जाति सुधार आंदोलन: सतनामी, सत्यशोधक समाज, दलित उत्थान

ज्योतिबा फुले और सत्यशोधक समाज

(सतनामी विद्रोह, कबीरपंथी, महार, प्रारंभिक दलित चेतना और शिक्षा प्रयास, मंदिर प्रवेश और अस्पृश्यता विरोधी आंदोलन, राष्ट्रीय और सामाजिक जागृति से संबंध)

UPSC अभ्यर्थियों के लिए यह विषय GS पेपर I (इतिहास), GS पेपर II (राजव्यवस्था और सामाजिक न्याय) और GS पेपर IV (नैतिकता) में महत्वपूर्ण है, साथ ही निबंध और वैकल्पिक विषयों जैसे समाजशास्त्र और इतिहास में भी उपयोगी है।

परिचय

19वीं और प्रारंभिक 20वीं सदी में भारत के जाति सुधार आंदोलनों ने सामाजिक अन्याय, विशेषकर अस्पृश्यता और जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभाई। ये आंदोलन सामाजिक न्याय और समानता पर आधारित थे और उन्होंने भारतीय समाज को जागरूक करने तथा राष्ट्रवादी विचारों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

1. ज्योतिबा फुले और सत्यशोधक समाज

ज्योतिबा फुले प्रारंभिक सामाजिक सुधारकों में से थे जिन्होंने ब्राह्मणवादी वर्चस्व और जातिगत उत्पीड़न के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाया।
1873 में उन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज (सत्य की खोज करने वाला समाज) की स्थापना की।

विचारधारा और उद्देश्य:

  • ब्राह्मणवादी कर्मकांडों और पुजारी व्यवस्था का विरोध।
  • तार्किक सोच और शिक्षा का प्रचार, विशेष रूप से महिलाओं और निचली जातियों के बीच।
  • श्रम की गरिमा और सामाजिक समानता पर बल।

योगदान:

  • लड़कियों और निम्न जातियों के बच्चों के लिए स्कूल खोले।
  • मनुस्मृति और जाति व्यवस्था की आलोचना की (जैसे “गुलामगिरी” पुस्तक में)।
  • फुले का कार्य भविष्य के दलित आंदोलनों की नींव बना।

2. सतनामी विद्रोह और कबीरपंथी

सतनामी आंदोलन 17वीं सदी में छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ और ब्रिटिश काल में जातिगत उत्पीड़न और जमींदारी शोषण के खिलाफ फिर से सक्रिय हुआ।

  • सतनामियों का विश्वास था कि ईश्वर का एक ही सच्चा नाम है: “सतनाम”, और उन्होंने मूर्ति पूजा और ब्राह्मणवादी व्यवस्था को नकारा
  • 1672 में बीरभान के नेतृत्व में विद्रोह, मुगलों के खिलाफ हुआ।

कबीरपंथ:

  • कबीर की शिक्षाओं पर आधारित, यह संप्रदाय जाति-विरोधी था।
  • ईश्वर की एकता और जाति भेदभाव की व्यर्थता पर बल दिया।
  • धार्मिक सरलता और आत्मिक समानता का प्रचार किया।

3. महार और प्रारंभिक दलित चेतना

महार समुदाय (महाराष्ट्र) ने प्रारंभिक दलित जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • डॉ. भीमराव अंबेडकर, जो इसी समुदाय से थे, बाद में इसके प्रमुख नेता बने।
  • 19वीं सदी में कुछ महार नेताओं और ईसाई मिशनरियों ने दलितों में शिक्षा का प्रचार किया।
  • ब्रिटिश सेना में महारों की भर्ती ने उन्हें सामाजिक गतिशीलता और जागरूकता का अवसर दिया।

4. मंदिर प्रवेश और अस्पृश्यता विरोधी आंदोलन

20वीं सदी में दलितों के लिए नागरिक अधिकारों (जैसे मंदिर में प्रवेश, सार्वजनिक स्थलों का उपयोग) हेतु कई आंदोलन हुए।

  • वैकोम सत्याग्रह (1924–25): केरल में गांधी के समर्थन से दलितों को मंदिर मार्गों का उपयोग दिलाने हेतु आंदोलन।
  • कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन (1930): अंबेडकर के नेतृत्व में नासिक, दलितों को मंदिर प्रवेश दिलाने का प्रयास।

परिणाम: इन आंदोलनों ने जातिगत बहिष्कार की अमानवीयता को उजागर किया और राष्ट्रीय चेतना को जगाया।

5. राष्ट्रीय और सामाजिक जागृति से संबंध

  • इन आंदोलनों ने धार्मिक रूढ़िवादिता को चुनौती दी और तार्किक सोच को बढ़ावा दिया।
  • फुले, अंबेडकर, पेरियार और गांधी जैसे नेताओं ने समावेशी राष्ट्रवाद को जन्म दिया।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15, 17 और 46 इन आंदोलनों की भावना को दर्शाते हैं — अस्पृश्यता समाप्त करना, और SC/ST के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना

