिल थे।

दावा (Assertion) (A): धन निकासी सिद्धांत ने यह बताया कि भारत की गरीबी का कारण ब्रिटिश आर्थिक नीतियां थीं।
कारण (Reason) (R): भारतीय राजस्व मुख्यतः स्थानीय विकास के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
A. दोनों A और R सही हैं, और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
B. दोनों A और R सही हैं, पर R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
C. A सही है, पर R गलत है।
D. A गलत है, पर R सही है।
उत्तर: C. A सही है, पर R गलत है।
व्याख्या: नौरोजी ने कहा कि भारतीय गरीबी का कारण धन का ब्रिटेन में बहिर्वाह था, और राजस्व भारत के विकास के लिए नहीं बल्कि ब्रिटेन को भेजा जाता था।

ब्रिटिश औद्योगीकरण नीति के कारण सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कौन सा था?
A. रेलवे
B. कृषि
C. पारंपरिक हस्तशिल्प
D. खनन
उत्तर: C. पारंपरिक हस्तशिल्प
व्याख्या: ब्रिटिश नीतियों से स्थानीय कारीगरी जैसे कपड़ा, धातुकार्य और मिट्टी के बर्तन उद्योगों का पतन हुआ।

रैयतवारी और ज़मिंदारी जैसे अत्यधिक भूमि कर प्रणाली का क्या प्रभाव था?
A. कृषि निर्यात में वृद्धि
B. किसानों का सशक्तिकरण
C. ग्रामीण कर्जदारी और गरीबी में वृद्धि
D. ग्रामीण इलाकों का तीव्र औद्योगीकरण
उत्तर: C. ग्रामीण कर्जदारी और गरीबी में वृद्धि
व्याख्या: भारी कर प्रणाली ने किसानों को कर्ज में डुबोया और ज़मींदारों तथा साहूकारों को फायदा पहुंचाया।

औपनिवेशिक शासन में असमान व्यापार का क्या अर्थ है?
A. भारत और ब्रिटेन के बीच समान वस्तुओं का आदान-प्रदान
B. ब्रिटेन की तैयार वस्तुओं का सस्ते दाम पर निर्यात
C. भारत से कच्चे माल का सस्ते दाम पर निर्यात और ब्रिटेन से महंगे तैयार माल का आयात
D. ब्रिटिश कॉलोनियों में भारतीय मजदूरों का निर्यात
उत्तर: C. भारत से कच्चे माल का सस्ते दाम पर निर्यात और ब्रिटेन से महंगे तैयार माल का आयात
व्याख्या: यह व्यापार असंतुलन ब्रिटेन को लाभ पहुंचाता था और भारत से धन का बहिर्वाह करता था।

ब्रिटिश शासन में आर्थिक शोषण के निम्नलिखित में से कौन कारण नहीं था?
A. होम चार्जेज
B. सार्वजनिक ऋण
C. भारतीय क्षेत्रों का समान आर्थिक विकास
D. असमान व्यापार
उत्तर: C. भारतीय क्षेत्रों का समान आर्थिक विकास
व्याख्या: आर्थिक विकास असमान था और औपनिवेशिक शक्ति को फायदा पहुंचाने वाला था।

औपनिवेशिक भारत में औद्योगीकरण के पतन की कौन सी विशेषता सही नहीं है?
A. पारंपरिक उद्योगों का पतन
B. कारीगर रोजगार में वृद्धि
C. सस्ते ब्रिटिश माल का प्रवाह
D. शहरी हस्तशिल्प का पतन
उत्तर: B. कारीगर रोजगार में वृद्धि
व्याख्या: कारीगरों की बेरोजगारी बढ़ी क्योंकि स्थानीय उद्योग नष्ट हो गए।

ब्रिटिश शासन के तहत आर्थिक शोषण के दीर्घकालिक प्रभावों में से एक क्या था?
A. मजबूत औद्योगिक आधार का निर्माण
B. भारतीय उद्योगों में पूंजी निर्माण में वृद्धि
C. कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में रूपांतरण
D. गरीबी में कमी
उत्तर: C. कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में रूपांतरण
व्याख्या: औद्योगीकरण का पतन और शोषण से भारत कृषि पर अधिक निर्भर हो गया।

दावा (A): ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय कृषि को स्थिर कर दिया।
कारण (R): निर्यात के लिए नकदी फसलों पर जोर दिया गया न कि खाद्य फसलों पर।
A. दोनों A और R सही हैं, और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
B. दोनों A और R सही हैं, पर R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
C. A सही है, पर R गलत है।
D. A गलत है, पर R सही है।
उत्तर: A. दोनों A और R सही हैं, और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
व्याख्या: इंडिगो और कपास जैसे नकदी फसलों पर ध्यान केंद्रित करने से खाद्य फसलों की खेती कम हुई और कृषि स्थिर हो गई।

कथन I: ब्रिटिशों ने स्थायी व्यवस्था के तहत ज़मींदार वर्ग बनाया।
कथन II: ये ज़मींदार औपनिवेशिक नीतियों से लाभान्वित मध्यस्थ के रूप में कार्य करते थे।
A. दोनों कथन सही हैं।
B. केवल कथन I सही है।
C. केवल कथन II सही है।
D. दोनों कथन गलत हैं।
उत्तर: A. दोनों कथन सही हैं।
व्याख्या: स्थायी व्यवस्था ने एक वफादार ज़मींदार वर्ग बनाया जो कर वसूलता और ब्रिटिश शासन का समर्थन करता था।

दादाभाई नौरोजी के अनुसार ‘धन निकासी’ का वार्षिक अनुमानित राशि क्या थी?
A. ₹10 करोड़
B. ₹20 करोड़
C. ₹50 करोड़
D. ₹100 करोड़
उत्तर: C. ₹50 करोड़
व्याख्या: नौरोजी ने धन निकासी की वार्षिक राशि लगभग ₹50 करोड़ बताई थी, जो उस समय बहुत बड़ी राशि थी।

ब्रिटिश शासन के तहत आर्थिक रूपांतरण का सही वर्णन कौन सा है?
A. कृषि से उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव
B. भारतीय औद्योगिक अवसंरचना में निवेश में वृद्धि
C. औद्योगिक से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में बदलाव
D. भारत में भारतीय स्वामित्व वाले कपड़ा मिलों की स्थापना
उत्तर: C. औद्योगिक से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में बदलाव
व्याख्या: ब्रिटिश नीतियों से औद्योगिक पतन हुआ और कृषि पर निर्भरता बढ़ी।

दावा (A): ब्रिटिश शासन के दौरान भारत तैयार माल का आयातक बन गया।
कारण (R): ब्रिटिश ने भारी कर लगाकर स्थानीय उद्योगों को हतोत्साहित किया और अपने माल को बढ़ावा दिया।
A. दोनों A और R सही हैं, और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
B. दोनों A और R सही हैं, पर R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
C. A सही है, पर R गलत है।
D. A गलत है, पर R सही है।
उत्तर: A. दोनों A और R सही हैं, और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
व्याख्या: ब्रिटिश नीतियों ने आयात को बढ़ावा दिया और स्थानीय उत्पादन को दबाया।

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