देशज उद्योगों का विनाश और कृषि का वाणिज्यीकरण (कुटीर उद्योगों और शिल्पकारों का विस्थापन, कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि (कपास, नील), शहरी केंद्रों का पतन, नए बंदरगाह नगरों का उदय, वाणिज्यिक फसलें: नील, जूट, अफीम, वन और खनिज संसाधनों पर औपनिवेशिक नीतियां)
UPSC उम्मीदवारों के लिए इन पहलुओं को समझना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि ये आर्थिक इतिहास के सेक्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और औपनिवेशिक काल में समाज और राजनीति पर इनके गहरे प्रभाव थे।
ब्रिटिश भारत की आर्थिक नीतियों और औपनिवेशिक रणनीतियों का पारंपरिक भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा, विशेषकर देशज उद्योगों और कृषि प्रथाओं पर।
1. कुटीर उद्योगों और शिल्पकारों का विस्थापन
ब्रिटिश औपनिवेशवाद का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव भारत के देशज कुटीर उद्योगों का पतन था। मुगल और पहले के शासनकाल में फल-फूल रहे भारतीय कारीगर और शिल्पकार ब्रिटेन से आने वाले औद्योगिक वस्त्रों के कारण धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए।
औद्योगिक क्रांति का प्रभाव: ब्रिटेन में यांत्रिक वस्त्र उत्पादन के कारण सस्ते और बड़े पैमाने पर बने माल ने भारतीय बाजार को भर दिया।
औद्योगिकीकरण की कमी: ब्रिटिश नीतियां इन वस्तुओं के आयात को प्रोत्साहित करती थीं जबकि भारतीय हथकरघा वस्त्रों पर भारी आयात शुल्क लगाकर उनका व्यापार बंद कर दिया।
जीविका का नुकसान: इससे कुशल कारीगरों जैसे बुनकरों, कुम्हारों और लोहारों का विस्थापन हुआ, जो गरीबी या कृषि की ओर मजबूर हुए।
2. कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि: कपास और नील
देशज विनिर्माण दबा दिए जाने से भारत की भूमिका ब्रिटिश उद्योगों के लिए कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता तक सीमित हो गई।
कपास: अमेरिकी गृहयुद्ध (1861-65) के दौरान अमेरिका से कपास की आपूर्ति बाधित होने पर भारत से कपास का निर्यात बढ़ा।
नील: नील की खेती तेजी से बंगाल और बिहार में बढ़ी क्योंकि यह ब्रिटिश वस्त्र उत्पादन के लिए आवश्यक रंगाई का पदार्थ था।
कच्चे माल के निर्यात पर ज़ोर ने कृषि प्राथमिकताओं को बदला और भारतीय किसान वैश्विक बाजार पर निर्भर हुए, जिससे शोषण भी हुआ।
UPSC मेन्स का दृष्टिकोण: चर्चा करें कि कैसे औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था ब्रिटिश औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत को कच्चे माल का सप्लायर बनाया।
3. शहरी केंद्रों का पतन और नए बंदरगाह नगरों का उदय
ब्रिटिश नीतियों ने शहरी जीवन की आर्थिक संरचना में बड़ा बदलाव किया।
परंपरागत शहरी केंद्रों का पतन: आगरा, वाराणसी, मुर्शिदाबाद जैसे शहर, जो देशज व्यापार और कुटीर उद्योगों के केंद्र थे, उद्योगों के पतन से गिर गए।
बंदरगाह नगरों का उदय: बॉम्बे (मुंबई), कोलकाता (कलकत्ता), मद्रास (चेन्नई) जैसे नए बंदरगाह नगर उभरे जो कच्चे माल के निर्यात और ब्रिटिश वस्तुओं के आयात के केंद्र बने।
इस परिवर्तन ने भारतीय शहरी जीवन के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने को बदल दिया।
4. वाणिज्यिक फसलें: नील, जूट, अफीम
औपनिवेशिक कृषि नीतियों ने ब्रिटिश औद्योगिक और आर्थिक हितों के लिए वाणिज्यिक फसलों की खेती को बढ़ावा दिया।
नील: ‘टिनकाठिया प्रणाली’ के तहत किसानों पर नील की अनिवार्य खेती का बोझ पड़ा, जिससे 1859-60 में नील विद्रोह हुआ।
जूट: बंगाल जूट की खेती और प्रसंस्करण का केंद्र बन गया, और फाइबर यूरोप निर्यात किया गया।