निष्कर्ष

जाति सुधार आंदोलनों को समझना आधुनिक भारत के निर्माण और सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया को समझने के लिए आवश्यक है।इन आंदोलनों ने केवल दलितों को सशक्त नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक स्वरूप भी दिया।

UPSC की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए यह विषय इतिहास और नैतिकता दोनों दृष्टिकोणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

MCQ (बहुविकल्पी प्रश्न)

Q1. सत्यशोधक समाज का मुख्य उद्देश्य क्या था?
A. वैदिक अनुष्ठानों का प्रचार
B. जाति व्यवस्था को बढ़ावा देना
C. पीड़ित जातियों और महिलाओं का उत्थान
D. परंपरावादी हिंदू धर्म का समर्थन
उत्तर: C

Q2. कथन (A): ज्योतिबा फुले जाति व्यवस्था के कट्टर आलोचक थे।
कारण (R): वे मानते थे कि जाति व्यवस्था वेदों द्वारा समर्थित है।
A. A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या है
B. A और R दोनों सही हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है
C. A सही है, R गलत है
D. A गलत है, R सही है
उत्तर: C

Q3. 1672 का सतनामी विद्रोह मुख्यतः किसके खिलाफ था?
A. ब्रिटिश भू-राजस्व नीति
B. जमींदारी शोषण और जातिगत भेदभाव
C. जबरन धार्मिक परिवर्तन
D. मराठा वर्चस्व
उत्तर: B

Q4. 1930 में कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
A. ज्योतिबा फुले
B. महात्मा गांधी
C. डॉ. बी.आर. अंबेडकर
D. नारायण गुरु
उत्तर: C

Q5. भारत का पहला संगठित मंदिर प्रवेश आंदोलन कौन-सा था?
A. वैकोम सत्याग्रह
B. मंदिर प्रवेश उद्घोषणा
C. कालाराम मंदिर आंदोलन
D. हरिजन मंदिर प्रवेश आंदोलन
उत्तर: A

Q6. कबीरपंथियों ने किस पर बल दिया?
A. मूर्ति पूजा
B. कर्मकांड आधारित पदानुक्रम
C. ईश्वर की एकता और जाति का विरोध
D. पशु बलि
उत्तर: C

Q7. कथन (A): 19वीं सदी में ब्रिटिश सेना ने महारों की भर्ती की।
कारण (R): यह दलित जातियों को सशक्त बनाने का प्रयास था।
A. A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या है
B. A और R दोनों सही हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है
C. A सही है, R गलत है
D. A गलत है, R सही है
उत्तर: B

Q8. “गुलामगिरी”, फुले द्वारा लिखित पुस्तक का उद्देश्य था:
A. भारतीय संस्कृति का प्रचार
B. प्राचीन ग्रंथों का महिमामंडन
C. जाति व्यवस्था और गुलामी की आलोचना
D. पारंपरिक रीति-रिवाजों का समर्थन
उत्तर: C

Q9. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद अस्पृश्यता को समाप्त करता है?
A. अनुच्छेद 14
B. अनुच्छेद 15
C. अनुच्छेद 17
D. अनुच्छेद 46
उत्तर: C

Q10. निम्न में से कौन-सा आंदोलन डॉ. अंबेडकर के नेतृत्व में नहीं हुआ था?
A. महाड सत्याग्रह
B. कालाराम मंदिर प्रवेश
C. वैकोम सत्याग्रह
D. राउंड टेबल सम्मेलन
उत्तर: C

Q11. “शिक्षित बनो, आंदोलन करो, संगठित होओ” — यह किसने कहा था?
A. जवाहरलाल नेहरू
B. ज्योतिबा फुले
C. डॉ. भीमराव अंबेडकर
D. राजा राम मोहन राय
उत्तर: C

Q12. सत्यशोधक समाज के बारे में कौन-सा कथन सही है?
A. यह एक धार्मिक संप्रदाय था
B. यह वैदिक धर्म का प्रचार करता था
C. इसने जाति सुधार और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया
D. इसकी स्थापना गांधी ने की
उत्तर: C

Q13. डॉ. अंबेडकर किस जाति से संबंधित थे?
A. नमशूद्र
B. महार
C. चमार
D. माला
उत्तर: B

Q14. कबीर की शिक्षाओं में निम्न में से कौन-सा शामिल नहीं था?
A. निराकार ईश्वर की पूजा
B. सभी मनुष्यों की समानता
C. जाति पदानुक्रम में विश्वास
D. धार्मिक रूढ़िवादिता का विरोध
उत्तर: C

Q15. कथन (A): जाति सुधार आंदोलनों ने भारत की राष्ट्रीय जागृति में भूमिका निभाई।
कारण (R): उन्होंने धार्मिक रूढ़ियों को चुनौती दी और तार्किक सोच को बढ़ावा दिया।
A. A और R दोनों सही हैं, और R, A की सही व्याख्या है
B. A और R दोनों सही हैं, लेकिन R, A की सही व्याख्या नहीं है
C. A सही है, R गलत है
D. A गलत है, R सही है
उत्तर: A

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