अफीम: मुख्य रूप से बंगाल और मालवा में अफीम की खेती को चीन निर्यात के लिए बढ़ावा दिया गया, जिससे औपनिवेशिक प्रशासन को वित्तीय सहायता मिली।
ये वाणिज्यिक फसलें अक्सर खाद्य फसलों की जगह लेती रहीं, जिससे खाद्य संकट और अकाल की स्थिति बनी।
5. वन और खनिज संसाधनों पर औपनिवेशिक नीतियां
ब्रिटिशों ने औद्योगिक विकास और राजस्व के लिए वन और खनिज संपदा का व्यवस्थित दोहन शुरू किया।
वन नीतियां: बड़े वन क्षेत्र को सरकारी संपत्ति घोषित किया गया; वनवासियों के पारंपरिक अधिकार कम किए गए।
लकड़ी और खनिज: शीशम, कोयला, और लौह अयस्क का दोहन बढ़ाया गया ताकि ब्रिटिश उद्योगों को कच्चा माल मिल सके।
ऐसी नीतियों ने देशज अर्थव्यवस्थाओं को बाधित किया और आदिवासी जनजातियों में सामाजिक असंतोष तथा पर्यावरणीय क्षति हुई।
निष्कर्ष
ब्रिटिश शासन में देशज उद्योगों का विनाश और कृषि का वाणिज्यीकरण ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को मौलिक रूप से बदल दिया। इन परिवर्तनों ने भारत को कच्चे माल के सप्लायर के रूप में स्थापित किया, पारंपरिक कारीगरों को दबाया और किसानों को एक ही प्रकार की नकदी फसलें उगाने के लिए मजबूर किया, जो अक्सर शोषणपूर्ण परिस्थितियों में था।
UPSC उम्मीदवारों के लिए: NCERT की सहायता से इन आर्थिक परिवर्तनों की गहरी समझ प्रीलिम्स और मेन्स दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
MCQs (प्रश्नोत्तरी)
1. उपरोक्त में से कौन-सा कारण औपनिवेशिक भारत में देशज कुटीर उद्योगों के पतन का प्रमुख था?
A) भारतीय कारीगरों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा
B) ब्रिटेन में यांत्रिक वस्त्र उत्पादन और सस्ते ब्रिटिश माल का आयात
C) भारत में कुशल कारीगरों की कमी
D) कुटीर उत्पादों की वैश्विक मांग में कमी
उत्तर: B
व्याख्या: ब्रिटेन की औद्योगिक क्रांति ने सस्ते, बड़े पैमाने पर बने वस्त्र भारतीय बाजार में भेजे, जिससे देशज कुटीर उद्योग प्रभावित हुए।
2. ‘टिनकाठिया प्रणाली’ किस वाणिज्यिक फसल की अनिवार्य खेती से जुड़ी थी?
A) कपास
B) नील
C) जूट
D) अफीम
उत्तर: B
व्याख्या: टिनकाठिया प्रणाली के तहत बिहार और बंगाल के किसानों को नील की खेती करनी पड़ती थी।
3. निम्नलिखित में से कौन से बंदरगाह नगर ब्रिटिश औपनिवेशिक आर्थिक नीतियों का परिणाम थे?
बॉम्बे, कोलकाता, मद्रास, आगरा
A) 1, 2 और 3
B) 1 और 4
C) 2, 3 और 4
D) सभी
उत्तर: A
व्याख्या: आगरा जैसे पारंपरिक शहरों का पतन हुआ, जबकि बॉम्बे, कोलकाता और मद्रास बंदरगाह नगर के रूप में उभरे।
4. कथन (A): ब्रिटिश नीतियां भारत से कच्चे कपास के निर्यात को प्रोत्साहित करती थीं।
कारण (R): अमेरिकी गृहयुद्ध ने अमेरिका से कपास आपूर्ति को बाधित किया।
A) दोनों सत्य हैं और R, A का सही कारण है
B) दोनों सत्य हैं लेकिन R, A का कारण नहीं है
C) A सत्य है, R असत्य है
D) दोनों असत्य हैं
उत्तर: A
व्याख्या: अमेरिकी गृहयुद्ध के कारण ब्रिटेन ने भारतीय कपास पर निर्भरता बढ़ाई।
5. किस फसल की खेती ब्रिटिश व्यापार में चीन के साथ जुड़ी थी?
A) नील
B) अफीम
C) जूट
D) कपास
उत्तर: B
व्याख्या: अफीम मुख्य रूप से बंगाल और मालवा में उगाया जाता था और चीन को निर्यात किया जाता था।
6. निम्नलिखित में से कौन-सी औपनिवेशिक वन नीतियों के परिणाम थीं?
- बड़े वन क्षेत्र को राज्य की संपत्ति घोषित करना
- वनवासियों के पारंपरिक अधिकारों को सीमित करना
- जनजातियों को अधिक स्वायत्तता देना
A) 1 और 2
B) 2 और 3
C) 1 और 3
D) सभी
उत्तर: A
व्याख्या: ब्रिटिश नीतियों ने वनवासियों के अधिकार कम किए और वन को सरकारी संपत्ति बनाया।
7. 1859-60 की नील विद्रोह क्यों हुई?
A) किसानों पर नील की अनिवार्य खेती का दबाव
B) ब्रिटिशों द्वारा नील की खेती पर प्रतिबंध
C) किसानों द्वारा बेहतर सिंचाई की मांग
D) ब्रिटिशों द्वारा यूरोप को नील निर्यात बंद करना
उत्तर: A
व्याख्या: मजबूर नील खेती से किसानों में असंतोष हुआ और विद्रोह हुआ।
8. निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन ब्रिटिश शासन के दौरान शहरी केन्द्रों के पतन के बारे में सही हैं?
- वाराणसी और मुर्शिदाबाद जैसे शहरों का पतन स्वदेशी उद्योगों के पतन के कारण हुआ।
- नए बंदरगाह नगरों का उदय शहरी आर्थिक परिदृश्य को बदल गया।
सही विकल्प चुनें:
A) केवल 1
B) केवल 2
C) दोनों 1 और 2
D) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: C
व्याख्या: दोनों कथन उपनिवेशकालीन आर्थिक नीतियों के कारण पारंपरिक शहरों से बंदरगाह नगरों की ओर शहरी महत्व के बदलाव को स्पष्ट करते हैं।
9. कथन (A): ब्रिटिश उपनिवेशवादी अर्थव्यवस्था ने भारत को तैयार माल की बजाय कच्चे माल का आपूर्तिकर्ता बना दिया।
**कारण (R): ब्रिटिश नीतियों ने स्वदेशी विनिर्माण उद्योगों के विकास को बढ़ावा दिया।
सही विकल्प चुनें:**
A) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या है।
B) A और R दोनों सही हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
C) A सही है लेकिन R गलत है।
D) A और R दोनों गलत हैं।
उत्तर: C
व्याख्या: भारत को कच्चे माल का आपूर्तिकर्ता बनाया गया; ब्रिटिश नीतियों ने स्वदेशी विनिर्माण को हतोत्साहित किया।
10. निम्नलिखित में से कौन-सी व्यावसायिक फसल मुख्य रूप से ब्रिटिश भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था से संबंधित नहीं थी?
A) नीला रंग (इंडिगो)
B) जूट
C) चाय
D) अफीम
उत्तर: C
व्याख्या: चाय महत्वपूर्ण होने के बावजूद मुख्यतः घरेलू खपत और निर्यात के लिए बागान की फसल थी, और अक्सर इसे अलग से पढ़ाया जाता है; नीला रंग, जूट और अफीम का कच्चे माल के निर्यात में अधिक सीधा योगदान था।
11. निम्नलिखित में से कौन-सा ब्रिटिश शासन के तहत कारीगरों के विस्थापन की सबसे अच्छी व्याख्या करता है?
A) ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं की बढ़ती यंत्रीकरण और प्रतिस्पर्धा
B) भारत में कारीगरों के कौशल में प्राकृतिक गिरावट
C) किसान शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं
D) कृषि के बेहतर अवसर
उत्तर: A
व्याख्या: यंत्रीकरण और सस्ते ब्रिटिश आयातों ने कारीगरों की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया।
12. जूट की खेती और प्रसंस्करण का प्रमुख उदय किस क्षेत्र में हुआ?
A) पंजाब
B) बंगाल
C) मद्रास
D) गुजरात
उत्तर: B
व्याख्या: बंगाल जूट की खेती और निर्यात के लिए प्रसंस्करण का केंद्र बन गया।
13. निम्नलिखित में से कौन-सा ब्रिटिश वन नीति की विशेषता नहीं है?
A) वनों को सरकारी संपत्ति घोषित करना
B) स्थानीय समुदायों द्वारा पारंपरिक वन उपयोग को प्रोत्साहित करना
C) व्यवस्थित लकड़ी का निष्कर्षण
D) चराई और परंपरागत खेती पर प्रतिबंध
उत्तर: B
व्याख्या: ब्रिटिश नीतियों ने पारंपरिक उपयोग को प्रोत्साहित करने के बजाय सीमित किया।
14. उपनिवेशकालीन शासन के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था के कच्चे माल निर्यात की ओर झुकाव के लिए सबसे जिम्मेदार कारक कौन-सा था?
A) भारतीय औद्योगिक क्रांति
B) ब्रिटिश औद्योगिक कच्चे माल की मांग
C) भारतीय हस्तशिल्प का विकास
D) विश्व स्तर पर कपास की मांग में गिरावट
उत्तर: B
व्याख्या: ब्रिटिश औद्योगिक क्रांति ने भारत से कच्चे माल की मांग बढ़ाई।
15. कथन (A): कृषि का व्यवसायीकरण उपनिवेशकालीन भारत में बार-बार अकाल का कारण बना।
**कारण (R): व्यावसायिक फसलों ने खाद्य फसलों की जगह ले ली, जिससे खाद्य उपलब्धता कम हुई।
सही विकल्प चुनें:**
A) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या है।
B) A और R दोनों सही हैं लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है।
C) A सही है लेकिन R गलत है।
D) A और R दोनों गलत हैं।
उत्तर: A
व्याख्या: व्यावसायिक फसलों की खेती ने खाद्य फसलों के लिए भूमि कम कर दी, जिससे अकाल की संभावना बढ़ गई।